भुवनेश्वर:
ओडिशा सरकार ने राज्य की ऐतिहासिक, सांस्कृतिक और बौद्धिक विरासत को संरक्षित करने की दिशा में एक बड़ा कदम उठाया है। मुख्यमंत्री मोहन चरण मांझी की अध्यक्षता में हुई मंत्रिमंडल बैठक में ‘बारापुत्र ऐतिह्य ग्राम योजना’ को मंजूरी दे दी गई है। इस महत्वाकांक्षी योजना के तहत राज्य सरकार स्वतंत्रता सेनानियों, कवियों, समाज सुधारकों और विभिन्न क्षेत्रों में योगदान देने वाली प्रतिष्ठित हस्तियों के जन्मस्थानों और पैतृक गांवों के विकास पर कुल 345 करोड़ रुपये खर्च करेगी।
इन महान व्यक्तित्वों को ओडिशा की परंपरा में सामूहिक रूप से ‘बारापुत्र’ कहा जाता है। सरकार का मानना है कि इन विभूतियों की विरासत को सहेजना न सिर्फ ऐतिहासिक जिम्मेदारी है, बल्कि आने वाली पीढ़ियों के लिए प्रेरणा का स्रोत भी है।
मुख्य सचिव मनोज आहूजा ने बैठक के बाद मीडिया को जानकारी देते हुए बताया कि इस योजना के तहत ‘बारापुत्रों’ के आवासीय परिसरों और उनके पैतृक गांवों का पुनर्विकास किया जाएगा। इन स्थानों को आधुनिक सुविधाओं से युक्त ‘विरासत संग्रहालयों’ के रूप में विकसित किया जाएगा, ताकि लोग उनके जीवन, विचारों और योगदान से परिचित हो सकें।
योजना के अंतर्गत केवल भवनों का संरक्षण ही नहीं होगा, बल्कि वहां पुस्तकालय, सम्मेलन कक्ष, ओपन-एयर थिएटर और बच्चों के लिए पार्क जैसे सहायक बुनियादी ढांचे भी तैयार किए जाएंगे। सरकार का उद्देश्य इन स्थलों को जीवंत सांस्कृतिक केंद्रों में बदलना है, जहां शैक्षणिक, साहित्यिक और सामाजिक गतिविधियों का आयोजन हो सके।
मंत्रिमंडल बैठक में कुल सात विभागों से जुड़े 10 प्रस्तावों को मंजूरी दी गई, जिनमें यह योजना प्रमुख रही। सरकार का कहना है कि ‘बारापुत्र ऐतिह्य ग्राम योजना’ से न सिर्फ ओडिशा की ऐतिहासिक पहचान को मजबूती मिलेगी, बल्कि पर्यटन को भी बढ़ावा मिलेगा और स्थानीय स्तर पर रोजगार के नए अवसर पैदा होंगे।
इस पहल को राज्य की सांस्कृतिक धरोहर को संरक्षित करने की दिशा में एक दूरदर्शी कदम माना जा रहा है, जो ओडिशा की गौरवशाली परंपरा को राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय मंच पर नई पहचान दिला सकता है।






.png)