आवाज द वॉयस/नई दिल्ली
चीन और तालिबान ने शुक्रवार को अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के उस प्रस्ताव को खारिज कर दिया, जिसमें उन्होंने चीन की सीमा के पास स्थित अफगानिस्तान की रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण बगराम एयरबेस को दोबारा हासिल करने की बात कही थी.
बीजिंग ने क्षेत्रीय टकराव भड़काने के किसी भी प्रयास के खिलाफ चेतावनी दी, जबकि काबुल ने दोहराया कि अफगानों ने कभी भी विदेशी सैन्य मौजूदगी को स्वीकार नहीं किया.
बगराम एयरबेस एक विशाल सैन्य ठिकाना है, जिसे अमेरिकी सैनिकों ने चार साल पहले 2021 में छोड़ दिया था, जब तत्कालीन राष्ट्रपति जो बाइडेन के आदेश पर अमेरिका ने अफगानिस्तान से अचानक वापसी की थी और उसी दौरान तालिबान ने काबुल पर कब्जा कर लिया था.
ट्रंप ने बृहस्पतिवार को ब्रिटेन के प्रधानमंत्री केअर स्टॉर्मर के साथ एक संयुक्त संवाददाता सम्मेलन में कहा कि वह इस एयरबेस को वापस पाने की कोशिश कर रहे हैं, क्योंकि यह उस स्थान के पास है, जहां चीन अपने परमाणु हथियार बनाता है। अमेरिकी राष्ट्रपति ब्रिटेन के राजकीय दौरे पर थे.
रूस के यूक्रेन पर आक्रमण को समाप्त कराने के बारे में पूछे गए एक सवाल के जवाब में ट्रंप ने इस बेस का जिक्र किया और कहा, ‘‘हम इसे वापस पाने की कोशिश कर रहे हैं.
ट्रंप की टिप्पणी पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए तालिबान अधिकारी जाकिर जलाल ने कहा कि अफगानिस्तान की अंतरिम सरकार इस विचार को ‘‘पूरी तरह से खारिज’’ करती है.
उन्होंने ‘एक्स’ पर एक पोस्ट में कहा कि अफगानिस्तान और अमेरिका को एक-दूसरे के साथ मिलकर काम करने की जरूरत है और वे आपसी सम्मान और साझा लाभ के आधार पर आर्थिक और राजनीतिक संबंध बना सकते हैं, वह भी अफगानिस्तान के किसी भी हिस्से में अमेरिका की सैन्य मौजूदगी के बिना.
जलाल ने कहा, ‘‘अफगानिस्तान ने इतिहास में कभी भी सैन्य मौजूदगी को स्वीकार नहीं किया है, और दोहा वार्ता तथा समझौते के दौरान इस संभावना को पूरी तरह से खारिज कर दिया गया था, लेकिन अन्य गतिविधियों के लिए दरवाजे खोल दिए गए हैं.