माटी के लालः भारत के विभाजन के विरोधी थे डॉ. शौकतुल्लाह शाह अंसारी

Story by  एटीवी | Published by  [email protected] | Date 18-08-2022
डॉ. शौकतुल्लाह शाह अंसारी
डॉ. शौकतुल्लाह शाह अंसारी

 

डॉ. अभिषेक कुमार सिंह/ पटना

आजादी की लड़ाई में हजारों लोगों ने अपने प्राणों की आहुति दी, लाखों लोगों ने योगदान दिया. पर आज जरूरत है भूल-बिसरे सेनानियों को याद करने का, ताकि युवा पीढ़ी उनसे प्रेरणा हासिल कर सके. ऐसे ही भूले - बिसरे स्वतंत्रता सेनानियों में एक रहे हैं डॉ. शौकतुल्लाह शाह अंसारी. वह भारत के राष्ट्रवादी मुस्लिम स्वतंत्रता सेनानी एवं सफल राजनयिक और चिकित्सक थे. वह आज़ाद हिंदुस्तान के पहली लोकसभा चुनाव में बीदर संसदीय सीट से सांसद चुने गए थे. 

डॉ. शौकतुल्लाह शाह अंसारी का जन्म 12 मई,  1908 में उत्तर प्रदेश के गाज़ीपुर ज़िला के युसुफपुर गांव में हुआ था. उनकी प्रारंभिक शिक्षा उनके पैतृक स्थान पर ही हुई थी. इसके बाद उन्होंने उच्च अध्ययन के लिए अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय का रुख किया. उन्होंने स्विट्ज़रलैंड के जेनेवा हाईस्कूल और यूनिवर्सिटी ऑफ पेरिस से विज्ञान तथा डॉक्टर ऑफ मैडिसन (एमडी) की डिग्री प्राप्त की.

भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस पूर्व अध्यक्ष एवं स्वतंत्रता सेनानी डॉ. मुख्तार अहमद अंसारी ने उन्हें गोद लिया था. उन्होंने एक भारतीय स्वतंत्रता कार्यकर्त्ता के रूप में असहयोग आंदोलन, भारत छोड़ो आंदोलन में सक्रिय रूप से भाग लिया.

उन्होंने 1937 में चांदनी चौक के फव्वारे के पास अपनी डिस्पेन्सरी खोली और दिल्ली में चिकित्सा का अभ्यास शुरू किया. 1938 में डॉ. मुख्तार अहमद अंसारी की आकस्मिक मृत्यु के बाद, वह किराये के मकान में 41- राजपुर रोड पर रहने चले गए. 

डॉ. शौकतुल्लाह शाह अंसारी 1940  में भारत-पाकिस्तान बंटवारे की मांग के खिलाफ थे और उन्होंने द्वि-राष्ट्र सिद्धांत और पाकिस्तान की मांग का कभी भी समर्थन नहीं किया. स्वतंत्रता के बाद उन्हें 1948, तुर्की में भारतीय दूतावास में काउंसलर नियुक्त किया गया.

अंसारी 1952 में बीदर संसदीय सीट से सांसद चुने गए. लोकसभा सदस्य के रूप में उन्होंने विदेश मामलों के लिए सलाहकार समिति में कार्य किया. 1954 और 1955  में वह भारतीय प्रतिनिधिमंडल के सदस्य के रूप में संयुक्त राष्ट्र गए.

अंसारी ने 1955 में जेनेवा में अंतराराष्ट्रीय श्रम सम्मेलन में भारत का प्रतिनिधित्व किया, 1957 में जवाहरलाल नेहरू के अनुरोध पर उन्होंने अपनी मूल रसड़ा संसदीय सीट से दूसरी लोकसभा के लिए चुनाव लड़ा, लेकिन वह भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के उम्मीदवार से हार गए.

अंतराष्ट्रीय नियन्त्रण आयोग के अध्यक्ष के रूप में वह 1957 में लाओस गये. 1960  में  उन्हें सूडान और कांगो में भारत का राजदूत नियुक्त किया गया. 31 जनवरी, 1968  को उन्हें उड़ीसा का आठवां राज्यपाल नियुक्त किया गया, और  20 सितंबर, 1971 तक वह राज्यपाल पद पर बने रहे. 29 दिसंबर, 1972  को एक सफल राजनयिक डॉ शौकतुल्लाह शाह अंसारी का निधन हो गया.