मुस्लिम बुद्धिजीवियों की राय: मोदी काल में भेदभाव के बिना चौतरफा विकास, राष्ट्र सुरक्षित हाथों में

Story by  राकेश चौरासिया | Published by  [email protected] | Date 22-04-2024
Opinion of Muslim intellectuals
Opinion of Muslim intellectuals

 

आवाज-द वॉयस / नई दिल्ली

मुस्लिम बुद्धिजीवियों का भी मानना है कि नरेंद्र मोदी के 10 साल के कार्यकाल में देश में बिना किसी मजहबी भेद भाव के चौतरफा विकास हुआ है. बुद्धिजीवियों का मानना है कि देश सुरक्षित हाथ में है और प्रधानमंत्री ने पूरी दुनिया में भारत का मान बढ़ाया है. मुस्लिम राष्ट्रीय मंच का मानना है कि देश के मुसलमानों के सामने कांग्रेस, समाजवादी पार्टी, बहुजन समाजवादी पार्टी, राष्ट्रीय जनता दल, तृणमूल कांग्रेस जैसे दल अब पूरी तरह से बेनकाब हो गए हैं. साथ ही साथ इस्लाम के रहनुमा कहलाने वाले संगठन और मजहबी नेता का पूरी तरह से पर्दाफाश हो चुका है.

मुस्लिम बुद्धिजीवियों का मानना है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी दंगा मुक्त, भूख मुक्त, मजहबी नफरत मुक्त, अनपढ़ता अशिक्षा मुक्त भारत यानी तालीम, तरक्की और तरबियत वाला विकसित भारत बनाने में लगे हैं. प्रधानमंत्री ने एक ऐसे भारत की नींव रखी है, जिसमें दुनिया को पता चलता है कि हम हिंदुस्तानी थे, हैं और रहेंगे. कोई हमारी एकता अखंडता को नहीं तोड़ सकता है.

आकाशवाणी के पूर्व महानिदेशक फैय्याज शहरयार, जिनके नेतृत्व में प्रधानमंत्री ने आकाशवाणी पर मन की बात शुरू किया था, उनका कहना है कि, ‘‘प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अद्भुत प्रतिभा के मालिक हैं.’’ शहरयार ने मन की बात पर चर्चा करते हुए कहा उसका महत्व बताया, ‘‘यह राजनीतिक विभाजन को पाटने और बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ जैसी पहल और सामाजिक परिवर्तन को बढ़ावा देने पर भी रोशनी डालता है.’’

मीटिंग ऑफ द माइंड के लेखक डॉ. ख्वाजा इफ्तिखार अहमद का कहना है कि, ‘‘यदि समग्र रूप से अल्पसंख्यक कल्याण के संदर्भ में पिछले दस वर्षों में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सरकार के प्रदर्शन की ईमानदार समीक्षा की जाए और विशेष रूप से भारतीय मुसलमानों के संदर्भ में, तो इस अवधि के दौरान सभी सरकारी कल्याणकारी योजनाओं में, भारत के मुसलमानों को उनकी आबादी की तुलना में आनुपातिक रूप से अधिक हिस्सा मिला है. सभी सरकारी और गैर सरकारी अल्पसंख्यक संस्थान सामान्य रूप से चल रहे हैं और राष्ट्रीय धन सृजन में अपना योगदान दे रहे हैं.’’

ख्वाजा इफ्तिखार कहते हैं, ‘‘उच्च मुस्लिम शैक्षणिक संस्थानों और विश्वविद्यालयों के अल्पसंख्यक चरित्र और सांस्कृतिक विविधता को बनाए रखा जा रहा है. धार्मिक स्वतंत्रता और धार्मिक गतिविधियों पर कोई प्रतिबंध नहीं है. वे सामान्य रूप से चल रहे हैं और देश में शांतिपूर्ण माहौल है. विकास के अवसर सबके लिए समान रूप से हैं. उम्मीदों और प्रदर्शन में कुछ अंतर हो सकता है.’’

कश्मीर यूनिवर्सिटी के इलेक्ट्रॉनिक्स विभाग प्रमुख प्रोफेसर डॉक्टर तारिक बांडे का मानना है कि, ‘‘नरेंद्र मोदी सरकार ने आर्थिक विकास को बढ़ावा देने, डिजिटलीकरण को बढ़ावा देने और बुनियादी ढांचे के विकास को प्राथमिकता देने के लिए पहल की है, जिसका लक्ष्य देश के सामाजिक-आर्थिक ढांचे को ऊपर उठाना है. मेक इन इंडिया, स्किल इंडिया और डिजिटल इंडिया जैसी योजनाओं के माध्यम से सरकार का लक्ष्य नागरिकों को सजग सबल और सशक्त बनाते हुए भारत को बढ़ाना है. यह सभी कुछ सरकार की वैश्विक स्थिति, प्रगति और समावेशिता के प्रति प्रतिबद्धता का बेहतरीन उदाहरण है. गरीबों के लिए खास तौर से चलाई जाने वाली सात योजनाएं वरदान हैं, जिनमें शामिल है किसान सम्मान निधि योजना, आयुष्मान भारत योजना, प्रधानमंत्री आवास योजना, उज्जवला योजना, प्रधानमंत्री विश्वकर्मा योजना, सुकन्या समृद्धि योजना और प्रधानमंत्री मुद्रा लोन योजना.’’

अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी के अंग्रेजी विभाग प्रमुख प्रोफेसर डॉ. रिजवान खान ने एनईपी के बारे में कहा, ‘‘राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) 2020 की सुंदरता भारत में शिक्षा प्रणाली को बदलने के लिए इसके व्यापक दृष्टिकोण में निहित है. यह समग्र विकास, लचीलेपन और शिक्षार्थी-केंद्रित दृष्टिकोण पर जोर देती है. एनईपी 2020 में कौशल विकास, प्रौद्योगिकी के एकीकरण और सीखने के लिए एक बहु-विषयक दृष्टिकोण को बढ़ावा देने के साथ 21वीं सदी की चुनौतियों के लिए छात्रों को तैयार करने पर ध्यान केंद्रित किया गया है, जिसमें रोजगार क्षमता बढ़ाने पर एक सुविचारित फोकस शामिल है.’’

जामिया मिल्लिया इस्लामिया यूनिवर्सिटी के इंजीनियरिंग एवं टेक्नोलॉजी के प्रोफेसर डॉ. मोहम्मद इब्राहिम ने कहा कि पीएम मोदी के नेतृत्व में, भारत ‘वसुदेव कुटुंबकम’ के सिद्धांत पर चल रहा है. इस दौरान विशेष रूप से शिक्षा और महिलाओं के अधिकारों में महत्वपूर्ण परिवर्तनों के दौर से देश गुजर रहा है. तीन तलाक पर प्रतिबंध जैसे सुधार लैंगिक समानता को बढ़ावा देते हैं, जबकि राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम जैसी पहल खाद्य सुरक्षा और उन्नत तकनीक को सुनिश्चित करती हैं. कुल मिलाकर, ये प्रयास अधिक न्यायसंगत, सशक्त और तकनीकी रूप से उन्नत समाज बनाने की भारत की प्रतिबद्धता को रेखांकित करते हैं.

उर्दू अदब के जाने-माने नाम और महान शायर एवं गीतकार शहरयार (जिन्होंने रेखा की फिल्म उमराव जान के गीत लिखे थे) के सहयोगी रहे कई अवार्ड से सम्मानित डॉक्टर एहसान अहमद निश्तर का मानना है कि, ‘‘आज पूरा भारत जानता है कि नरेंद्र मोदी ने विश्व पटल पर भारत का मान सम्मान बढ़ाया है. 11 मुस्लिम मुल्क समेत अनेक देशों ने भारतीय प्रधानमंत्री को सर्वोच्च नागरिक सम्मान देकर इस बात की पुष्टि कर दी है. दूसरी तरफ विपक्ष के पास एनडीए सरकार के चौतरफा विकास के बदले कोई ऐसा ठोस मुद्दा नहीं है जिसके सहारे विपक्ष चुनाव लड़ सके.’’

हरियाणा हज काउंसिल के अध्यक्ष मोहसिन चौधरी का कहना है कि, ‘‘सरकार ने वैसे वैसे काम कर दिखाए हैं, जो कांग्रेस सरकार सोच भी नहीं सकती थी. मोदी सरकार ने कश्मीर से लेकर कन्याकुमारी तक काम किया है. एनडीए सरकार ने अल्पसंख्यकों से कभी कोई भेद भाव नहीं किया. जिसका उदाहरण नयी मंजिल योजना, नया सवेरा - फ्री कोचिंग योजना, सीखो और कमाओ योजना, प्रधान मंत्री कौशल विकास योजना, दिन दयाल उपाध्याय - ग्रामीण कौशल योजना के अंतर्गत देखा जा सकता है. उन्होंने कहा कि महान स्वतंत्रता सेनानी हसन खां मेवाती के जन्मोत्सव पर सरकारी छुट्टी रखने का फैसला भी बीजेपी सरकार ने लिया, जो बहुत बड़ी बात है.’’

राफिया नाज, योग शिक्षिका सह संस्थापक योगा बियॉन्ड रिलिजन का मानना है कि, ‘‘प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी के द्वारा किये गए कार्यों का गुणगान आज पूरा विश्व कर रहा है. आज भारत मोदी जी के नेतृत्व में सबका साथ और सबका विकास के नारे के साथ आत्मनिर्भर बनने की राह पर चल पड़ा है और इसमें किसी तरह का कोई मजहबी भेद भाव नहीं है.’’

इस बीच, लोकसभा चुनाव 2024 अपने चरम पर हैं. पहले फेज की वोटिंग हो चुकी है और बाकी के छह चरणों के लिए राष्ट्रवादी मुस्लिम संगठन मुस्लिम राष्ट्रीय मंच ने अपनी ताकत झोंक दी है. मुस्लिम बहुल 100 से ज्यादा सीटों को लेकर मुस्लिम राष्ट्रीय मंच ने खास रणनीति बनाई है. इन सीटों पर मंच के राष्ट्रीय संयोजक, क्षेत्रीय व प्रांतीय संयोजक एवं सह संयोजक तथा जिले के सह संयोजक तथा कार्यकर्ताओं समेत 40 टीम चुनाव में खुशहाल एवं संपन्न भारत के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के रूप में मजबूत और सशक्त सरकार बनाने के काम में लगी है.

मुस्लिम राष्ट्रीय मंच के राष्ट्रीय मीडिया प्रभारी शाहिद सईद ने बताया कि 14 राष्ट्रीय संयोजकों की देख-रेख में अलग-अलग राज्यों की कुल 40 टीमें बनाई गई हैं, जिनमें मोहम्मद अफजाल के पास जम्मू कश्मीर और हिमाचल, गिरीश जुयाल और शाहिद अख्तर के पास नॉर्थ ईस्ट, पश्चिम बंगाल, केरल, बिहार और झारखंड की जिम्मेदारी है. अबू बकर नकवी को राजस्थान, एसके मुद्दीन को मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ की जिम्मेदारी मिली है.

जबकि सैय्यद रजा हुसैन रिजवी और मोहम्मद इस्लाम को उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड की महत्वपूर्ण जिम्मेदारी है. हालांकि उत्तर प्रदेश में केंद्रीय टीम की टोली भी अपना दायित्व निभायेगी. विराग पाचपोर और इरफान पीरजादा को महाराष्ट्र, गोवा और गुजरात में अपनी भूमिका निभानी है. माजिद तालिकोटी और मोहम्मद इलियास को कर्नाटक, आंध्रा प्रदेश और तेलेगाना का दायित्व दिया गया है. इसके अलावा रेशमा हुसैन और महिला प्रमुख शालिनी अली को कई राज्यों में महिला वोट संभालने की जिम्मेदारी है. सभी टीम अपना दायित्व निभाने में लगी हैं और हर सप्ताह ऑनलाइन बैठक के जरिए एक दूसरे तक रणनीति और कार्यशैली की समीक्षा बैठक भी कर रहे हैं.

देश भर में 65 ऐसी लोकसभा सीटों का चयन किया है, जहां मुस्लिम मतदाताओं की तादाद 35 प्रतिशत से ज्यादा है. मुस्लिम बहुल इन 65 लोकसभा सीटों में से सबसे ज्यादा उत्तर प्रदेश में 14 लोकसभा सीट हैं और दूसरे नंबर पर पश्चिम बंगाल है, जहां कि 13 लोकसभा सीटों को इसमें शामिल किया गया है. केरल की 8, असम की 7, जम्मू कश्मीर की 5, बिहार की 4, मध्य प्रदेश की 3 और दिल्ली, गोवा, हरियाणा, महाराष्ट्र और तेलंगाना की 2-2 लोकसभा सीट इस लिस्ट में शामिल हैं.

कई लोकसभा क्षेत्र ऐसे भी हैं, जहां मुस्लिम मतदाताओं की तादाद 50 प्रतिशत से भी ज्यादा है. इन 65 लोकसभा सीटों के अलावा देश में 35 से 40 के लगभग लोकसभा की सीटें ऐसी भी हैं, जहां मुस्लिम मतदाता पूरी तरह से निर्णायक भूमिका में भले ही ना हो, लेकिन जीत-हार में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते रहे हैं. मुस्लिम राष्ट्रीय मंच इस बार के लोकसभा चुनाव में भी भारी बहुमत मिलने और ऐतिहासिक जीत को लेकर आश्वस्त है.

मुस्लिम राष्ट्रीय मंच का मानना है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने 10 वर्षों के कार्यकाल में मुस्लिम समाज की स्थितियों को बदला है, उन्हें बदहाली से निकाला है, उनकी शैक्षणिक, सामाजिक और आर्थिक स्थिति में सुधार आया है. फलस्वरूप मुस्लिम समाज अब देश की मुख्यधारा से जुड़ गया है, उनके अंदर तथाकथित सेक्युलर दल, और स्वयंभू कमांडरों की भांति तथाकथित मुस्लिम रहनुमाओं का डर खत्म हो गया है. मुस्लिम समाज को उत्तर प्रदेश में अंसारी बंधुओं जैसे माफिया और गुंडाराज से मुक्ति मिल गई है.