ढाका. बांग्लादेश जागरूक नागरिक समिति (बीसीसीसी) ने गुरुवार को यहां राष्ट्रीय संग्रहालय के सामने नरसंहार स्मरण दिवस के अवसर पर विरोध प्रदर्शन किया. बीसीसीसी विरोध रैली का आह्वान दिन में पहले किया गया था.
इसकी अध्यक्षता मुक्तिजोद्दा के प्रोफेसर डॉ. नीमचंद भौमिक ने की.
रैली में नेताओं ने 25 मार्च 1971 को पाकिस्तानी सेना द्वारा बांग्लादेश में किए गए नरसंहार की निंदा की.
पाकिस्तानी सेना ने नौ महीने तक अंधाधुंध हत्या, निर्दोष लोगों की यातना और अभूतपूर्व पैमाने पर बलात्कार के साथ पूरे बांग्लादेश को एक हत्या के मैदान में बदल दिया.
यह विश्व इतिहास में पाकिस्तान के जनरल याह्या खान के नेतृत्व में सबसे बड़े नरसंहारों में से एक की शुरुआत थी, जिसने द्वितीय विश्व युद्ध के बाद अब तक की सबसे बड़ी मानवीय तबाही मचाई थी.
उन्होंने 30 लाख लोगों को मार डाला. स्वतंत्रता सेनानियों और शोधकर्ताओं का दावा है कि अभी भी, जिले और उपजिला स्तरों में कई सामूहिक कब्रें अज्ञात हैं.
रैली के नेताओं और प्रतिभागियों ने इस नरसंहार या ऑपरेशन सर्चलाइट की अंतर्राष्ट्रीय मान्यता की मांग की.
उन्होंने पाकिस्तान सरकार से माफी मांगने और युद्ध अपराधियों पर तुरंत मुकदमा चलाने की भी मांग की.