काबुल. संयुक्त राज्य अमेरिका द्वारा अफगानिस्तान की संपत्ति को फ्रीज करने की आलोचना करते हुए, इस्लामिक अमीरात के प्रधानमंत्री मुल्ला मोहम्मद हसन अखुंद ने रविवार को अंतर्राष्ट्रीय समुदाय से अफगानिस्तान के आंतरिक मामलों में हस्तक्षेप करना बंद करने का आग्रह किया.
मुल्ला मोहम्मद हसन अखुंद ने कहा, ‘‘हमने कहा कि हम किसी को या किसी देश को कोई नुकसान नहीं पहुंचाएंगे और हम किसी भी देश द्वारा हस्तक्षेप नहीं करना चाहते हैं. हम अपने वादे निभाते हैं, क्योंकि हम मुसलमान हैं. हम विदेशों में मुसलमानों के लिए समस्याएं पैदा नहीं करने का आह्वान करते हैं और वे अपने वादे निभाएं.’’
उन्होंने आगे अफगानों को देश की अच्छी सुरक्षा स्थिति पर जोर देते हुए अपने देश लौटने के लिए कहा. हालांकि, विषेषज्ञों के अनुसार, यह अभी भी दूर की कौड़ी जैसा दिखता है, क्योंकि देश अंतरराष्ट्रीय आकलन के अनुसार एक गंभीर मानवीय संकट से जूझ रहा है.
अफगानिस्तान में अब दुनिया में आपातकालीन खाद्य असुरक्षा वाले लोगों की संख्या सबसे अधिक है. 23 मिलियन से अधिक लोगों को सहायता की आवश्यकता है और लगभग 95 प्रतिशत आबादी के पास अपर्याप्त भोजन है.
कार्यवाहक आंतरिक मंत्री सिराजुद्दीन हक्कानी ने ईद-उल-फितर के अवसर पर एक बयान में कहा कि माफी का फरमान इस्लामिक अमीरात के नेता की प्रतिज्ञा थी, जिसका सभी को पालन करना चाहिए और इसका उल्लंघन करने वाली ताकतों को न्याय के कटघरे में लाया जाएगा.
मीडिया रिपोर्टों के अनुसार, तालिबान ने 15 अगस्त, 2021 को अफगानिस्तान पर नियंत्रण कर लिया और महिलाओं के अधिकारों की प्रगति और मीडिया की स्वतंत्रता को वापस ले लिया था.
विशेष रूप से, अफगान सरकार के पतन के बाद से अफगानिस्तान में मानवाधिकारों की स्थिति खराब हो गई है. यद्यपि देश में लड़ाई समाप्त हो गई है, लेकिन गंभीर मानवाधिकारों का उल्लंघन बेरोकटोक जारी है.