सुरक्षा परिषद में तिरुमूर्ति बोले, किसी देश पर हमला करने को अफगान का इस्तेमाल न हो

Story by  मलिक असगर हाशमी | Published by  [email protected] | Date 10-09-2021
सुरक्षा परिषद में तिरुमूर्ति बोले, किसी देश पर हमला करने को अफगान का इस्तेमाल न हो
सुरक्षा परिषद में तिरुमूर्ति बोले, किसी देश पर हमला करने को अफगान का इस्तेमाल न हो

 

आवाज द वाॅयस /न्यूयॉर्क 

भारत ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के समक्ष अफगानिस्तान में आतंकवाद को लेकर अपनी चिंताओं से अवगत कराया दिया है. साथ ही अफगानिस्तान के विकास और उत्थान के लिए वहां चल रही परियोजाओं को लेकर भी स्थिति स्पष्ट की हैै.
 
संयुक्त राष्ट्र में भारत के स्थायी प्रतिनिधि टीएस तिरुमूर्ति ने गुरुवार को कहा कि अफगान क्षेत्र का इस्तेमाल किसी भी देश को धमकाने, हमला करने, आतंकवादियों को पनाह देने, प्रशिक्षित करने अथवा आतंकवादी योजना या वित्तपोषण के लिए नहीं किया जाना चाहिए. उन्होंने आशंका जताई कि ऐसी हरकतें तालिबान सरकार में संभव है.
 
उन्होंने सुरक्षा परिषद के प्रस्ताव 2593 की ओर तालिबान का ध्यान दिलाते हुए कहा कि अफगान बिना किसी बाधा के विदेश यात्रा कर सकेंगे. तिरुमूर्ति ने कहा, ‘‘हमें उम्मीद है कि इन प्रतिबद्धताओं का पालन किया जाएगा, जिसमें अफगानों और सभी विदेशी नागरिकों के अफगानिस्तान से सुरक्षित और व्यवस्थित प्रस्थान शामिल है.‘‘
 
उन्होंने कहा कि भारत ने पिछले एक दशक में अफगानिस्तान के विकास में महत्वपूर्ण योगदान दिया है. बिजली, पानी की आपूर्ति, सड़क संपर्क, स्वास्थ्य देखभाल, शिक्षा, कृषि और क्षमता निर्माण के महत्वपूर्ण क्षेत्रों में भारतीय परियोजनाएं शुरू की गई हैं.
भारत का जोर अफगानिस्तान के लोगों के कल्याण पर रहा है. भारत ने अफगानिस्तान के 34 प्रांतों में से प्रत्येक में 500 से अधिक विकास परियोजनाएं शुरू की हैं. तिरुमूर्ति ने अपने संबोधन में संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद को यह जानकारी दी.
 
उन्होंने कहा,‘‘हमने पिछले साल अफगानिस्तान को 75,000 मीट्रिक टन गेहूं की डिलीवरी कर मानवीय सहायता प्रदान की है. हमें उम्मीद है कि इन विकास परियोजनाओं और वर्षों से भारत द्वारा प्रदान की गई शिक्षा और मानव संसाधन विकास एक समावेशी और प्रगतिशील के विकास में महत्वपूर्ण योगदान देंगे.‘‘ 
 
तिरुमूर्ति अफगानिस्तान पर संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की बैठक में भाग लेने के लिए न्यूयॉर्क में हैं.इस बीच खबर है कि तालिबान को व्यापक चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है. संगठन ने युद्धग्रस्त देश के अधिग्रहण के हफ्तों बाद अफगानिस्तान में कार्यवाहक सरकार की घोषणा की.
 
द न्यू यॉर्क टाइम्स ने सूचित किया कि तालिबान द्वारा राष्ट्र का नेतृत्व करने के लिए एक कार्यवाहक कैबिनेट नामित किए जाने के कुछ ही दिनों बाद, पड़ोसी पाकिस्तान से तनाव बढ़ गया है, जबकि अफगानिस्तान में दीर्घकालिक मानवीय संकट भी गहरा गया है.
 
तालिबान को लोगों के भारी आक्रोश का सामना करना पड़ रहा है. पत्रकार, महिलाएं और विश्वविद्यालय के छात्रों सहित कार्यकर्ता, सभी तालिबान के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे हैं, जबकि ‘नई सरकार‘ विरोधी सुर को दबाने के लिए प्रतिबंध लगा रही है.