वियना
ईरान ने गुरुवार को आख़िरी समय में परमाणु स्थलों पर हमले रोकने वाले प्रस्ताव को वापस ले लिया। यह प्रस्ताव उसने चीन, रूस और कई अन्य देशों के साथ मिलकर संयुक्त राष्ट्र के परमाणु प्रहरी संगठन IAEA (इंटरनेशनल एटॉमिक एनर्जी एजेंसी) की वार्षिक बैठक में पेश किया था।
पश्चिमी राजनयिकों के मुताबिक़, अमेरिका ने पर्दे के पीछे ज़बरदस्त लॉबिंग की और चेतावनी दी कि अगर यह प्रस्ताव पारित हुआ और इज़रायल के अधिकार सीमित किए गए, तो वह IAEA की फंडिंग कम कर देगा।
1981 में इज़रायल ने इराक़ के एक परमाणु रिएक्टर पर हमला किया था, जिसके बाद UN सुरक्षा परिषद और IAEA ने उस कार्रवाई की कड़ी निंदा की थी।
इस बार ईरान ने अपने प्रस्ताव में जून 2025 में हुए इज़रायली और अमेरिकी हमलों को “अंतरराष्ट्रीय क़ानून का स्पष्ट उल्लंघन” बताया था।
IAEA सम्मेलन में ईरान के राजदूत रेज़ा नजफ़ी ने कहा कि “सद्भावना और रचनात्मक बातचीत की भावना के तहत, और कई सदस्य देशों के आग्रह पर, हमने इस प्रस्ताव को अगले साल तक टालने का फ़ैसला किया है।”
उन्होंने आरोप लगाया कि इस मुद्दे पर अमेरिका ने राजनीतिक दबाव और धमकियों के ज़रिए माहौल को प्रभावित किया।
ईरान की परमाणु एजेंसी के प्रमुख मोहम्मद इस्लामी ने कहा कि “अमेरिका ने हाल ही में परमाणु स्थलों पर हमलों को लेकर जिस तरह से धमकी और दबाव बनाया, वह गंभीर चिंता का विषय है।”
वियना स्थित अमेरिकी मिशन के कार्यवाहक प्रतिनिधि हावर्ड सोलोमन ने प्रस्ताव को “तथ्यों को तोड़-मरोड़ कर पेश करने वाला” क़रार दिया। उनका कहना था कि अगर यह मतदान के लिए आता तो “भारी बहुमत से खारिज कर दिया जाता।”
सोलोमन ने कहा कि ईरान का संवर्धन कार्यक्रम इज़रायल और क्षेत्र के लिए “गंभीर और बढ़ता हुआ ख़तरा” है, इसलिए राष्ट्रपति ट्रम्प के निर्देश पर निर्णायक कदम उठाए गए।
इस बैठक के साथ ही फ्रांस, जर्मनी और ब्रिटेन ने ईरान पर फिर से UN प्रतिबंध लगाने की प्रक्रिया शुरू कर दी है।
इसे ‘स्नैपबैक’ कहा जाता है, जो ईरान के 2015 परमाणु समझौते का हिस्सा था।
30 दिन की समयसीमा तय की गई है, जिसके भीतर अगर कोई नया समझौता नहीं होता, तो स्वतः प्रतिबंध बहाल हो जाएंगे।
यूरोपीय देशों ने संकेत दिए हैं कि अगर ईरान अमेरिका से सीधी बातचीत बहाल करता है और UN निरीक्षकों को परमाणु स्थलों पर पहुँच देता है, तो वे समयसीमा बढ़ा सकते हैं।
फ़्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों ने इज़रायल के चैनल 12 से बातचीत में कहा: “हाँ, स्नैपबैक अब लगभग तय है क्योंकि ईरान से हमें कोई गंभीर संकेत नहीं मिले हैं।”