राकेश चौरासिया/नई दिल्ली
अफगानिस्तान छोड़ते समय अमेरिकी सेना अपने पीछे अरबों डॉलर के फाइटर जेट, चॉपर, सैन्य वाहन और अन्य युद्धक सामग्री छोड़ गई. इस सैन्य साजो-सामान के पाकिस्तान और चीन के हाथों पड़ने की आशंकाएं जताई जा रही थीं. इसी बीच अमेरिकी सैन्य वाहनों का एक कारवां ईरान में देखा गया है. सामरिक विशेषज्ञों का सवाल है कि क्या ये वाहन तालिबान द्वारा ईरान को सौंपे गए हैं.
अमेरिका में इस बात का लेकर जो बाइडेन प्रशासन से हर रोज तरह-तरह के सवाल किए जा रहे हैं कि अरबों डॉलर के हथियार अफगानिस्तान में छोड़े जाने की क्या जल्दबाजी थी.
ईरान और अमेरिका के बीच तनातनी जग जाहिर है. ऐसे में अमेरिकी सैन्य वाहनों का ईरान में देखा जाना अमेरिका के लिए शर्मिंदगी का कारण बन सकता है.
अमेरिका ने अफगान सुरक्षा बलों को 70,000से अधिक सैन्य वाहन दिए थे. ऐसे आरोप बड़े पैमाने पर सामने आए हैं कि तत्कालीन राष्ट्रपति अशरफ गनी द्वारा ऐसे कमांडरों को हटा दिया था, जो तालिबान से मुकाबला करना चाहते थे, बल्कि न लड़ने वाले कमांडरों को कमान सौंपकर तालिबान से मुकाबला न करने के आदेश दिए थे. इसलिए तालिबान की जीत ज्यादा आसान हो गई और अमेरिकी हथियार और वाहन उसके हाथ लग गए.
अरब न्यूज की एक रिपोर्ट के अनुसार, रक्षा और सुरक्षा विश्लेषक जोनाथन किटसन ने कहा, “इन वाहनों का नुकसान अमेरिका के लिए एक और शर्मिंदगी है और यह भविष्य में हानिकारक हो सकता है. यदि इन वाहनों का उपयोग मूल्यवान तकनीकी जानकारी निकालने या फिर ईराक में अमेरिकी सेना का प्रतिरूपण करने के लिए किया गया, तो.”
उनका कहना है, “वाशिंगटन की खुफिया एजेंसियों से गंभीर सवाल पूछे जाने चाहिए, जो गलत तरीके से मानते थे कि यह परिदृश्य नहीं होगा.”
एक क्लिप पोस्ट करने वाले एक सोशल मीडिया चैनल ने दावा किया कि ईरानियों ने कुछ अमेरिकी टैंक भी बरामद किए हैं.
हालांकि ईरान और तालिबान के बीच मधुर संबंध नहीं कहे जा सकते हैं. ईरान अभी ‘वेट एंड वाच’ की स्थिति में है. ईरान का अफगानिस्तान के हजारा शिया समुदाय से सांस्कृतिक ताल्लुक है और ईरान हर कीमत पर उनकी रक्षा चाहता है.
पिछले शासन काल में तालिबान के कट्टर सुन्नी जिहादियों ने शिया हजारा समुदाय में जमकर खून-खराबा किया था. ऐसे दृश्य तालिबान 2.0में न हों, इसके लिए ईरान अभी तक तालिबान के साथ सधा हुआ व्यवहार कर रहा है.
ऐसे में तालिबान द्वारा ईरान को सैन्य वाहन दिए जाने की बात जांच का विषय है.
कुछ सूत्र यह भी संभावना जता रहे हैं कि तालिबान में पैठ रखने वाले कुछ शस्त्रास्त्र तस्करों ने ये वाहन ईरान तक पहुंचाए हैं.