राकेश चौरासिया
रमजान का पवित्र महीना सिर्फ उपवास और नमाज का महीना नहीं है, बल्कि यह आत्म-अनुशासन, आत्म-संयम, त्याग और करुणा का भी महीना है. रमजान के दौरान मुस्लिम भाई-बहन भूख, प्यास और अन्य शारीरिक इच्छाओं पर नियंत्रण रखकर आत्म-संयम का अभ्यास करते हैं. लेकिन रमजान के महीने हम जो रोजा रखते हैं, उसका सबसे बड़ा सबक धैर्य यानी सब्र है, जो अपनी दैनिक इच्छाओं पर संयम रखने से आता है.
इबादत के साथ इंसान में सब्र का होना बहुत जरूरी है. सब्र से सब सध जाता है. इसलिए कुरान और हदीस से सब्र को बहुत खास बताया गा है.
इसके अलावा भी रमजान के महत्वपूर्ण सबक हैंः
आत्म-संयमः
रोजा रखने से हमें अपनी इच्छाओं पर नियंत्रण रखना सिखाया जाता है. भूख और प्यास जैसी शारीरिक इच्छाओं को दबाकर हम मानसिक और आध्यात्मिक रूप से मजबूत बनते हैं.
त्याग
रमजान हमें गरीबों और जरूरतमंदों के प्रति सहानुभूति और करुणा विकसित करने का अवसर प्रदान करता है. गरीबों के लिए दान-पुण्य करके हम त्याग का भाव सीखते हैं.
आध्यात्मिक उन्नति
रमजान हमें नमाज, कुरान पढ़ने और अच्छे कामों पर ध्यान केंद्रित करने का मौका देता है. इससे हमारी आध्यात्मिक उन्नति होती है और हम ईश्वर के करीब जाते हैं.
परिवार और समुदाय के साथ बंधन
रमजान हमें परिवार और समुदाय के साथ मिलकर इफ्तार और तरावीह की नमाज पढ़ने का अवसर देता है. इससे हमारे आपसी संबंध मजबूत होते हैं.
अनुशासन
रोजे के नियमों का पालन करके हम अनुशासन और समय प्रबंधन का महत्व सीखते हैं.
रमजान का संदेश
रमजान का संदेश केवल मुस्लिमों के लिए ही नहीं, बल्कि पूरी मानवता के लिए है. यह हमें सिखाता हैः
रमजान के इन सबकों को अपने जीवन में उतारकर हम एक बेहतर इंसान बन सकते हैं और एक खुशहाल समाज का निर्माण कर सकते हैं.
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