मोहर्रम के रोजे क्यों रखे जाते हैं

Story by  राकेश चौरासिया | Published by  [email protected] | Date 08-07-2024
Why are Muharram fasts observed?
Why are Muharram fasts observed?

 

राकेश चौरासिया

मुहर्रम, इस्लामी कैलेंडर का पहला महीना है, जो शोक और स्मरण का महीना है. यह पैगंबर मुहम्मद (स.) के परिवार के सदस्यों, विशेष रूप से उनके पोते इमाम हुसैन (अ.) की शहादत को याद करने का समय है. मोहर्रम में रोजा रखना अजा-ए-मातम या ईश्वर की कृपा प्राप्ति का साधन है.

मुहर्रम में मुसलमान विभिन्न तरीकों से शोक मनाते हैं, जिनमें मातम, मजलिस और रोजा रखना शामिल है.

शहादत के प्रति सहानुभूति

  • मुहर्रम के दौरान रोजा रखना इमाम हुसैन (अ.) और उनके साथियों की शहादत के प्रति शोक और सहानुभूति व्यक्त करने का एक तरीका है.
  • यह दर्द और पीड़ा को साझा करने और उनके बलिदान को याद करने का एक प्रतीकात्मक तरीका है.

ईश्वर की कृपा प्राप्त करना

  • कई मुसलमानों का मानना है कि मुहर्रम के महीने में रोजा रखने से विशेष आध्यात्मिक पुरस्कार और ईश्वर की कृपा प्राप्त होती है.
  • यह माना जाता है कि इस महीने में किए गए नेक कामों का सवाब कई गुना बढ़ जाता है.

आत्म-संयम और अनुशासन

  • रोजा रखना आत्म-संयम और अनुशासन का अभ्यास करने का एक तरीका भी है.
  • यह भौतिक सुखों से दूर रहने और आध्यात्मिकता पर ध्यान केंद्रित करने का अवसर प्रदान करता है.

विभिन्न दृष्टिकोण

  • यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि मुहर्रम के दौरान रोजा रखने के बारे में मुसलमानों के बीच अलग-अलग दृष्टिकोण हैं.
  • कुछ लोग इसे अनिवार्य मानते हैं, जबकि अन्य इसे वैकल्पिक मानते हैं.
  • यह व्यक्तिगत विश्वास और परंपरा का मामला है.

मोहर्रम के दौरान रोजा रखना शोक, ईश्वर की कृपा प्राप्ति और आत्म-संयम का एक तरीका हो सकता है. यह व्यक्तिगत विश्वास और परंपरा का विषय है. यह महत्वपूर्ण है कि रोजा रखने या न रखने के पीछे की प्रेरणा शुद्ध और ईमानदारीपूर्ण हो.