संयुक्त राष्ट्र महासभाः झूठ से भरे रहे इमरान, एर्दौगान और जिनपिंग के भाषण

Story by  राकेश चौरासिया | Published by  [email protected] | Date 16-10-2021
इमरान खान - रजब तैयब एर्दौगान - शी जिनपिंग
इमरान खान - रजब तैयब एर्दौगान - शी जिनपिंग

 

डॉ. शुजाअत अली कादरी

संयुक्त राष्ट्र में पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान ने फिर झूठ का सहारा लिया, तुर्की के राष्ट्रपति रजब तैयब एर्दौगान  ने कश्मीर पर राग अलापा और चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने तो इंतहा ही कर दी, जब उन्होंने कहा कि चीन ने कभी किसी देश पर हमला नहीं किया है.

इमरान खान संयुक्त राष्ट्र सभा की आम सभा के रिकॉर्डेड भाषण के बाद ही विवादों में आ गए. भारत की युवा प्रतिनिधि स्नेहा दुबे ने इमरान खान को जो जवाब दिया, वह तो लाजवाब करने के लिए काफी था, लेकिन विडम्बना देखिए कि इमरान खान के झूठ पर उनके ही देश में उनके खिलाफ लोग मुखर हो उठे.

इमरान खान ने कहा था कि अफगानी ‘मुजाहिदीन’ को तत्कालीन अमेरिकी राष्ट्रपति रोनाल्ड रीगन ने अपने आवास पर अमेरिका बुलवाया और इन्हें (‘मुजाहिदीन’ को) ‘हीरो’ का दर्जा दिया गया. इमरान खान के शब्दों में “एक समाचार के मुताबिक उन्होंने (रीगन) ने उन (मुजाहिदीन) की अमेरिका के संस्थापकों से तुलना की. वह हीरो थे.”

पाकिस्तान की पत्रकार गार्दिया फारूकी ने जवाब में लिखा कि संयुक्त राष्ट्र आम सभा में हमारे लिए यह क्षोभ की घड़ी है. रीगन ने कभी भी मुजाहिदीन की अमेरिका के संस्थापक राष्ट्रपिता से कभी तुलना नहीं की. फारूकी ने कहा कि इमरान खान ने फेक न्यूज का सहारा लिया है और उन्हें अपनी कॉपी लिखने वाले को नौकरी से निकाल देना चाहिए. मरियम नवाज शरीफ ने गार्दिया की इसी बात को रिट्वीट करते हुए लिखा कि इमरान खान को ही निकाल देना चाहिए. वह बुरे चुनाव हैं. पाकिस्तानी पत्रकार नायला इनायत ने कहा कि रोनाल्ड रीगन और अफगानी मुजाहिदीन पर इमरान खान 2019में भी झूठ बोल चुके हैं.

अफगानिस्तान के पूर्व राजदूत और शिक्षाविद मेहमूद सैकल ने तो इमरान खान के बयान को रद्द किया और लिखा “संयुक्त राष्ट्र में इमरान खान के बयान को सुना. वह अफगानिस्तान में पाकिस्तान की छद्म आक्रामकता पर विश्व की स्थिति के बारे में असहज है. उनका बचाव खराब है और उनके अधिकांश तथ्य गलत हैं. प्रशंसनीय इनकार के दिन खत्म हो गए हैं. पाकिस्तान का एक्सपोजर जारी रहेगा.”

कश्मीर की बात उठाए बिना पाकिस्तान कहां मानेगा? मगर इमरान खान के झूठ को भारतीय राजनयिक स्नेहा दुबे ने बेअसर कर दिया. उन्होंने कहा कि इमरान खान ने मान लिया है कि पाकिस्तान आतंकवादी कारनामों का बचाव करता है, जिसे स्वीकार नहीं किया जाएगा. स्नेहा के शब्द थे, “ये है वो देश, जो खुद को अग्निशामक का भेष बदलकर आग लगाने वाला है.” अपने आपको जनरल कमर बाजवा का ‘निजी सलाहकार’ बताने वाले @TheZaiduLeaks ने लिखा कि चूंकि स्नेहा दुबे ने अंग्रेजी बोली है, इसलिए हम उनके सभी आरोपों से इनकार करते हैं.

यह बताना जरूरी है कि भारतीय प्रधामंत्री नरेन्द्र मोदी ने अपने संभाषण में संयुक्त राष्ट्र की जिम्मेदारी, कोरोना और वैश्विक खतरों पर बात की. आतंकवाद पर चिन्ता जताई और अफगानिस्तान की धरती के आतंकवाद के लिए इस्तेमाल नहीं होने की आशा व्यक्त की. उन्होंने पाकिस्तान का नाम भी नहीं लिया, क्योंकि पाकिस्तान के दक्षिण एशिया की भूराजनीतिक व्यवस्था में लगातार क्षीण होने का ही यह परिचायक है.

एर्दोगान ने जब अपने भाषण में कश्मीर पर बात रखी, तो लगा कि वह पाकिस्तान का एजेंडा आगे बढ़ा रहे हैं. एर्दोगान ने अपने ही देश में कैद सबसे अधिक पत्रकारों और मानवाधिकार कार्यकर्ताओं की परवाह न करते हुए जब कश्मीर की स्थिति पर सवाल उठाया, तो लाजमी है कि वह कश्मीर में पाकिस्तान की तरफ से हो रही लगातार घुसपैठ और आतंकवाद को जायज ठहरा रहे थे. इसका फौरन ही सबूत मिल गया, जब भारत में पाकिस्तान का एक आतंकवादी हाल ही में उस समय जिंदा पकड़ लिया गया, जब वह तारबंदी पार कर नियंत्रण रेखा से भारत में घुस रहा था. बाद में भारतीय सेना ने उसका वीडियो जारी कर यह भी बता दिया कि उसे लश्करे तैयबा और पाकिस्तानी सेना ने ट्रेनिंग देकर भारत में आतंकवाद फैलाने के लिए भेजा था. इस तरह की घटनाओं और आतंकवादियों के खुलेआम मंसूबों पर तुर्की को क्या पाकिस्तान का कश्मीर पर पक्ष जायज लग सकता है?

जब एर्दौगान बोल चुके, तो भारत के विदेश मंत्रालय ने फौरन ही अपना पक्ष रखते हुए कहा कि एर्दोगान को इतिहास का ज्ञान नहीं है. भारतीय विदेश मंत्रालय ने चेतावनी भी दी कि इससे दोनों देशों के संबंधों पर गहरा प्रभाव पड़ेगा.

शी जिनपिंग ने भारत, अफगानिस्तान या किसी भी भौगोलिक सीमा का उल्लेख तो नहीं किया, लेकिन उन्होंने यह कहकर पूरी दुनिया को जरूर हँसने का मौका दिया, जब उन्होंने कहा “चीन ने कभी भी आक्रमण नहीं किया है या दूसरों को धमकाया नहीं है, या आधिपत्य की तलाश नहीं की है. चीन हमेशा विश्व शांति का निर्माता, वैश्विक विकास में योगदानकर्ता, अंतरराष्ट्रीय व्यवस्था का रक्षक और सार्वजनिक वस्तुओं का प्रदाता रहा है.” कितनी सफाई से शी जिनपिंग झूठ बोल गए. वह भूल गए या झूठ बोल रहे थे कि जब दुनिया के नक्शे से चीन ने दो देश ईस्ट तुर्किस्तान और तिब्बत को ही मिटा दिया. धमकाने के मामले में चीन ईस्ट तुर्किस्तान का दोषी है, जहां के लाखों उइगर मुस्लिम  सुधार गृह के नाम पर खुली जेलों में जीवन बिता रहे हैं. आज ताईवान और हॉन्गकॉन्ग चीन के विस्तारवाद से तंग हैं.

भारत के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने जब दुनिया के समुद्रों को साझा बताया, तो उनका इशारा यही था कि ताइवान, हॉन्गकॉन्ग, वियतनाम और जापान को चीन डरा रहा है. मोदी की आशंका बिल्कुल सच साबित होती दिखी, जब शी जिनपिंग ने संयुक्त राष्ट्र में 21सितम्बर को भाषण दिया और 29सितम्बर को उत्तर कोरिया ने जापान के जलक्षेत्र में एक मिसाइल का परीक्षण किया. सब जानते हैं कि उत्तर कोरिया को चीन की शह हासिल है.

टपने भाषण में एक जगह शी जिनपिंग ने चीन को “अंतरराष्ट्रीय व्यवस्था का रक्षक” बताया जब कि सब जानते हैं कि चीन का भारत समेत हर पड़ोसी के साथ सीमा विवाद है. अपने घरेलू मसलों में जनता का ध्यान भटकाने के लिए चीन हर पड़ोसी देश के साथ यह हरकत करता है और बहुत ही विश्वास के साथ संयुक्त राष्ट्र महासभा में झूठ भी बोल लेता है. जब शी जिनपिंग यह भाषण दे रहे थे. उसके ठीक 20दिन पहले चीनी सेना ने भारत के उत्तराखंड से लगती सीमा का उल्लंघन किया. चीन कोरोना के बाद से आर्थिक दबाव और बेरोजगारी की समस्या से जूझ रहा है. वहां बिजली का भी भारी अकाल हो गया है, जिससे औद्योगिक उत्पादन पर भी बहुत बुरा असर पड़ा है. आम चीनी जनता को अन्तरराष्ट्रीय सीमा विवाद की सुर्खियों से खुश करने और संयुक्त राष्ट्र सभा में झूठ बोलने से चीन की साख दुनिया के सामने और कम हुई है.

(लेखक मुस्लिम स्टूडेंट्स ऑर्गेनाइजेशन ऑफ इंडिया के राष्ट्रीय अध्यक्ष हैं.)