राजस्थान : इबादतगाहों को अस्थायी अस्पताल बनाने पर विचार

Story by  मुकुंद मिश्रा | Published by  [email protected] | Date 23-04-2021
इबादतगाहों में बनें अस्थायी अस्पताल
इबादतगाहों में बनें अस्थायी अस्पताल

 

अशफाक कायमखानी / जयपुर

कोराना महामारी से भारत के अनेक हिस्से में सरकारों की कोशिशों के बावजूद सीमित साधनो की उपलब्धता के चलते हालात बेहतर होने की बजाय मुश्किल होते जा रहे हैं. ऐसे हालात में हर इंसान और सामाजिक एवं मजहबी संगठनों के साथ साथ तालीमीगाहे और इबादतगाहों की भी मुश्किल हालात मे अहम जिम्मेदारी बनती है कि वो सरकारी गाईडेंस के अनुसार सरकार के साथ कंधे से कंधा मिलाकर अपनी इबादतगाहों का कुछ हिस्सा और तालीमीगाहों को अपने बजट पर अस्पताल का स्वरूप दें. साथ ही वे कोराना महामारी से ग्रसित मरीजांे के इलाज का इंतजाम सुनिश्चित करने पर गम्भीरतापूर्वक विचार करके अपना अहम किरदार अदा करें.

हालांकि भारत भर मंे कुछ इबादतगाहों व तालीमीगाहों के जिम्मेदार लोग आगे आकर उन स्थलों को अस्तपताल का रुप दे चुके हैं और इसक तैयारियों में लगे है.

कल दिल्ली के ओखला क्षेत्र के विधायक अमानतुल्लाह खान ने भी अच्छी पहल करते हुये अपने विधानसभा क्षेत्र की मस्जिदों के इमाम साहिबान की एक आवश्यक मीटिंग करके इस तरफ कदम उठाने के लिये उन्हें तैयार करके जनप्रतिनिधि होने का वास्तविक हक अदा किया है. इस पहल का देश के अन्य जनप्रतिनिधियों को भी अनुसरण करने पर विचार करना चाहिए.

हमारे प्रदेश राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने 2020 के कोराना काल में भी बेहतर से बेहतरीन कदम उठाकर एक सच्चे जनप्रतिनिधि व जनता का प्रहरी होने की जिम्मेदारी का अहसास करवाया था और अभी भी कोराना द्वितीय फेज के कारण बने मुश्किल हालात में भी सरकारी स्तर पर अच्छा प्रबंधन करने में किसी तरह की कमी नहीं छोड़ रहे हैं.

हालांकि कोविड को लेकर राजस्थान के हालात अभी सरकारी कंट्रोल मंे नजर आ रहे हैं, लेकिन रोजाना पंद्रह हजार के करीब कोराना पॉजिटिव मरीज आने से लगता है कि यहां भी अन्य प्रदेशों की तरह हालात भयावह हो सकते हैं. ऐसे हालात से निपटने के लिये सरकार अपने स्तर पर अच्छे से अच्छा प्रबंधन कर रही है, लेकिन जिन इबादतगाहों व तालीमीगाहो को बनाने व उसको चलाने मे आम आदमी ने दिल खोलकर हर तरह की भागीदारी निभाई है, तो आज आम आदमी पर मुश्किलों का पहाड़ टूटने पर प्रबंधन कमेटियों की जिम्मेदारी बनती है कि वो आम आदमी को रिलीफ देने के लिये आगे आयें.

राजस्थान के सीकर शहर के एक्सीलैंस फाऊंडेशन के चेयरमैन वाहिद चौहान ने शहर स्थित अपने स्कूल व कालेज भवन को सरकार द्वारा कोविड सेंटर के लिये उपयोग करने का आफर देकर इसकी शुरुआत की है. जबकि चौहान स्वयं कोविड से गम्भीर रुप से संक्रमित होकर मुम्बई के अस्पताल में महीने भर भर्ती रहकर मुम्बई निवास पर लौटे बताते हैं.

इसके साथ ही राजस्थान में ऐसी अनेक इबादतगाहें हैं, जहां रोजाना हजारों व लाख रुपये चढ़ावे व चंदे के रुप मे आता है. ऐसी अनेक तालीमीगाहें भी हैं, जिनको फीस के रुप मे सालाना करोड़ों की आमद होती है. तालीमीगाहें व कोचिंग संस्थान आज सरकारी गाइडलाइन के जारी होने के बाद बंद पड़े हैं, जिनके तहत चलने वाले हॉस्टलों को कोराना के इलाज के लिये अस्थायी तौर पर अस्पताल का रुप प्रबंध समितियों की पहल पर दिया जा सकता है.

कुल मिलाकर यह है कि कोराना द्वितीय के बाद प्रदेश में भयावह स्थिति बनने से पहले ही प्रदेश के इबादतगाहों व तालीमीगाहो की प्रबंध समितियों को आगे आकर उन स्थलों को पूरे इंतजामों के साथ अस्थायी रुप से सरकारी तंत्र के साथ मिलाकर अस्पताल का रुप देने पर विचार गम्भीरता पूर्वक करना होगा. साथ ही आमजन को सरकारी गाइडलाइन का पूरी तरह पालन करना होगा.