संयुक्त राष्ट्र
गाज़ा में जारी भीषण संघर्ष और मानवीय संकट को रोकने के लिए संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में पेश प्रस्ताव पर अमेरिका ने एक बार फिर वीटो का इस्तेमाल किया। यह प्रस्ताव गाज़ा में तत्काल और स्थायी युद्धविराम तथा बंधकों की रिहाई की मांग कर रहा था।
सुरक्षा परिषद के कुल 15 सदस्यों में से 14 देशों ने प्रस्ताव के पक्ष में मतदान किया, जबकि अकेले अमेरिका ने इसका विरोध किया। यह स्थिति अंतरराष्ट्रीय मंच पर अमेरिका और इज़राइल के बढ़ते अलगाव को स्पष्ट रूप से दर्शाती है।
प्रस्ताव में कहा गया था कि गाज़ा की मानवीय स्थिति “विनाशकारी” हो चुकी है। इसमें इज़राइल से अपील की गई थी कि वह गाज़ा में फंसे करीब 21 लाख फिलिस्तीनियों तक मानवीय सहायता पहुंचाने पर लगे सभी प्रतिबंध तुरंत हटाए। साथ ही, बंधकों की सुरक्षित रिहाई और नागरिकों की सुरक्षा सुनिश्चित करने पर भी जोर दिया गया।
अमेरिका ने अपने वीटो को यह कहकर उचित ठहराया कि प्रस्ताव में हमास द्वारा बंधक बनाए जाने और इज़राइल की सुरक्षा चिंताओं का पर्याप्त उल्लेख नहीं है। अमेरिकी प्रतिनिधि का कहना था कि “हम गाज़ा में मानवीय सहायता और नागरिकों की सुरक्षा का समर्थन करते हैं, लेकिन प्रस्ताव संतुलित नहीं था और इससे शांति प्रक्रिया को नुकसान पहुंच सकता था।”
विशेषज्ञों का मानना है कि इस फैसले से गाज़ा युद्ध पर अंतरराष्ट्रीय समुदाय में अमेरिका की आलोचना और तेज होगी। यूरोपीय और एशियाई देशों ने पहले ही गाज़ा में युद्धविराम की तत्काल जरूरत पर जोर दिया है। वहीं अरब और मुस्लिम बहुल देशों ने अमेरिका पर “मानवता से ऊपर राजनीतिक गठजोड़ रखने” का आरोप लगाया है।
गौरतलब है कि गाज़ा में लगभग दो वर्षों से युद्ध जारी है, जिसने हजारों जानें ली हैं और लाखों लोगों को विस्थापित कर दिया है।