संसद की परीक्षा में फेल होने से बचे इमरान खान

Story by  मलिक असगर हाशमी | Published by  [email protected] | Date 19-11-2021
 इमरान खान
इमरान खान

 

आवाज द वाॅयस / नई दिल्ली
 
चुनाव संशोधन बिल के बहाने एक बार फिर इमरान खान संसद की परीक्षा में पास हो गए. हालांकि संसद की संयुक्त बैठक से पहले जैसा माहौल था, उससे लगता रहा था कि इमरान खान सरकार बहुमत खो देगी और देश में चुनाव की नौबत आ सकती है. अलग बात है कि विपक्ष में भीतरघात और संसद के अध्यक्ष की ‘कारस्तानी’ की वजह से ऐसी नौबत नहीं आई.
 
पाकिस्तान की संसद का संयुक्त सत्र प्रधानमंत्री इमरान खान के लिए संसद में बहुमत साबित करने का एक मौका था, जो उन्होंने किया. पाकिस्तान के अखबार एक्सप्रेस ट्रिब्यून की रिपोर्ट के अनुसार, उनकी पार्टी के सदस्यों और सहयोगियों के 221 मतों के समर्थन के साथ, सरकार विपक्ष के विरोध के बीच सत्र को आगे बढ़ाने में सफल रही.
 
विपक्षी सांसदों के मोर्चाबंदी के दौरान नेशनल असेंबली के अध्यक्ष असद कैसर ने सत्र स्थगित करने का आग्रह किया ताकि दोनों पक्ष एक साथ बैठ सकें और एजेंडा आइटम पर विचार कर सके. मगर ऐसा नहीं हुआ. इस बीच खूब नारेबाजी हुई. इमरान खान हाय, हाय के नारे लगे. प्रस्ताव की कापियां फाड़कर सदन में उड़ाई गईं.
 
बावजूद तमाम विरोध केसरकार ने विधायी कार्य को आगे बढ़ाते हुए 33 विधेयकें पारित कर दीं. हालांकि पाकिस्तान का विपक्ष सोच रहा था कि प्रधानमंत्री इमरान खान नेशनल असेंबली और सीनेट में अपने सदस्यों और सहयोगियों का विश्वास खो देंगे. इसके विपरीत इमरान इस तूफान से आराम से गुजर गए.
 
पिछले हफ्ते, सरकार को नेशनल असेंबली में दो बार हार का सामना करना पड़ा. ऐसे में उसे 24 घंटे के भीतर संसद की संयुक्त बैठक बुलानी पड़ी. सहयोगी दलों ने भी सरकार से दूरी बना ली थी.ऐसे में विपक्ष उम्मीद कर रहा था कि सरकार संख्या बल पूरा करने में सक्षम नहीं होगी. उन्हें विश्वास था कि उनके पास एक सप्ताह पहले की तरह सरकार को रोकने का मौका होगा.
 
 
हालांकि, जब वोटों की गिनती हुई, तो विपक्ष के सात सदस्य अलग-अलग कारणों से अनुपस्थित पाए गए. वजह बताई गई स्वास्थ्य संबंधी समस्या और विदेश यात्रा.संसद के संयुक्त सत्र से पहले विपक्ष के चेहरे पर विजयी मुस्कान थी, जो वोटिंग के दौरान गायब दिखी.
 
संयुक्त बैठक में सभी आवश्यक विधेयक पारित हो गया, जिसमें दो प्रमुख विधेयक शामिल हैं.एक इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीनों के माध्यम से अगले चुनाव कराना और विदेशी पाकिस्तानियों को भविष्य के चुनावों में वोट देने का अधिकार देना. विपक्ष का आरोप है कि सदन में वोटिंग के दौरान अध्यक्ष ने मनमाना रवैया अपनाया और सरकार के हक में वोटिंग कराने का माहौल पैदा किया.