बिहार के फैजान ने छोटी उम्र में खड़ी कर दी रक्तदाताओं की टीम

Story by  मुकुंद मिश्रा | Published by  [email protected] | Date 30-05-2021
बिहार के फैजान ने छोटी उम्र में खड़ी कर दी रक्तदाताओं की टीम
बिहार के फैजान ने छोटी उम्र में खड़ी कर दी रक्तदाताओं की टीम

 

सेराज अनवर / पटना

लगन, जज्बा,जोश हो तो छोटी उम्र में भी कुछ बड़ा किया जा सकता है.कोरोनाकाल में महामारी के खौफ से जब लोग घरों में दुबके हैं, जान हथेली पर रख कर आज भी कई जोशीले नौजवान दूसरों की मदद मंे लगे हैं. ऐसे ही लोगों में शुमार हैं बिहार के गया शहर के फैजान अली.
 
वह एक सामाजिक संस्था के संस्थापक हैं और महज 22 साल की उम्र रक्तदान करने वालों की टीम खड़ी कर दी है. इनकी टीम में शामिल 25 सदस्य 24 घंटे रक्तदान के लिए तैयार रहते हैं. टीम में हिंदू-मुसलमान सभी हैं.
 
फैजान ने एक और मिथ्या तोड़ा है. इनकी टीम में शामिल मुस्लिम लड़कियां  बेहिचक रक्तदान करने में आगे रहती हैं. फैजान के सामाजिक संगठन ह्यूमन हूड का थीम ही है-
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जब बचानी हो जान, तो कर आएं रक्तदान
नाम नहीं, सुकून मिलता है
किसी अंजान को जब खून मिलता है
दीजिए मौका अपने खून को किसी की रगों में बहने का
यही लाजवाब तरीका है कई जिस्मों में जिंदा रहने का 


फैजान ने इलाके के लोगों में ऐसा जज््बा पैदा किया  कि विपुल  सिन्हा,अंशुल सिन्हा,राहुल कुमार,आकाशदीप,प्रज्ञा,मनीषा,जैनब,सदफ,निशात, नवाब आलम,सैफी खान,हामिद खान,मोहम्मद आकीब,सैफ अनवर,रुमान अहमद ,इंशा रहमान,रीना शाह,अदिति भारद्वाज,शबनम आरा,अमृता ने रक्तदान को अपना ईमान बना लिया है.टीम में अधिक्तर कॉलेज के विद्यार्थी हैं. ह्यूमन हूड सोशल मीडिया और अपने संपर्कों के आधार पर इस काम को अंजाम दे रहा है.
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खून से बंधा सौहार्द


कल की बात है ह्यूमन हूड को पता चला की पड़ोसी जिला जहानाबाद के अभय शर्मा को ब्लड की जरूरत है. फैजान ने टीम के साथियों से संपर्क किया. सैफी खान रक्तदान को तैयार हुए और अभय शर्मा को अपना ब्लड दे आए. अभय कैंसर पीड़ित हैं. 
 
सैफी कहते हैं,‘‘ अवसर कभी-कभी दरवाजे पर दस्तक देती है,इसलिए इसे कभी हाथ से न जाने दें और जब भी मौका मिले रक्तदान जरूर करें. इस सोच के तहत हमलोग काम करते हैं.’’
 
फैजान के मुताबिक, कोरोनाकाल में हमारी टीम ने 24 लोगों को रक्तदान किया. इस महामारी के बीच जहां ब्लड बैंकों को ब्लड की कमी का सामना करना पड़ रहा है. वे एक टीम के रूप में सुनिश्चित करने की कोशिश कर रहे हैं कि रक्त की कमी से किसी की जान नहीं जाए. 
 
कहते है, ‘‘लहू का रंग एक है, इसे ह्यूमन हूड आत्मसात भी कर रहा है.’’ अलका सिन्हा को रक्त की जरूरत पड़ी नवाब आलम खड़े हो गए. बनारस के करीब डेहरी ऑन सोन की उषा देवी को हामिद खान का खून चढ़ा.नीरज कुमार को मोहम्मद आकिब ने रक्तदान किया. यह सामाजिक सद्भाव और हिंदू-मुस्लिम एकता की मिसाल भी है. 
 
गौरतलब, है कि टीम की मुस्लिम लड़कियों का उत्साह भी कम सराहनीय नहीं. वो खुद रक्तदान करने आती हैं. कुछ अपने अभिभावक के साथ आती हैं. बच्चों के जज्बा से वो इतना प्रभावित होते हैं कि खुद को रक्तदान से नहीं रोक पाते.
 
बड़े-बुजुर्ग भी इस अभियान से जुड़ते जा रहे हैं. जहांगीर खान पेशे से बस ड्राइवर हैं.उम्र 45 साल. उनकी जिंदादिली और हिम्मत की दाद देनी होगी. जब उन्हें पता चला कि एक मरीज मोहम्मद गुड्डु को एक यूनिट ए पॉजिटिव ब्लड की जरूरत है.
 
उसका सर्जिकल ऑपरेशान होना है.जहांगीर खान रक्तदान को तैयार हो गए. शेरघाटी हमजापुर की तानिया खान नामक मरीज को खून बहने के कारण 4 यूनिट नेगेटिव ब्लड की आवश्यकता थी आजमखान, समीर  खान, अनवर आलम और सबा खान ने इसे पूरा किया.रक्तदान करने वाले ह्यूमन हूड का कहना है कि मैं 100 साल जिंदा रहं या ना रहूं,
 
अपने जिंदगी के सफर में 100 दफा रक्तदान करके हजारों दिलों में सदा रहना जरूर चाहूंगा. आपके रक्तदान से वह रक्त पाने वालोे में एक दिन कोई व्यक्ति आपका करीबी रिश्तेदार, मित्र, प्रिय या खुद आप भी हो सकते हैं. रक्तदान कीजिए और हमेशा किसी के चेहरे पर मुस्कुराहट के रूप में जीवित रहिये! 
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संस्था की स्थापना क्यों ?


फैजान छोटी उम्र से ही बड़ों की संगत और सामाजिक सरगर्मी से जुड़े रहे हैं.एक पार्टी के वरिष्ठ नेता और अधिवक्ता मसूद मंजर, युवा प्रयास के कौशलेंद्र का फैजान को सानिध्य प्राप्त रहा है. आवाज द वॉयस को फैजान ने बताया,‘‘ बचपन से समाज सेवा और इंसानियत की खिदमत करने की ललक थी.
 
इस सोच को परवान देने के लिए 2017 में ह्यूमन हूड ऑर्गनाइजेशन की स्थापना की. तब उसकी उम्र 18 साल थी.एक साल बाद 2018 में पहली बार रक्तदान शिविर का आयोजन किया. यह काफी उत्साहवर्द्धक रहा. तब हमारी टीम में कॉलेज के दो-चार साथी ही मिशन से जुड़े थे. फिर कारवां बनता गया. आज एक बड़ी टीम इस काम से जुड़ी है.
 
उनका संगठन गरीबों में कपड़ा बांटने का भी काम करता है.लोगों से पुराने वस्त्र एकट्ठा कर जरूरतमंदों तक पहुंचाता है. ऑर्गनाइजेशन रिलीफ का काम भी करता है. केरल में बाढ़ के समय टीम ने बिहार से जा कर राहत का काम किया था.कोविड मरीजों को प्लाज्मा डूनेट भी कर चुके हैं टीम के सदस्य .रक्तदान का बिहार के साथ देश भर में चेन बनाने का प्रयास है.दिल्ली, वाराणसी,लखनाउ के साथियों को अभियान से जोड़ा जा रहा है. 
 
फैजान बताते हैं कि दिल्ली में एक व्यक्ति को खून की जरूरत पड़ी,वहां के एक साथी से सम्पर्क किया गया और रक्तदान की व्यवस्था की गई.
 
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कौन हैं फैजान ?


22 वर्षीय फैजान बुद्ध, विष्णु के गया शहर के रहने वाले हैं. बेहद साधारण परिवार से हैं.बैचलर ऑफ बिजनेस मैनेजमेंट(बीबीएम) छात्र के िपिता पिछले महीने की 26 अप्रैल को दुनिया से हमेशा के लिए रूख्सत हो गए. उस फैजान रोजा रखकर कोविड मरीज को दिन-रात ऑक्सीजन सिलिंडर की आपूर्ति में लगे हुए थे.
 
दूसरे की जान बचाने के दौरान ही उन्हें पिता के गुजरने की जानकारी मिली. परिवार पर दुःख का पहाड़ टूट पड़ा, पर फैजान का हौसला नहीं टूटा. समाज सेवा करने केलिए कई संस्थानों ने उनके नौजवान साथियों को सम्मानित भी किया है.फैजान के लिए ये शेर काफी मौजू हैः...
 
मैं झुका नहीं, मैं रुका नहीं, कभी रास्ते से हटा नहीं
मुझे उन सफों में तलाश कर जो डटे हुए हैं महाज पर