काविश अजीज/ लखनऊ
महामारी के दौर में जब परिवार के लोग अपनों के अंतिम संस्कार और जनाजे में शामिल नहीं हो रहे हैं ऐसे वक्त में लखनऊ की बेटी वर्षा वर्मा कोरोना संक्रमित लोगों का अंतिम संस्कार कर रही हैं
जब मौत के आंकड़े बढ़े तो हर तरफ लूट मच गई . लाश उठाने वाली गाड़ियों का किराया बीस से पच्चीस हजार हो गया. एंबुलेंस मिलने के लाले पड़ गए, ऐसे में वर्षा ने एक किराए की गाड़ी ली और उसमें लाश भरकर अंतिम संस्कार करने का बीड़ा उठाया और वर्षा ये काम बिना पैसों के कर रही हैं.
इंसानियतः अंतिम क्रिया में मददगार होती हैं वर्षा (फोटोः काविश अजीज)
यह पूछने पर कि इस काम को करने की प्रेरणा कहां से मिली वर्षा ने बताया की उनकी एक दोस्त का लखनऊ के राम मनोहर लोहिया अस्पताल में कोरोना की वजह से निधन हो गया 4 घंटे तक उनके शव को ले जाने के लिए गाड़ी ढूंढती रही लेकिन नहीं मिली फिर साढ़े पांच हजार में एक गाड़ी मिली, इस हादसे ने उन्हें प्रेरणा दिया.
वर्षा ने एक एंबुलेंस लिया उसकी सीटें हटाई और उसे शव वाहन बना दिया लोगों को यह जानकारी कैसी दिया जाए इसके लिए वर्षा लोहिया अस्पताल के बाहर निशुल्क शव वाहन की तख्ती लेकर खड़ी हो गई कुछ ही देर में लोगों के फोन आने लगे और लोग उनसे संपर्क करने लगे वर्षा 1 दिन में दस से पन्द्रह शव कब्रिस्तान और श्मशान ले जाने लगी और दाह संस्कार करने लगीं