वॉशिंगटन
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के प्रशासन को बड़ा झटका देते हुए एक संघीय जज ने ग्वाटेमाला से आए उन प्रवासी बच्चों को तत्काल वापस भेजने की योजना पर रोक लगा दी है, जो अकेले अमेरिका पहुंचे थे। यह फैसला ट्रंप की कड़ी आव्रजन नीति के खिलाफ जारी कानूनी जंग का नया अध्याय माना जा रहा है।
यूएस डिस्ट्रिक्ट जज टिमोथी जे. केली, जिन्हें खुद ट्रंप ने नामित किया था, ने कहा कि प्रशासन का यह दावा निराधार है कि बच्चों के माता-पिता ने उन्हें वापस भेजने का अनुरोध किया था। जज ने टिप्पणी की—“सरकार का यह तर्क एक हफ्ते में ताश के पत्तों की तरह ढह गया, क्योंकि ऐसा कोई सबूत नहीं है कि माता-पिता ने अपने बच्चों की वापसी चाही हो।”
होमलैंड सिक्योरिटी की असिस्टेंट सेक्रेटरी ट्रिशा मैकलॉफलिन ने कहा कि अदालत बच्चों को माता-पिता से मिलाने की प्रक्रिया रोक रही है।
वहीं बच्चों के पक्ष में काम करने वाले वकीलों ने एक व्हिसलब्लोअर रिपोर्ट पेश की, जिसमें कहा गया कि जिन बच्चों को निर्वासन सूची में डाला गया था, उनमें से कई हिंसा, गैंग धमकियों और मानव तस्करी के शिकार थे।
इमिग्रेशन लॉ सेंटर के उपाध्यक्ष एफ्रेन सी. ओलिवारेस ने अदालत के फैसले का स्वागत करते हुए कहा कि “सरकार बार-बार गलत तथ्यों का सहारा लेकर संवेदनशील बच्चों को निशाना बना रही थी। अदालत ने इस सच्चाई को भांप लिया।”
30 अगस्त की रात, प्रशासन ने शेल्टरों को नोटिस दिया कि ग्वाटेमाला के बच्चों को तुरंत रवाना करने की तैयारी की जाए।
इमिग्रेशन एंड कस्टम्स एन्फोर्समेंट (ICE) ने बच्चों को शेल्टर और फोस्टर केयर से उठाकर हवाई अड्डों तक पहुँचाया।
शुरुआती सूची में 457 बच्चे थे, जो घटकर 327 रह गई। इनमें से 76 बच्चों को टेक्सास के एल पासो और हार्लिंगन से विमान में बिठाकर भेजने की तैयारी की गई थी।
17 वर्षीय एक किशोर की माँ बर्टिल्डा लोपेज़ ने कहा, “माँ होने के नाते मैं चाहती हूँ कि मेरा बेटा सुरक्षित रहे। चाहे इसका मतलब उसे वापस भेजना हो या यहां कैद रहना। लेकिन उसे इस तरह बंद देखना मुझे पीड़ा देता है।”
वहीं प्रायोजक एलिसाबेथ टोका ने उम्मीद जताई कि लड़का अमेरिका में रह पाएगा और उसे बेहतर जीवन मिल सकेगा।
इससे पहले भी अस्थायी आदेश लागू था, जिसकी मियाद मंगलवार को ख़त्म होनी थी। जज केली ने इसे अनिश्चितकाल तक बढ़ाते हुए प्राथमिक निषेधाज्ञा (preliminary injunction) जारी कर दी।
हालांकि उन्होंने यह स्पष्ट किया कि यह आदेश केवल ग्वाटेमाला के बच्चों पर लागू होगा, अन्य देशों के बच्चों के निर्वासन को रोकने की मांग उन्होंने ख़ारिज कर दी, लेकिन चेतावनी दी कि ऐसी कार्रवाई कानूनी रूप से अवैध होगी।
अन्य राज्यों, जैसे एरिज़ोना और इलिनॉयस, में भी संकीर्ण दायरे वाले अलग-अलग आदेश लागू हैं।
कानूनी समूहों के अनुसार, अगर यह फैसला न आता तो ग्वाटेमाला समेत मध्य अमेरिकी देशों से आए सैकड़ों बच्चों को जल्द ही निर्वासित कर दिया जाता।
एकेसिया सेंटर फॉर जस्टिस की निदेशक शैना एबर ने कहा, “यह एक त्रासदी बनने वाली थी, जिसे समय रहते वकीलों और कार्यकर्ताओं ने रोक लिया।”