G20 के साथी : भारत का विश्वसनीय साथी है सउदी अरब

Story by  फिदौस खान | Published by  [email protected] • 2 Months ago
 Saudi Arabia is a reliable partner of India
Saudi Arabia is a reliable partner of India

 

-फ़िरदौस ख़ान

सऊदी अरब इस्लाम का सिरमौर है. इसी सरज़मीं पर अल्लाह के आख़िरी रसूल हज़रत मुहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने जन्म लिया और इस्लाम को फैलाया. भारत से हर साल लाखों मुसलमान हज और उमरा के लिए सऊदी अरब जाते हैं. इस मुल्क ने लाखों भारतीयों को रोज़गार दिया हुआ है. इन भारतीयों ने सऊदी अरब को अपना दूसरा घर बना रखा है. वे देश के चहुंमुखी विकास में महत्वतपूर्ण योगदान दे रहे हैं.

भारत और सऊदी अरब के रिश्ते बहुत पुराने हैं. वह भारत का विश्वसनीय साथी है. दोनों देशों के बीच संयुक्त संयुक्त सैन्य अभ्यास भी किया जाता है. गुज़श्ता 23 से 25 मई तक सऊदी अरब के अल जुबैल में भारतीय नौसेना और रॉयल सऊदी नेवल फ़ोर्स के बीच द्विपक्षीय अभ्यास 'अल मोहेद अल हिन्दी’ का आयोजन किया गया.

साल 2021 में दोनों देशों ने अपना पहला नौसेना संयुक्त अभ्यास शुरू किया था. समुद्र में हुए इस अभ्यास में समुद्री परिचालनों की एक व्यापक पहुंच देखी गई. इस अभ्यास का समापन समुद्र में डीब्रीफ़ यानी अभ्यास पूरा होने पर सवाल-जवाब के साथ हुआ.

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इस द्विपक्षीय अभ्यास ने अपने सभी उद्देश्यों को पूरा किया है. दोनों पक्ष इसके अगले संस्करण में इसे और अधिक उन्नत स्तर पर ले जाना चाहते हैं. रक्षा सहयोग पर भारत और सऊदी अरब की संयुक्त समिति नियमित बैठक करती है और दोनों देशों ने रक्षा और सुरक्षा के क्षेत्र में आपसी हितों और सहयोग के कई क्षेत्रों की पहचान भी की है.

इसके अलावा दोनों देश असमानता को कम करने और सतत विकास को बढ़ावा देने के लिए जी 20 के तहत मिलकर काम कर रहे हैं.भारत, सऊदी अरब से अपने व्यापारिक, औद्योगिक और सुरक्षा सहयोग आदि संबंधों को और मज़बूत करने पर ज़ोर दे रहा है.

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अक्टूबर 2019 में सऊदी अरब की यात्रा के दौरान किंग सलमान और क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान के साथ बातचीत की. इसके बाद दोनों देशों के बीच 29 अक्टूबर 2019 को रियाद में कुल 12 समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए गए.

इनमें रणनीतिक भागीदारी परिषद समझौते, सऊदी ऊर्जा मंत्रालय और भारत के नवीन और नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय के बीच नवीकरणीय ऊर्जा के क्षेत्र में सहयोग पर समझौता ज्ञापन, सुरक्षा सहयोग पर समझौता, मादक पदार्थों की अवैध तस्करी और मादक पदार्थों और रासायनिक पदार्थों की तस्करी से निपटने में सहयोग के लिए समझौता ज्ञापन, सैन्य अधिग्रहण, उद्योग, अनुसंधान, विकास और प्रौद्योगिकी में सहयोग के क्षेत्र समझौता ज्ञापन शामिल है.

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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि भारत और सऊदी अरब के बीच रणनीतिक साझेदारी परिषद समझौते पर हस्ताक्षर होने के बाद दोनों देशों के बीच पहले से ही मज़बूत संबंध और दृढ़ होंगे. उन्होंने कहा कि हम अपनी ऊर्जा आवश्यकताओं के एक महत्वपूर्ण और विश्वसनीय स्रोत के रूप में सऊदी अरब की महत्वपूर्ण भूमिका को महत्व देते हैं.

भारत के पश्चिमी तट पर एक बड़ी रिफ़ाइनरी और पेट्रोकेमिकल परियोजना में सऊदी अरामको भागीदारी कर रहा है. हम भारत के सामरिक पेट्रोलियम भंडार में अरामको की भागीदारी के लिए भी आशान्वित हैं.

सऊदी अरब ख़ुद में एक ऊर्जा महाशक्ति है. यहां तेल और प्राकृतिक गैस के प्रचुर भंडार हैं. यह दुनिया का सबसे बड़ा तेल उत्पादक देश है. इसलिए इसकी अर्थव्यवस्था तेल पर बहुत ज़्यादा निर्भर है.

सऊदी हुकूमत ने साल 2016 में तेल पर देश की निर्भरता को कम करने और अपने आर्थिक संसाधनों में विविधता लाने के लिए अपना सऊदी विज़न 2030 लॉन्च किया था. इसमें इसे काफ़ी हद तक कामयाबी भी मिली.

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सऊदी अरब भारत का सबसे बड़ा तेल आपूर्तिकर्ता है. भारत अपने कच्चे तेल का तक़रीबन 18 फ़ीसद और द्रवीभूत पेट्रोलियम गैस का 30फ़ीसद सऊदी अरब से आयात करता है. यह देश के लिए कच्चे तेल का दूसरा सबसे बड़ा स्रोत है. यह अरब लीग, खाड़ी सहयोग परिषद, संयुक्त राष्ट्र संगठन, विश्व व्यापार संगठन, पेट्रोलियम एक्सपोर्टिंग कंट्रीज संगठन और जी 20 का भी सदस्य है.

सऊदी अरब इस्लामिक देश है. यहां शरिया लागू है और इसका सख़्ती से पालन किया जाता है. इसलिए यहां अपराध बहुत कम हैं. अपराधियों को बहुत सख़्त और इबरतनाक सज़ा दी जाती है, जिसमें सरेआम कौड़े मारना और सिर क़लम करना आदि शामिल है.

यहां पुरुषों को चार निकाह करने और अपनी बीवियों को तीन तलाक़ देने की आज़ादी है. यहां बुज़ुर्गों और मेहमानों का बहुत सम्मान किया जाता है.सऊदी अरब वहाबी मसलक का पोषक है. चूंकि वहाबी ईद उल फ़ित्र और ईद उल अज़हा के सिवा कोई और त्यौहार नहीं मनाते, इसलिए यहां सिर्फ़ दो ही मज़हबी अवकाश हैं.

इसके अलावा राष्ट्रीय दिवस 23 सितम्बर एक धर्मनिरपेक्ष अवकाश है. यहां इस्लाम की उदारवादी विचारधारा सूफ़ीवाद के लिए कोई जगह नहीं है. हालांकि सूफ़ीवाद की शुरुआत सऊदी अरब से ही हुई थी. भारत ने सूफ़ीवाद को अपनाया और इसे ख़ूब बढ़ावा भी दिया. भारत के मुसलमान बहुत से त्यौहार मनाते हैं. पिछली कुछ दहाइयों से भारत में भी वहाबीवाद तेज़ी से पैर पसार रहा है.

कई मामलों में सऊदी अरब नरम रवैया इख़्तियार कर रहा है. पहले यहां महिलाओं पर बहुत सी पाबंदियां थीं, लेकिन अब उन्हें भी पुरुषों की तरह आगे बढ़ने के मौक़े दिए जा रहे हैं. वे अंतरिक्ष में जा रही हैं.

जहाज़ उड़ा रही हैं, हाई स्पीड ट्रेन चला रही और निजी गाड़ियां भी चला रही हैं. इसके अलावा वे अन्य क्षेत्रों में भी अपनी मौजूदगी दर्ज करवा रही हैं. इतना ही नहीं, पहले यहां सिनेमा पर सख़्त पांबदी थी, लेकिन अप्रैल 2018 से सिनेमाघरों को खोल दिया गया. अब भारतीय अभिनेता व अभिनेत्रियां सऊदी अरब में न सिर्फ़ शूटिंग कर रहे हैं, बल्कि अपनी फ़िल्मों का प्रचार भी कर रहे हैं.

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सऊदी अरब में संगीत और नृत्य बहुत लोकप्रिय है. यहां का पारम्परिक लोक नृत्य नज्दी अरदाह ढोल, नर्तकियों और गायकों के साथ मिलकर किया जाता है. तलवारबाज़ी इसका एक लाज़िमी हिस्सा है.

इसमें पुरुषों की दो पंक्तियों होती हैं. हर पुरुष तलवार चलाता है. इसके सांस्कृतिक महत्व को देखते हुए यूनेस्को ने साल 2015में इसे मानवता की अमूर्त सांस्कृतिक विरासत की प्रतिनिधि सूची में शामिल किया है.

सऊदी अरब का पारम्परिक पहनावा कन्दुरा और अबाया है. यहां पुरुष और महिलाएं दोनों ही अपना सर ढककर रखते हैं. महिलाओं के लिए पहले सार्वजनिक स्थानों पर अबाया पहनना लाज़िमी था, लेकिन क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान ने उन्हें इसके पहनने में रियायत दे दी है. अब वे कोई भी शालीन लिबास पहन सकती हैं.

सऊदी अरब में चावल और रोटी के साथ गोश्त से बने व्यंजन खाये जाते हैं. यहां के व्यंजनों में सब्ज़ियों का इस्तेमाल बहुत कम होता है. यहां मेहमानों को गहवा यानी कॉफ़ी के साथ खजूर पेश किए जाते हैं.

यहां सिर्फ़ हलाल गोश्त ही मिलता है. यहां शराब पर पाबंदी है. यहां खजूर बहुत होता है. सऊदी अरब ज़्यादातर खाद्यान्न, फल और सब्ज़ियां आयात करता है. इसके बावजूद यहां किसी चीज़ की कमी नहीं है. सबसे ख़ास बात यह भी है कि यहां हर चीज़ मुनासिब दाम में मिल जाती है. यहां जमाख़ोरी और कम नापतोल बड़ा जुर्म है. 

बहरहाल, अब जी 20 के शिखर सम्मेलन में भारत और सऊदी अरब के प्रतिनिधि एक दूसरे से मिलेंगे और आगामी रणनीति पर विचार-विमर्श करेंगे. उम्मीद है कि दोनों देशों के बीच सभी क्षेत्रों में सहयोग के एक नये युग का आगाज़ होगा. 

(लेखिका शायरा, कहानीकार व पत्रकार हैं)