मुशरिफ खान ने तोड़ी रवायतों की बेड़ियां, कंठस्थ किए गीता के 500 श्लोक

Story by  मुकुंद मिश्रा | Published by  [email protected] | Date 02-03-2021
मुशरिफ खान गीता के श्लोक सुनाती हुई
मुशरिफ खान गीता के श्लोक सुनाती हुई

 

 

राकेश चौरासिया / नई दिल्ली

युवाओं की नई पीढ़ी जीवन के नए गीत गुनगना रही है. उनकी सोच के प्रहार से रूढ़ियों और परंपराओं की जकड़न पुर्जा-पुर्जा हो रही है. अब के बहार मेंसामने आए एक नए घटनाक्रम में मध्य प्रदेश की एक मुस्लिम बिटिया ने भगवद् गीता के श्लोकों की प्रवाहमान मेधा से मजहबों की दीवार गिरा दी. छिंदवाड़ा की मुशरिफ खान ने गीता के 701 कालजयी श्लोकों में से 500 को हृदयांगम कर लिया है. मुशरिफ इन श्लोकों का सस्वर पाठ ही नहीं करतीं, बल्कि उन्हें इन श्लोकों के भावार्थ भी मालूम हैं.

महज 12 साल की यह बच्ची मुशरिफ कक्षा आठवीं की छात्रा है. और जब वह कक्षा छह की छात्रा थी, तब उसने अपनी स्मरण शक्ति को इन श्लोकों को कंठस्थ करने की चुनौती दी थी. सिर्फ दो साल के समयांतराल में मुशरिफ ने यह कारनामा कर दिखाया. मुशरिफ को गीता के श्लोक ही नहीं, कुरान की आयतें भी याद हैं.

बेहिचक-बेझिझक सुनाती हैं  श्लोक

प्रयोगधर्मी मुशरिफ की शख्यित जब अपने नाम की मानिंद बुलंदियों का रास्ता टटोल रही थी, उसी दौर में उनकी मुलाकात वैदिक गणितज्ञ रोहिणी मेनन से होती है.

रोहिण मेनन मेमोरी रीटेंशन (स्मृति प्रतिधारण) की सिद्धहस्त हैं. मेमोरी रीटेंशन प्राचीन भारतीय कला है, जिसका प्रयोग गुरुकुलों में आम होता था और इसके माध्यम से छात्र वेद, उप वेद, शास्त्र, पुराण, शाखाओं को मस्तिष्क में सुरक्षित किया करते थे. अब से कोई 50 बरस पहले तक सिद्धान्त कौमुदी के क्रम से पाणिनीय व्याकरण के छात्रों को अष्टाध्यायी कंठस्थ करना अनिवार्य ही होता था.

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मुशरिफ खान अभ्यास करते हुए 


मुशरिफ ने शिक्षिका रोहिणी मेनन के समक्ष मेमोरी रीटेंशन पद्धति सीखने की जिज्ञासा प्रकट की, तो मेनन ने उन्हें तीन विकल्प दिए. या तो मुशरिफ भारतीय संविधान या शब्दकोष और या फिर भगवत गीता में से किसी एक को चुनें. ताकि वे मेमोरी रीटेंशन से किसी एक विषय पर सीखने की इस कला का प्रयोग कर सकें.

तब मुशरिफ ने भगवद गीता को चुना और रोहिणी मेनन के निर्देशन में याद करने की कला के माध्यम से गीता के 500 श्लोकों को कंठस्थ कर लिया. वे बेहिचक-बेझिझक और बिंदास हो कहीं भी इन श्लोकों को सुनाती हैं. उनकी तमन्ना है कि वे गीता के 201 अन्य श्लोकों को याद करके इस ज्ञान यज्ञ की पूर्णाहुति तक पहुंचें.

मुशरिफ असाधारण है

अपनी ज़हीन शिष्या मुशरिफ की इस हसीन कामयाब पर उनकी शिक्षिका रोहिणी प्रफुल्लित हैं. रोहिणी कहती हैं कि मुशरिफ उनके अन्य छात्रों में असाधारण हैं. कई बच्चों ने भगवद गीता के श्लोक याद करने की कोशिश की, लेकिन केवल मुशरिफ ही अब तक 500 श्लोक याद कर पाई हैं. उन्हें उम्मीद है कि मुशरिफ अभी छोटी है और उसके हाथों अभी और बड़े काम होने बाकी हैं.

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मुशरिफ खान के घर लोग उन्हें बधाई देने पहुंच रहे हैं
 

तुम केवल एक इंसान हो

खुद मुशरिफ का कहना है, “मैं शार्ट कोर्स के माध्यम से कुछ अनोखा करना चाहती थी. तब मैंने भगवत गीता को चुना, क्योंकि मेरी मां ने मुझे हमेशा यह सिखाया कि घर से बाहर तुम केवल एक इंसान हो. जब मैंने अपने निर्णय के बारे में अपने माता-पिता को बताया, तो उन्होंने गीता याद करने की बाखुशी मंजूरी दे दी.”

किसी को एतराज नहीं 

मुशरिफ के पिता गणित शिक्षक हैं और मां गृहनिर्मात्री हैं. 

अपनी दुख्तर की अजीम कामयाबी पर फख्र जताते हुए मां जीनत खान कहती हैं कि बेशक, हम मुस्लिम हैं. लेकिन हम अपनी बेटी की परवरिश इस तरह से करना चाहते हैं कि बड़े होकर वह सभी का और सभी धर्मों का सम्मान करे.

मुशरिफ किसी दूसरे धर्म के ग्रंथ को पढ़ रही है. इस सवाल के जवाब में जीनत खान बताती हैं कि इस पर किसी को एतराज नहीं हुआ. उनकी अपनी कम्युनिटी के लोग भी मुशरिफ की इस कामयाबी की तारीफ कर रहे हैं.