मलिक असगर हाशमी/नई दिल्ली
उलटे-सीधे फैसलों से पाकिस्तानी आवाम को मुसीबत में डालने वाले इमरान खान की छेद से हाथी पार कराने की आदत नहीं जा रही. जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद-370हटने के बाद अपने विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी के अनर्गल बयान से खफा सऊदी अरब के प्रिंस और वहां की सरकार को खुश करने के लिए इमरान ने एक और ऊटपटांग हरकत कर दी है. सऊदी अरब की तरफ से दो अरब डॉलर के कर्ज की किस्त मांगे जाने से उनके हाथ-पैर फूल गए थे. इस तंगहाली में इतनी मोटी रकम चुकाने का अर्थ था पाकिस्तानी अर्थव्यवस्था का जमींदोज हो जाना और जब मामला ठंडा करने के लिए सेना प्रमुख कमर जावेद बाजवा को भेजे जाने के बाद भी जब बात नहीं बनी, तो उन्होंने एक विलुप्तप्राय पक्षी के शिकार की अनुमति देने का रास्ता अपनाया.
सऊदी अरब के क्राउन प्रिंस और सऊदी सरकार को खुश करने के लिए उसके दो राज्यपालों सहित कई प्रमुख लोगों को जिस विलुप्तप्राय पक्षी के आखेट की अनुमति दी गई है, उसका नाम है होउबारा बस्टर्ड. इसे भारत में सोन चिरैया के नाम से जाना जाता है और पाकिस्तान में इसे तलोर कहते हैं. इमरान ने इसके शिकार की अनुमति न केवल अपने ही देश की सुप्रीम कोर्ट के आदेशों को दरकिनार करके दी है, बल्कि अंतरराष्ट्रीय पाबंदियों को भी नजरअंदाज कर दिया है. पाकिस्तानी सुप्रीम कोर्ट अलावा इंटरनेशनल यूनियन फॉर कन्जर्वेशन ऑफ नेचर (आईयूएनसी) ने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रतिबंध लगा रखा है. खुद इमरान भी पूर्व में इसके शिकार के खिलाफ मुखर रहे हैं.
ठंडे इलाकों का परिंदा हैं होउबारा बस्टर्ड
आकार में यह मुर्गी जैसा और स्वभाव से शर्मीला होता है. मध्य एशिया के ठंडे इलाकों में पाया जाने वाला यह परिंदा अत्यधिक ठंड पड़ने पर जान बचाने एवं चारे की तलाश में गर्म इलाके में पहुंचता है. सर्दियों में होउबारा पाकिस्तान के पंजाब, पख्तून ख्वाह एवं बलूचिस्तान प्रांत में अपना ठिकाना बनाता है. चूंकि इसकी संख्या निरंतर घट रही, इसलिए इसके संरक्षण तथा सर्दियों में उसके पलायन के मद्देनजर होउबारा फाउंडेशन इंटरनेशनल की पहल पर पाकिस्तान के पंजाब के बहावलपुर में ‘लाल शनरा राष्ट्रीय उद्यान’ स्थापित किया गया है.
पाकिस्तान में बीबीसी के रिपोर्टर एम. इलियास खान बताते हैं,“तमाम तरह के प्रतिबंध के बावजूद यहां होउबारा का बड़े पैमाने पर अवैध शिकार हो रहा है. रही-सही कसर सर्दियों में खाड़ी देशों के शाही खानदान पूरी कर देते हैं. सऊदी राजघराने में होउबारा के शिकार को बतौर खेल माना जाता है, इसलिए हर साल कोई न कोई उपाय कर वे शिकार करने पाकिस्तान पहुंच जाते हैं. सऊदी देशों के पाकिस्तान पर इतने एहसान हैं कि देश में सरकार जिसकी भी हो उन्हें शिकार की इजाजत मिल ही जाती है. यही नहीं, खेल का लुत्फ उठाने के चक्कर में अनुमति से कहीं ज्यादा संख्या में इस दुर्लभ पक्षी का शिकार कर दिया जाता है. हर शिकारी को 100होउबारा के शिकार की इजाजत मिलती है, लेकिन जान गंवाने वाले पक्षियों की संख्या हजारों में पहुंच जाती है.”
शाही मेहमानों के आगे कोर्ट भी कुछ नहीं
पाकिस्तान में सुप्रीम कोर्ट ने 2015 में होउबारा के शिकार पर प्रतिबंध लगा दिया था. बावजूद इसके, पाकिस्तान का विदेश मंत्रालय हर साल 25 से 35 विशेष परमिट जारी करता है. नवाज शरीफ के कार्यकाल में इमरान ने इस मामले को लेकर काफी हो-हल्ला मचाया था, लेकिन अब उन्हें लग रहा है कि ऐसे ‘प्रयासों’ से खाड़ी देशों से रिश्ते तो मजबूत होंगे ही साथ ही होउबारा बस्टर्ड का शिकार पाकिस्तान को करीब दो करोड़ डॉलर की कमाई भी कराएगा. इसी क्रम में बहरीन के शाही परिवार के सात सदस्यों को 100-100 पक्षियों के शिकार की मंजूरी दी गई है.
यही नहीं विदेश मंत्रालय ने पंजाब, सिंध एवं बलूचिस्तान प्रांत सरकारों को शाही मेहमानों की खिदमत के लिए विशेष दिशा-निर्देश जारी किए हैं. पाकिस्तानी अखबार ‘द डॉन’ और ‘जीएनएन टीवी नेटवर्क’ के अनुसार, तीनों प्रांतों को शाही मेहमानों का खास ख्याल रखने को कहा गया है. खाड़ी के शाही परिवारों को पाकिस्तान में सऊदी अरब के दूतावास के माध्यम से अक्टूबर में शिकार का परमिट उपलब्ध कराया गया था, लेकिन विपक्ष पार्टियां हंगामा न करें. इसलिए इसे दबाए रखा गया था, मगर शिकार की तारीख करीब आते ही मामला सुर्खियों में आ गया.
कहां-किसे मिली है इजाजत
क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान बिन अब्दुल अजीज पंजाब के लैय्यार और भाक्कर जिले में शिकार करेंगे
तबुक गर्वनर प्रिंस फहद बिन सुल्तान बिन अब्दुल अजीज बलूचिस्तान के जिला आवन, नोश्की एवं चघई में शिकार करेंगे, नोख कुंडी में आखेट की इजाजत नहीं
बातिन के गर्वन प्रिंस मंसूर बिन मोहम्मद एस. अब्दुल रहमान को पंजाब के डेरागाजी खान में शिकार का परमिट दिया गया है
परमिट पाने वाले भी ‘दागदार’
मजे की बात यह है कि सऊदी शाही परिवार को खुश करने के चक्कर में इमरान खान ने उन दो लोगों को भी दुर्लभ पक्षी के शिकार की इजाजत दे दी है, जो पाकिस्तान सरकार की नजर में ‘दागदार’ हैं. उन पर पिछले शिकार की मोटी फीस नहीं चुकाने के आरोप हैं.तबुक के गर्वनर प्रिंस फहद बिन सुल्तान पर 1,00,000अमेरिकी डॉलर बकाया हैं. उन पर 2,000होउबारा का अवैध शिकार का आरोप है. 60बाजों के शिकार की फीस भी अदा नहीं की, जिसका उन पर 60,000यूएस डॉलर बकाया हैं. वहीं बातिन के गवर्नर प्रिंस मंसूर बिन मोहम्मद एस अब्दुल रहमान पर 1,60,000यूएस डॉलर का बकाया हैं.
इमरान का दोहरा रवैया
होउबारा के शिकार की अनुमति देने पर प्रधानमंत्री इमरान खान का दोहरा रवैया उजागर हुआ है. पाकिस्तानी सुप्रीम कोर्ट ने इसके शिकार पर पूरी तरह प्रतिबंध लगा रखा है. सख्ती से इसके पालन की हिदायत भी दी गई है. इसके बावजूद 2017में जब तत्कालीन नवाज शरीफ सरकार ने खाड़ी के शाही खानदान के कुछ लोगों को शिकार की विशेष अनुमति दी थी, तो तहरीक-ए-इंसाफ पार्टी की नुमाइंदगी करने वाले इमरान खान ने इसे ‘राष्ट्रीय शर्म’ बताते हुए इतना बवाल मचाया था कि नवाज शरीफ सरकार को शिकार का परमिट रद्द करना पड़ा था. उनकी सरकार ने पख्तून ख्वाह में होउबारा के शिकार की अनुमति दी थी. इससे पहले सऊदी शाही परिवार की मेहमाननवाजी देश हित में बताकर बेनजीर भुट्टो, आसिफ अली जरदारी, परवेज मुशर्रफ की सरकारें भी शिकार की अनुमति देती रही हैं. इमरान जब शिकार का मामला सुप्रीम कोर्ट में ले गए थे, तो नवाज शरीफ सरकार की दलील दी थी कि शाही परिवारों को शिकार की इजाजत देना विदेश नीति का हिस्सा है. अब वही दलील इमरान खान सरकार भी दे रही हैं.