कानपुर विश्वविद्यालय ने तुर्किए से समझौता किया रद्द, कुलपति बोले – ‘राष्ट्र सर्वोपरि’

Story by  आवाज़ द वॉयस | Published by  [email protected] | Date 16-05-2025
Kanpur University cancels agreement with Turkey, Vice Chancellor says – ‘Nation is supreme’
Kanpur University cancels agreement with Turkey, Vice Chancellor says – ‘Nation is supreme’

 

कानपुर

छत्रपति शाहू जी महाराज विश्वविद्यालय (सीएसजेएमयू), कानपुर ने तुर्किए (पूर्व में तुर्की) के इस्तांबुल विश्वविद्यालय के साथ किया गया शैक्षणिक समझौता (MoU) तत्काल प्रभाव से समाप्त करने का फैसला किया है। यह कदम तुर्किए द्वारा पाकिस्तान का समर्थन किए जाने के विरोध में उठाया गया है।

विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. विनय पाठक ने शुक्रवार को इस निर्णय की पुष्टि करते हुए बताया कि उन्होंने इस्तांबुल विश्वविद्यालय के रेक्टर जुल्फिकार को पत्र भेजकर समझौते की समाप्ति की सूचना दे दी है।

प्रो. पाठक ने कहा,“हमने इस्तांबुल विश्वविद्यालय को मौजूदा दुर्भाग्यपूर्ण लेकिन आवश्यक परिस्थितियों के बारे में सूचित करते हुए यह निर्णय लिया है। विश्वविद्यालय प्रशासन ने भारत की संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता के प्रति तुर्किए की शत्रुतापूर्ण नीतियों को देखते हुए यह MoU औपचारिक रूप से रद्द करने का फैसला किया है।”

उन्होंने स्पष्ट रूप से कहा कि तुर्किए द्वारा पाकिस्तान के साथ सामरिक गठबंधन और भारत विरोधी रुख अपनाना अत्यंत गंभीर भू-राजनीतिक चिंता का विषय है।

“ऐसे किसी देश के संस्थान से शैक्षणिक संबंध बनाए रखना उचित नहीं, जो भारत विरोधी विचारधारा का समर्थन करता हो,” उन्होंने जोड़ा।
हमारा स्पष्ट मानना है कि राष्ट्रहित से बढ़कर कोई भी अकादमिक साझेदारी नहीं हो सकती।

गौरतलब है कि यह समझौता ज्ञापन (MoU) नवंबर 2024 में दोनों विश्वविद्यालयों के बीच हस्ताक्षरित हुआ था, जिसका उद्देश्य शोध, अकादमिक सहयोग और संकाय आदान-प्रदान को बढ़ावा देना था।

कुलपति विनय पाठक, जो भारतीय विश्वविद्यालय संघ (AIU) के अध्यक्ष भी हैं, उन्होंने देश के अन्य विश्वविद्यालयों के कुलपतियों और शिक्षा जगत से जुड़े नेताओं से भी अपील की है।

उन्होंने कहा,“अब समय आ गया है कि हम पारंपरिक अकादमिक सीमाओं से ऊपर उठकर राष्ट्रभक्ति आधारित सैद्धांतिक रुख अपनाएं।"

उन्होंने साथी शिक्षण संस्थानों से यह आह्वान किया कि वे पाकिस्तान, तुर्किए और बांग्लादेश के साथ की गई किसी भी शैक्षणिक साझेदारी, समझौते, विनिमय कार्यक्रम या शोध परियोजनाओं की समीक्षा करें, और जहां भी भारत विरोधी गतिविधियों या आतंक के समर्थन के प्रमाण मिलें, उन्हें तत्काल प्रभाव से निलंबित या समाप्त करें।

प्रो. पाठक ने यह भी कहा,“हमें वैश्विक मंच पर यह स्पष्ट संदेश देना चाहिए कि भारत के शैक्षणिक संस्थान राष्ट्र की एकता, संप्रभुता और सुरक्षा के पक्ष में एकजुट हैं। हम किसी भी ऐसी संस्था के साथ सहयोग नहीं करेंगे जो हमारे देश की अखंडता पर प्रश्नचिह्न लगाती हो।”

इस फैसले की पृष्ठभूमि में हाल ही में पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद भारत द्वारा चलाए गए ‘ऑपरेशन सिंदूर’ की तुर्किए द्वारा आलोचना करना और इस्लामाबाद को खुला समर्थन देना शामिल है।

इन घटनाओं के चलते भारत और तुर्किए के बीच व्यापारिक और राजनयिक संबंधों में भी तनाव बढ़ने की आशंका जताई जा रही है। कई भारतीय नागरिकों ने तुर्किए के उत्पादों का बहिष्कार करना शुरू कर दिया है। इसके अलावा, यात्रा पोर्टल जैसे EaseMyTrip और Ixigo ने तुर्किए की यात्रा पर जाने वाले लोगों को सलाह दी है कि वे फिलहाल अपनी यात्राएं टाल दें।

भारत अब तुर्किए के प्रति अपने रुख को लेकर स्पष्ट है – राष्ट्र के खिलाफ जाने वालों से किसी भी स्तर पर सहयोग नहीं किया जाएगा।