असमः अहोम योद्धा बॅड़फूकनन को मिलेगी राष्ट्रीय नायक की पहचान

Story by  मलिक असगर हाशमी | Published by  [email protected] | Date 25-11-2022
असमः अहोम योद्धा लचित बोरफुकन को मिलेगी राष्ट्रीय नायक की पहचान
असमः अहोम योद्धा लचित बोरफुकन को मिलेगी राष्ट्रीय नायक की पहचान

 

दौलत रहमान

सराईघाट की ऐतिहासिक लड़ाई में दुर्जेय मुगलों को हराने वाले भारत के महान योद्धाओं में से एक लाचित बोरफुकन के जीवन को प्रदर्शित करने के लिए असम सरकार ने भव्य योजना बनाई है. असम में भाजपा के नेतृत्व वाली सरकार का लक्ष्य इस महान योद्धा को राष्ट्रीय स्तर पर पहचान दिलाना है, जिसे अब तक देश के अन्य हिस्सों में नहीं जाना जाता है.

महान अहोम सेनापति लचित बोरफुकन को उचित परिप्रेक्ष्य में पेश करने के लिए 23 और 24 नवंबर को नई दिल्ली के विज्ञान भवन में दो दिवसीय कार्यक्रम आयोजित किया जाएगा.

इस कार्यक्रम में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह शामिल होंगे. इस आयोजन को राष्ट्रीय राजधानी में शानदार सफलता दिलाने के लिए मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा व्यक्तिगत रूप से नई दिल्ली में अधिकारियों के साथ समन्वय कर रहे हैं और सभी आवश्यक निर्देश दे रहे हैं.

23 और 24 नवंबर के लिए आकर्षक कार्यक्रमों की एक श्रृंखला तैयार की गई है. जहां प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 24 नवंबर को विज्ञान भवन में लचित बोरफुकन की 400 वीं जयंती का समापन भाषण देंगे और प्रसिद्ध अहोम जनरल पर एक कॉफी टेबल बुक जारी करेंगे, वहीं केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह 23 नवंबर को इस कार्यक्रम में शामिल होंगे.

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विज्ञान भवन में होने वाले इस कार्यक्रम में लचित बोरफुकन की 400वीं जयंती का समापन समारोह होगा. इस साल फरवरी में जयंती समारोह की शुरुआत करते हुए भारत के तत्कालीन राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद ने कहा था कि लचित बोरफुकन भारत के अब तक के सबसे महान सैन्य जनरलों में से एक थे.

यहां यह उल्लेख करना उचित है कि केंद्र की अन्य सरकारों के शासन के दौरान स्कूलों में पढ़ाए जाने वाले भारतीय इतिहास में असम का इतिहास उपेक्षा का शिकार रहा है.

और इसलिए लचित बोरफुकन की सैन्य प्रतिभा अधिकांश भारतीयों से काफी हद तक छिपी रही. सदियों लग गए, जब असम के पूर्व राज्यपाल स्वर्गीय लेफ्टिनेंट जनरल एसके सिन्हा ने लाचित बोरफुकन को राष्ट्र की सामूहिक चेतना से साझा किया.

स्वर्गीय सिन्हा की ईमानदार पहल के परिणामस्वरूप 2000 में राष्ट्रीय रक्षा अकादमी (एनडीए) में लचित बोरफुकन के नाम पर एक पुरस्कार की स्थापना हुई थी. यह पुरस्कार अब हर साल सर्वश्रेष्ठ कैडेट को पासिंग आउट समारोह के दौरान दिया जाता है.

लचित बोरफुकन को अब ‘असम के छत्रपति शिवाजी’ के रूप में माना जाता है, जिन्होंने 16वीं शताब्दी में मुगलों से उतनी ही देशभक्ति और वीरता से लड़ाई लड़ी थी, जितना कि शिवाजी ने मुगलों से लोहा लिया था.

1663 में गुवाहाटी शहर मुगल सम्राट औरंगजेब से हार गया था. लचित बोरफुकन ने 1667 में शहर पर कब्जा कर लिया और 1671 तक सफलतापूर्वक इसका बचाव किया और मुगलों को सरायघाट की लड़ाई में भारी हार का सामना करना पड़ा. यह युद्ध पूरी तरह से शक्तिशाली नदी ब्रह्मपुत्र पर लड़ा गया था.

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2016 में असम में भाजपा के सत्ता में आने से पहले, पार्टी और आरएसएस ने अपने दृष्टिकोण से राज्य के इतिहास को फिर से बताने के लिए हर असमिया के लिए एक नायक लाचित बोरफुकन के तौर पर एक भव्य योजना बनाई. लचित बोरफुकन की 400वीं जयंती के बहुप्रतीक्षित समापन समारोह से पहले, अहोम जनरल के कई पोस्टर, होर्डिंग्स और ट्रेन ब्रांडिंग वर्तमान में नई दिल्ली में प्रमुख स्थानों पर प्रदर्शित किए जा रहे हैं.

मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने कहा कि देश की आजादी के पिछले 75 वर्षों में लचित बोरफुकन जैसे महान योद्धा को भारतीय इतिहास के पन्नों में वह योग्य स्थान नहीं मिला, जिसका वह हकदार था.

सरमा ने कहा, ‘‘यह पूरे भारत में लचित बोरफुकन की वीरता और देशभक्ति का सम्मान करने का सही समय है. मैंने सभी मुख्यमंत्रियों को लिखा है कि वे अपने स्कूली पाठ्यक्रम में लचित बोरफुकन पर एक अध्याय शामिल करें.

भाग लेने की सहमति विज्ञान भवन समारोह में भाग लेने के लिए प्रधानमंत्री मोदी और गृह मंत्री अमित शाह की सहमति से ही पता चलता है कि केंद्र लाचित बोरफुकन की देशभक्ति को लोकप्रिय बनाने के लिए कितना महत्व दे रहा है.’’

मुख्यमंत्री ने कहा कि दिल्ली में होने वाला आयोजन भारत की हमारी आने वाली पीढ़ियों के लिए बहुत महत्वपूर्ण होंगा. लचित बोरफुकन पर होने वाले इन कार्यक्रमों से युवाओं को देशभक्ति की प्रेरणा मिलेगी. सरमा ने कहा कि ऐसे आयोजन हमें अपने अतीत से जुड़ने और अपने इतिहास को फिर से देखने का मौका देते हैं.