आवाज द वॉयस/ नई दिल्ली
पाकिस्तान की आबादी के एक बड़े हिस्से को प्राथमिक और बुनियादी स्वास्थ्य देखभाल तक पहुंच नहीं है. द न्यूज इंटरनेशनल की रिपोर्ट के अनुसार, पाकिस्तान में चिकित्सा बुनियादी ढांचे की स्थिति गंभीर होती जा रही है, खासकर उन लोगों के लिए जिन्हें इंसुलिन जैसी आवश्यक दवाओं और इंजेक्शन की जरूरत है, क्योंकि इन दवाओं की लागत उनकी पहुंच से बाहर है.
वहीं पाकिस्तानी अखबार द न्यूज इंटरनेशनल की खबर में मुहम्मद बूटा का उदाहरण दिया गया और कहा गया कि लाहौर में घरेलू कामगार को हर 10 दिन में इंसुलिन की खुराक की जरूरत होती है. और इनमें से सिर्फ एक इंजेक्शन की कीमत उनके वेतन का लगभग 40 प्रतिशत है. पाकिस्तान में लाखों लोगों की स्थिति भी ऐसी ही है क्योंकि वे अपनी जीवन रक्षक दवाओं के लिए अविश्वसनीय धर्मार्थ दान पर निर्भर हैं.
पाकिस्तानी गैर सरकारी स्वास्थ्य सेवा संगठन, सेहत कहानी की एक रिपोर्ट के अनुसार, 50 प्रतिशत से अधिक पाकिस्तानियों के पास बुनियादी प्राथमिक स्वास्थ्य सेवाओं तक पहुंच नहीं है, और लगभग 42 प्रतिशत के पास स्वास्थ्य कवरेज तक पहुंच नहीं है.
न्यूज इंटरनेशनल की रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि हालात और बदतर हो सकते हैं. फरवरी में देश की कैबिनेट ने 146 आवश्यक दवाओं की कीमतें बढ़ा दीं, जिससे उनमें से कई कम आय वाले लोगों की पहुंच से और भी दूर हो गईं.
स्वास्थ्य ढांचे के लिए यह गंभीर स्थिति सरकारी फंडिंग की भारी कमी है. 2021 के आंकड़ों के मुताबिक, पाकिस्तान की सरकार स्वास्थ्य सेवाओं पर अपनी जीडीपी का महज 0.84 फीसदी खर्च करती है. यह उसके सकल घरेलू उत्पाद के 0.94 प्रतिशत से कम है जो उसने 2019 में खर्च किया था और अन्य निम्न-मध्यम आय वाले देशों के औसत 2.62 प्रतिशत से एक तिहाई से भी कम है.
न्यूज इंटरनेशनल की रिपोर्ट में आगे कहा गया है, 2021 में, 189 देशों में से, पाकिस्तान अपनी अर्थव्यवस्था के आकार के सापेक्ष सरकार द्वारा स्वास्थ्य देखभाल पर खर्च की गई राशि के मामले में 176वें नंबर पर आया. यह इंगित करते हुए कि सरकार ने स्वास्थ्य सेवा के लिए वित्त पोषण को प्राथमिकता नहीं दी है.
सबसे बड़ी बात तो यह है कि पाकिस्तान के एक मानवाधिकार संगठन ने 'द राइट टू हेल्थ ए पीपल्स मेनिफेस्टो' शीर्षक वाले अपने अभियान में स्वास्थ्य के अधिकार को संवैधानिक अधिकार बनाने की मांग उठाई थी.
बढ़ती गरीबी, मुद्रास्फीति और बेरोजगारी के कारण देश को ऐसे संकट का सामना करना पड़ रहा है, क्योंकि देश अपने इतिहास में सबसे खराब आर्थिक संकटों में से एक का सामना कर रहा है. समाचार रिपोर्ट में दावा किया गया है कि अन्य क्षेत्रों में, पाकिस्तान की आबादी मौजूदा उथल-पुथल से पहले भी किसी न किसी संकट से पीड़ित थी.
विश्व खाद्य कार्यक्रम की एक रिपोर्ट में अनुमान लगाया गया है कि 2018 में, पाकिस्तान की 21 प्रतिशत आबादी कुपोषित थी और पांच साल से कम उम्र के 44 प्रतिशत बच्चों का विकास अवरुद्ध हो गया था. एशियाई विकास बैंक ने बताया कि 2020 में पाकिस्तान में पैदा होने वाले प्रत्येक 1,000 बच्चों में से 65 बच्चे अपने पांचवें जन्मदिन से पहले मर जाएंगे. 2020 में लगभग 25 प्रतिशत आबादी के पास बिजली तक पहुंच नहीं थी. इसके अतिरिक्त, देश सबसे गंभीर जलवायु परिवर्तन संकटों में से एक से भी प्रभावित है.