अफगानिस्तान सरकार में शामिल पाकिस्तानी समर्थकों को हटाया जाएः तालिबान अधिकारी

Story by  राकेश चौरासिया | Published by  [email protected] | Date 24-08-2022
अफगानिस्तान सरकार में शामिल पाकिस्तानी समर्थकों को हटाया जाएः तालिबान अधिकारी
अफगानिस्तान सरकार में शामिल पाकिस्तानी समर्थकों को हटाया जाएः तालिबान अधिकारी

 

काबुल. तालिबान के एक अधिकारी ने मंगलवार को इस्लामिक अमीरात को अफगानिस्तान को अंतरराष्ट्रीय अलगाव से बचाने के लिए पाकिस्तान समर्थक लोगों को अपने रैंक से हटाने की सलाह दी.

तालिबान प्रेस के एक सदस्य मुफ्ती अब्दुल हकीम ने कहाए ष्ष्तालिबान शासन में सरकारी एजेंसियां ऐसे लोगों से भरी हुई हैं जो या तो पाकिस्तान के नागरिक हैं या पाकिस्तान के साथ घनिष्ठ संबंध रखते हैं. अगर तालिबान पाकिस्तान समर्थक लोगों को वहां से नहीं हटाता हैए तो अफगानिस्तान को अंतरराष्ट्रीय अलगाव का सामना करना पड़ सकता है.  हकीम अब टेलीविजन बहस में समूह के लाभों का विश्लेषण करते है. उन्होंने हाल ही में कहा है कि तालिबान शासन में सरकारी संस्थान ऐसे लोगों से भरे हुए हैंए जो या तो पाकिस्तान के नागरिक हैं या इस्लामाबाद के साथ घनिष्ठ संबंध रखते हैं.

उन्होंने शमशाद टीवी पर एक चर्चा में इस मुद्दे को स्वीकार किया और कहा कि अगर तालिबान अपनी नीति नहीं बदलता है और पाकिस्तान के लिए प्रतिबद्ध लोगों को अपने रैंक से नहीं हटाता हैए तो संभावना है कि यह समूह अलग.थलग पड़ जाएगा.

विशेष रूप से, पाकिस्तान और उसके सहयोगी तालिबान लॉगरहेड्स में हैं. पाकिस्तान ने यह सोचकर एक रणनीतिक भूल की है कि तालिबानए जिसकी देश ने दो दशकों से अधिक समय तक अमेरिका समर्थित अफगानिस्तान से लड़ने में मदद कीए इस्लामाबाद की इच्छाओं को पूरा करेगा. अफगान डायस्पोरा नेटवर्क की रिपोर्ट के अनुसारए इस समय दोनों देष डूरंड रेखा पर खूनी झड़प की धमकी को लेकर आमने.सामने हैं.

तालिबान के नेतृत्व वाले अफगानिस्तान और पाकिस्तान के बीच संबंध हाल के दिनों में ठंडे चले रहे हैं और हाल ही में सीमा पर तनाव से मामले बढ़ गए हैं. पिछले महीनेए बलूचिस्तान और दो देशों के निमरोज प्रांतों में सीमा गतिरोध से कई वीडियो सामने आए. इससे पहले तालिबान द्वारा नियुक्त रक्षा मंत्री ने कहा कि अफगानिस्तान किसी अन्य देश को अपने हितों के खिलाफ आक्रामक तरीके से काम करने की इजाजत नहीं देगा.

तालिबान शासन द्वारा पाकिस्तान और अफगानिस्तान के बीच सीमा की स्थिति को स्वीकार करने से इनकार ने दोनों देशों के बीच संबंधों में दरार को स्पष्ट रूप से दिखाया है. तालिबान ने अब तक इन इच्छाओं को स्वीकार करने का कोई संकेत नहीं दिखाया है. बल्कि, उन्होंने कई मौकों पर पाकिस्तान की मांगों को खारिज कर दिया है, जिसमें डूरंड रेखा को मान्यता देना भी शामिल है.

टोरंटो स्थित थिंक टैंक इंटरनेशनल फोरम फॉर राइट्स एंड सिक्योरिटी के अनुसारए सदियों से झरझरा रहे बॉर्डर अचानक बंद हो गए हैंए जिन्होंने कई परिवारों को विभाजित कर दिया है. उसने कहाए “पश्तून समुदाय को जो भारी नुकसान हुआ हैए उसने डूरंड रेखा के दोनों ओर के पश्तूनों के मन में पाकिस्तानी राज्य के प्रति गहरा अविश्वास पैदा कर दिया है.”