30 करोड़ महिलाओं के लिए अब भी सैनिटरी नैपकिन खरीदना सपना

Story by  मुकुंद मिश्रा | Published by  [email protected] | Date 28-05-2021
मासिक धर्म को लेकर वर्जनाएं तोड़ना जरूरी
मासिक धर्म को लेकर वर्जनाएं तोड़ना जरूरी

 

आवाज- द वॉयस

ऐसे समय में जब कोविड संक्रमण अभी भी चिंताजनक है,जालंधर में युवाओं के एक समूह, जिन्होंने कुछ पांच साल पहले 'स्टॉप द स्पॉट' अभियान शुरू किया था, ने झुग्गी-झोपड़ी में रहने वालों के बीच सैनिटरी पैड बनाने और वितरित करने का अपना काम जारी रखा है.

18 साल की जाह्नवी सिंह इस ग्रुप की अगुआ हैं और मासिक चक्र को लेकर लड़कियों में जागरूकता फैलाने का काम करती हैं. इन दिनों जाह्नवी ने अपने काम का तरीका बदल दिया है जिससे उनकी पहुंच व्यापक हो गई है.

उनकी मां रीति सिंह भी इस पैड गैंग की सदस्य हैं. अब इस समूह ने स्लम में पैड बनाने का कच्चा माल भी बांटना शुरू कर दिया है ताकि महिलाएं अपने लिए खुद सेनिटरी पैड बना सकें. उनके मुताबिक, मासिक धर्म पर बात करना अब वर्जना नहीं रहा और यही उनके अभियान की खास बात है.

जाह्नवी की ही तरह जालंधर शहर में और भी कई गैर-सरकारी संगठन हैं जो इस दिशा में काम करते हैं. मनन शर्मा गर्ल अप इंडिया नामक संस्था चलाती हैं और उनकी उम्र की 24 लड़कियां अधिकार नाम की परियोजना में फंड जुटाकर लाई हैं. इसके तहत वह आनलाइन ही स्वास्थ्य जागरूकता के कार्यक्रम चलाती हैं. नवांशहर के एक एनआरआई द्वारा चलाए जा रहे एनजीओ ख्वाहिश कई स्कूलों में सैनिटरी पैड बांटने का काम किया है. उसने कई स्कूलों में डिस्पेंसर और डिस्पोजेबल यूनिट्स लगवाए हैं.

ऐसे छोटे-छोटे काम असल में सही दिशा में उठाया गए कदम हैं. जिनसे हम मंजिल की ओर बढ़ सकते हैं. असल में हर साल 28 मई को मासिक चक्र स्वच्छता दिवस मनाया जाता है और इसकी शुरुआत 2014 में जर्मनी के एक ग्रुप ने की थी.

इसका मकसद महिलाओं में मासिक चक्र को लेकर वर्जनाओं को खत्म करना था. 28 मई की तारीख को इसलिए चुना गया क्योंकि औसतन महिला में मासिक चक्र 28 दिनों का होता है, और यह हर महीने करीबन 5 दिनों तक चलता है. इसलिए इसे 28/5 चुना गया. नेशनल फैमिली हेल्थ सर्वे के मुताबिक, देश में 15 से 24 साल के आयुवर्ग में करीबन 62 फीसद महिलाएं अभी भी, सेनिटरी पैड्स की जगह कपड़े का इस्तेमाल करती है. देश में करीबन 30 करोड़ महिलाएं जागरूकता की कमी, या उपलब्धता न होने या उसे खरीदने में सक्षम न होने की वजह से सैनिटरी नैपकिन का इस्तेमाल नहीं कर पाती है.