दौलत रहमान/ गुवाहाटी
किसी भी अन्य पिता की तरह, पश्चिमी असम के बारपेटा जिले के चेंगा के मुबारक अली का अपनी दो बेटियों को उच्च शिक्षित बनाने का सपना है और वह अपनी मामूली आय की सीमा के भीतर अपने सपने को हकीकत में बदलने की पूरी कोशिश कर रहे हैं. लेकिन अली का दुःस्वप्न उसके गांव का सुदूर स्थान है. गांव में, विशेष रूप से लड़कियों के लिए 30किलोमीटर के दायरे में कोई कॉलेज नहीं है.
अली अकेले नहीं हैं. राज्य के दूरस्थ और शैक्षिक रूप से पिछड़े क्षेत्रों में रहने वाले मुस्लिम समुदाय के कई माता-पिता हैं जिनकी पहुंच अच्छे कॉलेजों तक नहीं है जहां वे अपनी बेटियों को गुणवत्तापूर्ण उच्च शिक्षा प्राप्त करने के लिए भेज सकते हैं.
एक आम धारणा है कि मुस्लिम लड़कियां शायद ही कभी उच्च शिक्षा हासिल करती हैं, या प्रतियोगी परीक्षाओं में शामिल होती हैं, और शादी और बच्चे होने के बाद उनके लिए सामाजिक बाधाएं और भी अधिक बढ़ जाती हैं. हालांकि, असम सरकार के राज्य में दूरस्थ, अविकसित और मुस्लिमबहुल क्षेत्रों में नौ मॉडल महिला कॉलेज स्थापित करने का फैसला लिया है और इससे लड़कियों के लिए शिक्षा के क्षेत्र में एक बदलाव आने की राह तैयार हो रही है.
राज्य उच्च शिक्षा विभाग ने बारपेटा जिले के चेंगा, धुबरी जिले के गोलकगंज और बिलसीपारा, गोलपारा जिले के जलेश्वर, दरांग जिले के मंगलदोई, कछार जिले के सोनाई और नगांव जिले के बत्रादराबा में मॉडल महिला कॉलेज स्थापित करने के लिए सभी इंतजाम किए हैं. हैलाकांडी और करीमगंज जिलों में दो अन्य कॉलेज स्थापित किए जा रहे हैं. इन कॉलेज को स्थापित करने में कुल 200 करोड़ रुपये से अधिक की लागत आने का अनुमान है.
असम सरकार के उच्च शिक्षा सचिव दीपक मजूमदार ने आवाज द वॉयस को बताया, “मॉडल महिला कॉलेजों के निर्माण के लिए लोक निर्माण विभाग (पीडब्ल्यूडी) को सौंपा गया है.”उन्होंने उम्मीद जताई कि अगर सब कुछ योजना के मुताबिक रहा तो ये कॉलेज 2023 तक शुरू हो जाएंगे.
वह कहत हैं, “कॉलेज शैक्षिक रूप से पिछड़े और अल्पसंख्यक बहुल क्षेत्रों में स्थापित किए जाएंगे. ये संस्थान आधुनिक गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्रदान करेंगे जो छात्राओं को नौकरियों और स्व-रोजगार के उद्यमों में काम करने के लायक बनाएगी, ” मजूमदार के मुताबिक, परियोजना का उद्देश्य अल्पसंख्यक समुदाय और पिछड़े क्षेत्रों की लड़कियों को सशक्त बनाना है.
मजूमदार बताते हैं कि असम सरकार मॉडल कॉलेजों की स्थापना के खर्च को वहन करने के लिए बैंक के एनआईडीए हेड के तहत नेशनल बैंक फॉर एग्रीकल्चर एंड रूरल डेवलपमेंट (नाबार्ड) से फंड मांगेगी.
पश्चिमी असम के धुबरी गर्ल्स कॉलेज के एक फैकल्टी प्रोफेसर जुइन दास कहते हैं, “अगर मॉडल महिला कॉलेज स्थापित किए जाते हैं तो यह अल्पसंख्यक समुदाय की लड़कियों को उच्च शिक्षा प्राप्त करने के लिए सर्वोत्तम संभव अवसर प्रदान करने के लिए एक लंबा रास्ता तय करेगा.”
प्रो. दास कहते हैं, “बेशक राज्य सरकार का यह कदम सराहनीय है लेकिन साथ ही सरकार को अल्पसंख्यक समुदाय की लड़कियों को आर्थिक रूप से सशक्त बनाने के लिए प्रस्तावित मॉडल कॉलेजों में और अधिक रोजगारोन्मुखी पाठ्यक्रम शुरू करने चाहिए,”