सेराज अनवर/पटना
मदरसों को लेकर कई तरह की भ्रांतियां है.कुछ लोग मानते हैं कि इससे केवल मौलवी ही पैदा होते हैं.यह दकियानुसियत को बढ़ावा देता है.मदरसा शिक्षा के बारे में भिन्न-भिन्न तरह की बात कही जाती है.मगर बिहार के राज्यपाल ने मदरसा पर कोरी कल्पना को पूरी तरह से पलट कर रख दिया है.
मौक़ा था पटना के अशोक राजपथ स्थित प्रसिद्ध खुदा बख्श लाइब्रेरी में ‘मदरसा शिक्षा प्रणाली: संपत्ति, बोझ नहीं’विषय पर दो दिवसीय राष्ट्रीय सेमिनार के आयोजन का.
गवर्नर राजेंद्र विश्वनाथ अर्लीकर ने यह कह कर मदरसा के प्रति ग़लतफ़हमियों को दूर करने का काम किया कि आज की शिक्षा में मदरसा शिक्षा प्रणाली की भी जरूरत है, इसे कैसे प्रभावी बनाया जाये,इस पर विचार करने की जरूरत है.मदरसा शिक्षा व्यवस्था देश की अनमोल धरोहर है.
मदरसा शिक्षा पर बिहार के गवर्नर क्या बोले?
अपने अध्यक्षीय भाषण में राज्यपाल बिहार राजेन्द्र विश्वनाथ अर्लीकर ने कहा कि कुछ लोग मदरसा को लेकर गलत बयानी करते हैं, ऐसे में हम लोगों की जिम्मेदारी है कि मदरसों में छात्रों को उत्कृष्ट और आधुनिक शिक्षा देकर ऐसा उदाहरण पेश करें कि बोलने वालों की बोलती बंद हो जाए.
आज की शिक्षा में मदरसा शिक्षा प्रणाली की भी आवश्यकता है, इस शिक्षा प्रणाली को कैसे प्रभावी बनाया जाए,इस पर विचार करने की आवश्यकता है. मदरसे में अच्छी शिक्षा भी दी जाती है,
इस सोच को सकारात्मक बनाने के लिए बदलाव की जरूरत है मदरसा शिक्षा में वैज्ञानिक दृष्टिकोण को बढ़ावा देने की बात उन्होंने कही और कहा कि मदरसों में आईटी, कंप्यूटर विज्ञान जैसे विषयों की पढ़ाई होनी चाहिए.मदरसा शिक्षा के विकास में राजभवन भी सहयोग करेगा,
इसके लिए संयुक्त प्रयास की जरूरत है.उन्होंने कहा कि ख़ुदाबख्श लाइब्रेरी बिहार की शान है,यहां आना हमारे लिए गौरव की बात है. इस पुस्तकालय ने ज्ञान के प्रसार में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है.जिस विषय पर सेमिनार का आयोजन किया गया है,इस विषय की आज जरूरत है.
हमारे देश ने कुछ विशेषताएं बनाई हैं,इसीलिए भारत का विदेशों में बहुत महत्व है. हमारा भाईचारा ही हमारी पहचान है. हमारा व्यवहार बताता है कि हम भारतीय हैं.
मदरसा शिक्षा प्रणाली को सुरक्षित रखने पर ज़ोर:
डॉ. शाइस्ता बेदार
खुदाबख्श लाइब्रेरी की निदेशक डॉ. शाइस्ता बेदार ने अपने स्वागत भाषण में कहा कि मदरसा शिक्षा प्रणाली एक प्राचीन पारंपरिक शिक्षा प्रणाली है जिसे सुरक्षित रखने और प्रभावी बनाने की जिम्मेदारी हम सभी की है.
हमारा कर्तव्य है कि हम इस शिक्षा व्यवस्था से जुड़ी शिक्षकों एवं विद्यार्थियों की समस्याओं को सामने लायें और उनका समाधान करने का प्रयास करें. इस शिक्षा व्यवस्था को अर्थव्यवस्था से कैसे जोड़ा जाए और इसके स्नातकों को देश के निर्माण और विकास में कैसे सहायक बनाया जाए इस पर भी सेमिनार में चर्चा हुई.
प्रधानमंत्री का मिशन 2024 तक भारत से निरक्षरता को खत्म करना है.प्रधानमंत्री के इस मिशन में खुदाबख्श लाइब्रेरी तन मन धन से लगी हुई है.उन्होंने कहा कि हम बेहद आभारी हैं कि बिहार के राज्यपाल राजेन्द्र विश्वनाथ आर्लेकर ने हमें सम्मानित करने के लिए अपना कीमती समय निकाला, खुदाबख्श लाइब्रेरी को हमेशा राज्यपाल बिहार का आशीर्वाद मिलता रहा है.एक महीने में यह उनका दूसरा दौरा है.
मदरसे के बच्चों में प्रतिभा की कमी नहीं:
हसन वारिस
शिक्षाविद हसन वारिस ने अपने मुख्य भाषण में कहा कि मदरसा शिक्षा प्रणाली एक पूंजी है, इसमें कोई संदेह नहीं है. मुस्लिम राजा अपने साथ शिक्षा व्यवस्था भी लेकर आये, लेकिन अंग्रेजों ने इस शिक्षा व्यवस्था को तोड़ दिया.
इस प्राचीन पारंपरिक शिक्षा को जीवित रखने की जरूरतहै.मदरसे के बच्चों में प्रतिभा की कमी नहीं है, शर्त यह है कि उसका सही इस्तेमाल हो. इन मदरसों की सबसे बड़ी जरूरत विषय के अनुसार शिक्षक की नियुक्ति करना है और प्रारंभिक स्तर से ही एक अरबी शिक्षक की नियुक्ति करना है ताकि अरबी बोलने और लिखने की क्षमता विकसित हो, इससे रोजगार की समस्या कुछ हद तक हल हो सकती है.
हम मदरसे से नाउम्मीद नहीं हैं:
डॉ. अहमद अब्दुल हई
डॉ. अहमद अब्दुल हई ने कहा कि दुनिया की एक तिहाई आबादी अरबी बोलती है, अगर हम मदरसों के बच्चों में अरबी का हुनर विकसित करें और उन्हें अंग्रेजी भी सिखाएं तो उनका भविष्य उज्ज्वल हो सकता है.
हम मदरसे से नाउम्मीद नहीं हैं, अगर सही दिशा में काम किया जाए तो परिणाम अच्छे होंगे.इस अवसर पर बोलते हुए अनिल विभाकर ने कहा कि मदरसा व्यवस्था पर सेमिनार आयोजित करना खुशी की बात है, परंपराएं हमारी पहचान हैं और हमें अपनी पहचान हमेशा बनाए रखनी चाहिए.
पारंपरिक शिक्षा में समय-समय पर परिवर्तन होते रहना चाहिए. केंद्र सरकार ने मदरसा व्यवस्था पर विशेष ध्यान दिया है. पारंपरिक शिक्षा के साथ-साथ आधुनिक शिक्षा भी हासिल करनी चाहिए.
इस संगम से दोनों शिक्षा प्रणालियों को लाभ होगा.हमारे प्रधान मंत्री ने इस बात पर जोर दिया है कि एक हाथ में क़ुरआन हो और दूसरे हाथ में कंप्यूटर तो मदरसा स्नातक दुनिया की ऊंचाइयों तक पहुंच सकते हैं.
बिहार के राज्यपाल राजेंद्र विश्वनाथ अर्लीकर ने शमा जलाकर दो दिवसीय सेमिनार का उद्घाटन किया.इस अवसर पर खुदा बख्श लाइब्रेरीकी नवीनतम पुस्तक मदर असैसिन्डेड का विमोचन राज्यपाल द्वारा किया गया.
साथ ही कर्मचारियों को पुरस्कार से सम्मानित किया गया और छात्रों को दाराश्कोह पुरस्कार से सम्मानित किया गया.