जेनेवा
संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार उच्चायुक्त वोल्कर तुर्क ने बुधवार को गंभीर चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि उनके कार्यालय को इस वर्ष 90 मिलियन अमेरिकी डॉलर (लगभग नौ करोड़ डॉलर) की भारी वित्तीय कमी का सामना करना पड़ रहा है। इस बजट संकट का सीधा असर लगभग 300 नौकरियों पर पड़ा है और कई देशों में मानवाधिकार से जुड़े अत्यावश्यक कार्यक्रमों को सीमित या बंद करना पड़ा है।
तुर्क के अनुसार, जिनेवा स्थित संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार कार्यालय वर्तमान समय में “अस्तित्व के लिए संघर्ष” कर रहा है। उन्होंने बताया कि ब्रिटेन, फिनलैंड, फ्रांस और अमेरिका जैसे प्रमुख दाता देशों द्वारा वित्तीय योगदान में कमी किए जाने से यह संकट और गहरा गया है। उन्होंने जोर देकर कहा कि वैश्विक मानवाधिकार चुनौतियों में निरंतर वृद्धि के बावजूद संसाधनों में कटौती बेहद चिंताजनक है।
मानवाधिकार दिवस के अवसर पर पत्रकारों से बातचीत में तुर्क ने कहा,“हमारे कार्यालय के संसाधनों में भारी कटौती हुई है। इसके साथ ही दुनिया भर में मानवाधिकार संरक्षण के लिए काम करने वाले जमीनी संगठनों के वित्तपोषण में भी कमी आ गई है। यह स्थिति हमें अस्तित्व बचाने की लड़ाई लड़ने पर मजबूर कर रही है।”
उन्होंने बताया कि वित्तीय कमी के कारण कोलंबिया, दक्षिण कोरिया, म्यांमा और ट्यूनीशिया जैसे देशों में कई महत्वपूर्ण पद समाप्त करने पड़े और अनेक मानवाधिकार कार्यक्रम सीमित हो गए।तुर्क ने कहा कि इन कटौतियों से हिंसा, संघर्ष, दमन और मानवाधिकार उल्लंघनों का सामना कर रहे स्थानीय समुदायों पर गहरा असर पड़ेगा, क्योंकि इन क्षेत्रों में संयुक्त राष्ट्र की उपस्थिति अक्सर पीड़ितों के लिए एकमात्र उपलब्ध समर्थन होती है।
उन्होंने अंतरराष्ट्रीय समुदाय से अपील की कि मानवाधिकार संरक्षण को “वैकल्पिक बजट मद” की तरह न देखा जाए, बल्कि इसे वैश्विक शांति, न्याय और स्थिरता की बुनियाद के रूप में समझा जाए। तुर्क ने उम्मीद जताई कि दाता देश जल्द ही अपने समर्थन पर पुनर्विचार करेंगे ताकि मानवाधिकार कार्यालय अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाता रहे।