रंगीन शाम और जावेद अली के सूफी कव्वाली के साथ जश्न ए रेख्ता का 8 वां अध्याय पूरा

Story by  मोहम्मद अकरम | Published by  [email protected] | Date 11-12-2023
रंगीन शाम और जावेद अली के सूफी कव्वाली के साथ जश्न ए रेख्ता का 8 वां अध्याय पूरा
रंगीन शाम और जावेद अली के सूफी कव्वाली के साथ जश्न ए रेख्ता का 8 वां अध्याय पूरा

 

मोहम्मद अकरम / नई दिल्ली

जश्न रेख़्ता के आखरी रोज जैसे ही भारतीय पार्श्वगायक जावेद अली ने मुज़फ़्फ़र वारसी के सूफी कलाम तू कुजा मन कुजा पेश किया कि लोगों की दिवानगी की इंतहा न रही, सभी दर्शकों ने एक साथ इसे गाने से खुद को रोक नहीं पाए और तालियों की गड़गड़ाहट से धयानचंद्र मैदान गुंज उठा, इस तरह लोगों की मोहब्बत ने जश्न ए रेख्ता को इतिहासिक और कामयाब बना दिया दिया.

तू अमीर ए हरम, मैं फ़क़ीर ए अजम
तेरे गुन और ये लब, मैं तलब ही तलब

तू अ़ता ही अ़ता, मैं ख़ता ही ख़ता
तू कुजा मन कुजा, तू कुजा मन कुजा

जावेद अली ने मौला मेरे मौला मेरे समेत कई सूफी कलाम पेश किए जिस पर हजारों लोग एक साथ थरके. 

नूर जहां की जिंदगी पर...
 
आखिरी दिन के प्रोग्राम में रोशनी की दुनिया विषय के तहत सुप्रसिद्ध गायिका और अभिनेत्री नूर जहां, मंटू और कमाल अमरोही पर आधारित नाटक को शिजनी कुलकर्नी और उसकी टीम द्वारा पेश किया गया.
 
जिसे जामिया मिल्लियां इस्लामिया के प्रो. दानिश इकबाल ने तैयार किया था. जिसमें नूर जहां की फिल्मी दुनिया और उसकी आवाज के दिवाने मंटू, कमाल अमरोही के किस्से नाटकीय अंदाज में पेश किया गया.
 
इससे पहले रेख़्ता के इस 8वें संस्करण का उद्घाटन 8 दिसंबर को हुआ था. जिसके बाद तीन दिन तक उर्दू के सबसे बड़े साहित्यिक मेले में गजल, कव्वाली, गीत, सूफी कलाम वगैरह पेश किए गए. पहले रोज उद्घाटन समारोह के मौके पर विशाल भध्वराज और रेखा भाव्दराज द्वारा सूफी गजल पेश किया गया.
 
इसी तरह दूसरे रोज किस्सा गोई, जिसमें सलीम शाह ने उर्दू की खोई कहानी पेश किया. इश्क़ का सवाद नामा विषय पर आमिर अजहर ने शिरकत की. कहानी के किरदार तक उर्दू के सौंदर्य पर सुधीर मिश्रा, अनुराग कश्यप के साथ आतिका फारूकी की खास बातचीत हुई.
 
तान की तहरीरें पर फेमिनिस्ट राइटिंग पर सरवत खान, शहनाज़ नाबी, नईमा जाफरी, शगुफ्ता यास्मीन के साथ  करेंगे बात की गई. रहमान खान द्वारा हुमारबाज नाटक की प्रस्तुति की गई.
 
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रंगीन शाम के साथ जश्न ए रेख़्ता 2023 का समापन हुआ

भारत में उर्दू का सबसे बड़ा उत्सव, उर्दू भाषा का सबसे बड़ा त्यौहार और उर्दू की सबसे बड़ी सभा यानी जश्न रेख्ता, तीन दिवसीय प्रोग्राम के बाद शाम को संपन्न हुआ.
 
जहां मेजर ध्यानचंद नेशनल स्टेडियम में जश्न ने एक बार फिर अपनी गहरी छाप छोड़ी और इसके साथ ही उर्दू से प्रेम करने वालों ने अपनी मौजूदगी दर्ज कर उसे ऐतिहासिक और यादगार बना दिया.
 
जश्न तो ख़त्म हो गया, लेकिन...

जश्न ए रेख़्ता के नाम पर तीन रोज़ तक गंगा-जमुनी तहजीब के खूबसूरत नजारे, साहित्यिक, काव्य और सांस्कृतिक कार्यक्रम पेश किए गए. हर दिन यादगार और हर शाम खूबसूरत रहा, कविता, पत्रकारिता, उर्दू साहित्य, उपन्यास लेखन और संगीत पर कार्यक्रमों की एक श्रृंखला ने तीन साल बाद एक बार फिर उर्दू प्रशंसकों को मंत्रमुग्ध कर दिया. तीनों -दिन का जश्न तो ख़त्म हो गया, लेकिन उर्दू से मोहब्बत करने वालों की प्यास नहीं बुझी.
 
नेशनल स्टेडियम में जश्न रेख़्ता के आखिरी दिन कुछ ऐसे नजारे दिखे जो दिल्लीवासियों के जेहन में हमेशा खूबसूरत यादों के तौर पर रहेंगे
 
जावेद अख्तर हो या नसीरुद्दीन शाह सभी ने... 

गीत लेखक जावेद अख्तर हो या नसीरुद्दीन शाह सभी ने अपने शब्दों, अपने अनुभवों और अपनी कलात्मक कौशल से हजारों लोगों को अपना दीवाना बना लिया.
 
तीसरे और आखिरी दिन

आखिरी और तीसरे दिन के प्रोग्राम में ‘एडमिनिस्ट्रेशन और मीडिया में उर्दू’ पर ताहिर महमूद, नजीब जंग, सलमा सुल्तान और कुर्बान अली ने बातें रखी. और कहा कि एडमिनिस्ट्रेशन और मीडिया बगैर उर्दू के अल्फाज के प्रयोग के बेहतरीन तरीके से काम नहीं कर सकता हैं, आम लोगों से संपर्क नहीं बना सकता है.
 
बहारें नगमा में इसके तहत सुप्रिया जोशी और मोइन शादाब द्वारा सिंगिंग परफॉर्मेंस किया. उर्दू लव पोएट्री में नादिरा ज़हीर बाबर द्वारा नाटक प्रस्तुती की गई. मुग़ल पोएट प्रिंस में नवजोत सारना ने पेश किया.
 
बज़्म ए नौ बहार के नौजवानों का मुशायरा आयोजित किया गया जिसमें अज़हर नवाज, फैसल फहमी, हर्षित मिश्रा, हिना अब्बास, पल्लव मिश्रा, प्रियंवदा इल्हान, सलमान सईद, शिराज खान, उबैद नजीबाबादी ने अपनी शेर व शायरी से दाद वसूल किए.
 
इसके अलावा किस्सा शाहजहांनाबाद पर डॉ सय्यदा हमीद, रेने सिंह और लोकेश जैन ने पुरानी दिल्ली के इतिहास पर रोशनी डाली. गजल सराय, जबान दराज, इजहार ए इश्क पर विद्वानों द्वारा रोशनी डाली गई.