रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत की मज़बूत मैक्रोइकॉनॉमिक स्थिति इस सुधार की प्रमुख वजह है। देश का चालू खाता घाटा (CAD) पिछले 20 वर्षों में सबसे निचले स्तर 0.5 प्रतिशत पर है, जबकि विदेशी मुद्रा भंडार 690 अरब डॉलर पर पहुंच चुका है, जो लगभग 11 महीनों के आयात के लिए पर्याप्त है। जेफ़रीज के रणनीतिकारों का मानना है कि 89 रुपये प्रति डॉलर का स्तर रुपये के लिए “बॉटम” साबित होगा और अब और कमजोरी की संभावना सीमित है।
भारतीय इक्विटी बाज़ारों में विदेशी निवेशकों द्वारा भारी बिकवाली के बावजूद घरेलू निवेशकों ने स्थिति को संभाले रखा। 2025 में अब तक एफपीआई ने 16.2 अरब डॉलर की रिकॉर्ड बिक्री की, जिसके चलते भारतीय बाज़ार MSCI उभरते बाज़ार सूचकांक की तुलना में 27 प्रतिशत अंक कमजोर रहे। हालांकि, घरेलू निवेशक आधार ने इन बहिर्वाहों को काफी हद तक संतुलित किया। केवल इक्विटी म्यूचुअल फंड्स में ही अक्टूबर में 321 अरब रुपये तथा जनवरी से अक्टूबर तक कुल 3.7 लाख करोड़ रुपये का नेट इनफ़्लो देखने को मिला।
रिपोर्ट में भारत की एआई (Artificial Intelligence) पर वैश्विक स्थिति का भी विश्लेषण किया गया। जेफ़रीज ने भारत को “रिवर्स एआई ट्रेड” कहा है—अर्थात् यदि वैश्विक एआई रैली कमजोर पड़ती है, तो भारत ताइवान, दक्षिण कोरिया और चीन की तुलना में बेहतर प्रदर्शन कर सकता है, क्योंकि MSCI उभरते बाजारों में इन देशों का भार अधिक है।
कुल मिलाकर, मज़बूत एफडीआई प्रवाह, तेज़ बैंक क्रेडिट वृद्धि और स्थिर व्यापक आर्थिक स्थिति रुपये और भारतीय बाज़ार के लिए सकारात्मक संकेत प्रस्तुत कर रही है।