मलिक असगर हाशमी /नई दिल्ली
कोरोना महामारी के कारण दो साल बाद दिल्ली के नेशनल स्टेडियम में आयोजित जश्न रेख़्ता 2022 ‘खुदा-ए-सुखन’ कहे जाने वाले उर्दू एवं फारसी भाषा के महान शायर मोहम्मद तकी उर्फ मीर तक़ी ‘मीर’ के नाम है. यह कहना है रेख्ता के संस्थापक संजीव सराफ का. उन्होंने कहा कि इसे मीर तक़ी मीर के 300 वें जन्मदिन को समर्पित किया गया है.
साथ ही संजीव सराफ ने जश्न रेख़्ता के उद्घाटन के मौके पर उर्दू भाषा के विकास एवं इसे प्रोत्साहित करने के लिए जनवरी 2013 में स्थापित संस्था ‘रेख्ता’ के पौधे से बरगद होने की दास्तान भी सुनाई.
उन्होंने बताया कि नौ साल पहले शुरू हुई यह संस्था अब उर्दू के उत्थान के लिए विभिन्न मोर्चों पर काम कर रही है.उन्होंने बताया कि उर्दू एक जुबान नहीं गंगा-जमुनी तहजीब है. इसलिए 2018 में कोरोना के समय रेख़्ता की सामग्री उर्दू, हिंदी और अंग्रेजी भाषा के अलावा अन्य भाषाओं में भी उपलब्ध कराने का निर्णय लिया गया.
उन्होंने बताया कि इसके लिए विभिन्न जुबानों में रेख्ता की वेबसाइट लांच की जा रही है. राजस्थानी में साइट आ गई है और जोधपुर में इसका जश्न भी मनाया जा चुका है. उन्होंने बताया कि अब गुजराती भाषा में वेबसाइट लाने की तैयारी है.
संजीव सराफ ने बताया कि नौसिखिए शायरों को प्रोत्साहित करने के लिए ‘शेर गोई’ कार्यक्रम शुरू किया गया है. इसके अलावा बच्चों में साहित्य के प्रति ललक पैदा करने को ‘स्टोरी टेल’ कार्यक्रम आयोजित किए जा रहे हैं.
जश्न रेख़्ता के आयोजन का सिलसिला 2015 से शुरू हुआ है. संजीव सराफ ने बताया कि इस बार इसे अधिक भव्यता देने के लिए तीन दिवसीय उर्दू साहित्य के जश्न में 200 फनकार शामिल हो रहे हैं. इसके अलावा विभिन्न कार्यक्रमों के 60 सत्र आयोजित किए जाएंगे.
पिछले जश्न रेख़्ता की तुलना में इस बार आयोजन को और भव्यता प्रदान करने की कोशिश की गई है. यहां तक कि अनुमानित भीड़ को देखते हुए इंट्री टिकट के लिए आधुनिक तकनीक का इस्तेमाल किया गया है.
जश्न रेख्ता के पहले दिन भीड़ ने सारे रिकॉर्ड तोड़ दिए. उद्घाटन सत्र में इतनी ज्यादा भीड़ आई कि दर्शकांे को पांडाल में बैठने की जगह नहीं मिलने पर वे स्टेडियन की आस-पास की दीवारों पर चढ़कर बैठ गए.
साउंड सिस्टम में खराबी की वजह से जब उन तक आवाज नहीं पहुंची तो दर्शकों ने शोर मचाना शुरू कर दिया. तब मंच पर उद्घाटन भाषण देते हुए शायर और पटकथा लेखक जावेद अख्तर को कहना पड़ा, आवाज ठीक करें, नहीं तो मुझे उन्हें वहां जाकर दोबारा सुना पड़ेगा.
जावेद अख्तर ने भी संजीव सराफ द्वारा उर्दू की सेवा करने की तारीफ की. मंच से जब सराफ कोरोना काल में गोपीचंद नारंग, शम्सुल फारूकी के गुजरने पर अफसोस जता रहे थे, तब जावेद अख्तर ने उनकी तारीफ में कहा, साइंस के अनुसार कोई जगह ‘ख्ला’ यानी खाली नहीं रहती. संजीव सराफ उसी तरह ख्ला को भर रहे हैं.
कौन हैं रेख्ता के संस्थापक संजीव सराफ ?
संजीव सराफ़ पॉलिप्लेक्स कार्पोरेशन लि. के संस्थापक, अध्यक्ष और मुख्य अंशधारक हैं. यह कॉर्पोरेशन दुनिया में पी.ई.टी फ़िल्में बनाने वाली सबसे बड़ी कंपनियों में शामिल है.
संजीव सराफ़ ने आरंभिक शिक्षा सिंधिया स्कूल में हासिल की और फिर आई.आई.टी खड़गपुर से 1980 में ग्रेजुएशन किया. इसके बाद उन्होंने ओडिशा में अपना पुश्तैनी कारोबार संभाला और फिर पॉलिप्लेक्स के रूप में औद्योगिक जगत में अपनी विशिष्ट छवि बनाई.
इस कंपनी की पहचान उन्होंने अनुशंसनीय मूल्यों के आधार पर बनाई जिसकी औद्योगिक जगत में बहुत सराहना हुई. पॉलिप्लेक्स भारत और थाईलैंड की एक पंजीकृत कंपनी है.
सराफ़ ने व्यापार के दूसरे क्षेत्रों में भी उत्कृष्ट सफलताएँ प्राप्त की हैं. उन्होंने ‘मनुपत्र’ नामक कानूनी सूचना उपलब्ध कराने वाली वेबसाइट भी बनाई है. पर्यावरण से अपने गहरे सरोकार को दर्शाते हुए उन्होंने अक्षय ऊर्जा के क्षेत्र में भी निवेश किया जिसके फलस्वरूप पंजाब, उत्तराखंड और सिक्किम में पनबिजली प्रोजेक्ट स्थापित किये गए.
वह कई कंपनियों के बोर्ड के सक्रिय सदस्य भी हैं.सराफ़ उदार और मानवतावादी व्यक्ति हैं जो कंपनी की लोकहितकारी गतिविधियों में भी रुचि रखते हैं.
इन गतिविधियों के अंतर्गत एक चैरिटेबल स्कूल भी चलाया जा रहा है जिसमें 1200 बच्चे शिक्षा पा रहे हैं. सराफ़ को पढ़ने का ज़बर्दस्त शौक़ है. उन्हें उर्दू शायरी से गहरा भावनात्मक लगाव है और उन्होंने उर्दू लिपि भी सीखी है. उन्हें चित्रकला और संगीत से भी गहरा प्रेम है.