1857 में अंग्रेजों ने असगरी बेगम को जिंदा क्यों जला दिया था?

Story by  मंजीत ठाकुर | Published by  [email protected] | Date 10-06-2022
प्रतीकात्मक तस्वीर
प्रतीकात्मक तस्वीर

 

साकिब सलीम

मेजर सॉयर के नेतृत्व में ब्रिटिश सेना ने अक्टूबर, 1857में स्वतंत्रता के पहले युद्ध के दौरान भारतीय क्रांतिकारियों द्वारा मुक्त किए गए मुजफ्फरनगर के एक शहर थाना भवन पर हमला किया. वे यह देखकर चकित रह गए कि अपने यूरोपीय समकक्षों के विपरीत, शहर के आसपास के गांवों में महिलाएं सशस्त्र लड़ाइयों में सक्रिय रूप से भाग ले रहे थे.

महिलाओं को आतंकित करने के उपाय के रूप में सॉयर ने असगरी बेगम को पकड़ लिया, जो अंग्रेजों से लड़ने के लिए महिलाओं के दल को तैयार कर रही थी और अंग्रेजों ने उसको पकड़कर सार्वजनिक रूप से जिंदा जला दिया.

इतिहास के इतिहास में सामान्य रूप से और नारीवादी इतिहास में विशेष रूप से प्रथम स्वतंत्रता संग्राम को सुनहरे शब्दों में लिखा जाना चाहिए. झांसी की रानी और बेगम हजरत महल ने जहां विदेशी शासकों के खिलाफ सेनाओं का नेतृत्व किया, वहीं मुजफ्फरनगर में ग्रामीण महिलाओं ने ब्रिटिश सेना से लड़ने के लिए खुद को सशस्त्र बैंड में संगठित किया.

अगर सॉयर ने सोचा कि असगरी को सार्वजनिक रूप से सबसे भयानक तरीके से मारकर वह भारतीय महिलाओं में डर पैदा कर सकता है, लेकिन वह गलत था.

मुजफ्फरनगर के अन्य हिस्सों में हबीबा और जमीला ने मातृभूमि की सेवा के लिए महिलाओं को हथियार उठाने के लिए राजी किया. इन दोनों को बाद में पकड़ लिया गया और इस राष्ट्रीय सेवा के लिए फांसी पर लटका दिया गया. उनके लिए शहादत से बड़ा इनाम और क्या हो सकता था?

लेकिन फिर, भाग्यशाली राष्ट्रवादी महिलाएं थीं जो जीवित रहते हुए विदेशी ताकतों के गंदे हाथों से अछूती रहीं. बीबी, नूरी, रहीमी, रनबेरी, शोभा देवी, उमुदा, राज कौर और कई बहादुर महिलाओं ने लड़ते हुए युद्ध के मैदान में शहादत दी.

मातृभूमि की सेवा में शस्त्र उठाने के लिए मम कौर, भगवानी और आशा देवी को भी फांसी पर लटका दिया गया.

ये सैकड़ों महिला क्रांतिकारियों में से कुछ नाम हैं जो अंग्रेजों द्वारा क्रूर दमन और बाद में भारतीयों की उपेक्षा के बाद भी हमारे रिकॉर्ड में दर्ज हैं. यह हमारा राष्ट्रीय कर्तव्य है कि हम उनके नाम राष्ट्रीय चेतना से न मिटने दें और यूरोप को बताएं कि इससे पहले कि वे एक महिला युद्ध बल की कल्पना कर सकें, हमारी महिलाओं ने अपने नेतृत्व में अपने शक्तिशाली ब्रिटिश साम्राज्य से लड़ाई लड़ी.