जामिया मिलिया ने विकसित किया पर्यावरण के अनुकूल सीमेंट

Story by  राकेश चौरासिया | Published by  [email protected] | Date 11-06-2021
जामिया मिलिया का काम
जामिया मिलिया का काम

 

नई दिल्ली. जामिया मिलिया इस्लामिया (जेएमआई) के सिविल इंजीनियरिंग विभाग के सहायक प्रोफेसर एबदुर रहमान ने एएमयूके शोधकर्ताओं के साथ एक पर्यावरण के अनुकूल सीमेंट विकसित किया है. ऑस्ट्रेलियाई सरकार ने एक बौद्धिक संपदा के रूप में पर्यावरण के अनुकूल सीमेंट का पेटेंट कराया है.

डॉ. रहमान और उनके सह-आविष्कारक एएमयू से प्रो. मुहम्मद आरिफ, प्रो. अब्दुल बाकी, डॉ. एम. शर्क, इंजीनियर मुहम्मद जमाल अल-हाजरी, अमीर सालेह अली हसन द्वारा लिखित, ‘ए मेथड फॉर प्री-पेयरिंग मॉडिफाइड सीमेंट इवॉल्विंग मैकेनिकल एंड केमिकल प्रॉपर्टीज’ का उद्देश्य कार्बन उत्सर्जन को कम करना है.

डॉ. रहमान ने कहा कि निर्माण और अन्य उद्योगों को हरित क्रांति से गुजरने की सख्त जरूरत है, दूसरे शब्दों में, उद्योगों को पर्यावरण के अनुकूल सामग्री को अपनाने और पेश करने की आवश्यकता है.

अपने पीएचडी शोध के दौरान, डॉ. रहमान पिछले आठ वर्षों से नैनो-आधारित संशोधित सीमेंट और कंक्रीट कंपोजिट पर काम कर रहे हैं. डॉ. रहमान के नाम अब दो पेटेंट हैं. पिछले साल सितंबर में, 2020 में, भारत सरकार के पेटेंट कार्यालय द्वारा डॉ. रहमान को बौद्धिक संपदा में पेटेंट प्रदान किया गया था.

आज प्रति किलो सीमेंट के उत्पादन के लिए 1 किलो कार्बन डाइऑक्साइड छोड़ा जाता है. इससे आज प्रतिवर्ष उत्पादित होने वाले 3 से 4 गीगाटन (अरबों टन) सीमेंट और कार्बन डाइऑक्साइड का उत्सर्जन बढ़ जाता है और यह मात्रा बढ़ने की संभावना है. दुनिया भर में इमारतों की संख्या 2060 तक दोगुनी होने की उम्मीद है, जो न्यूयॉर्क शहर में हर 30 दिनों में एक नया निर्माण करने के बराबर है.

सबसे अधिक इस्तेमाल किया जाने वाला साधारण पोर्टलैंड सीमेंट चूना पत्थर को पीसकर और फिर इसे गर्म रेत और मिट्टी में पकाकर बनाया जाता है, जो कोयले को जलाने से उत्पन्न होता है. यह प्रक्रिया दो अलग-अलग तरीकों से कार्बन डाइऑक्साइड पैदा करती है. कोयले को जलाने से और गर्म करने के दौरान तथा चूना पत्थर से निकलने वाली गैसों से इनमें से हर बार कुल उत्सर्जन लगभग समान होता है.