आवाज द वाॅयस /हैदराबाद
भारत में अल्पसंख्यकों को कभी-कभी मुश्किलों का सामना करना पड़ जाता है, लेकिन जब नौकरी हासिल करने की बात आती है तो धर्म और जाति के आधार पर कोई भेदभाव नहीं होता . प्रतिभा और शैक्षिक क्षमताएं सभी स्तरों पर देखने के लिए पर्याप्त हैं. यह कहना है तेलंगाना में अल्पसंख्यक मामलों के सलाहकार सचिव, ए.के. खान का.
यहां अजान इंटरनेशनल स्कूल के दीक्षांत समारोह को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि किसी की क्षमताओं का परीक्षण करने के लिए चुनौतियां हैं. जो लोग धैर्य और दृढ़ संकल्प के साथ उन पर विजय प्राप्त करते हैं. उन्हें उनके सपनों को साकार करने से कोई नहीं रोक सकता.
कार्यक्रम की अध्यक्षता अजान स्कूल के चेयरमैन यूसुफ आजम ने की. इस मौके पर प्रधानाचार्य मसूद अहमद, चार्टर्ड एकाउंटेंट करिश्मा गुलजार, मदीना एजुकेशनल सोसाइटी की मारिया तबस्सुम और इकरा मिशन स्कूल के सैयद साजिद अली मौजूद थे.
छात्रों को संबोधित करते हुए खान ने स्कूल के शिक्षकों, प्रशासन और अभिभावकों की सराहना की. कहा कि उनके प्रयासों से समुदाय को प्रतिभाशाली छात्र मिल रहे हैं, जो भविष्य की संपत्ति है. उदाहरण देते हुए उन्होंने कहा कि समाज ने हमेशा क्षमताओं को पहचाना और सराहा है. जिन्होंने चुनौतियों का सामना किया. उन पर विजय प्राप्त की, वे सफल हुए. उन्होंने कहा कि अगर किसी के पास संकल्प और प्रतिबद्धता हो तो उसे पार करना मुश्किल नहीं.
इस संबंध में, खान ने चल रहे रूस-यूक्रेन युद्ध का उल्लेख किया और कहा कि एक दिन पहले रूस यूक्रेन का सफाया करने के लिए दृढ़ था. लेकिन अगले ही दिन उसने अपना रुख बदल लिया. अब बातचीत के लिए तैयार है. खान ने खुशी व्यक्त की कि अजान स्कूल के छात्रों को दुनिया और आखिरत (दुनिया और उसके बाद) दोनों दुनिया का सर्वश्रेष्ठ मिल रहा है.
उन्होंने 12वीं कक्षा पास कर चुके छात्रों से कहा कि वे अब जीवन के एक महत्वपूर्ण पड़ाव पर हैं, जहां उनका निर्णय उनके भविष्य को बनाएगा या बिगाड़ेगा. उन्होंने कहा ‘‘कड़ी मेहनत करो और अपने लिए जगह बनाओ और फिर समाज को अदा करो.‘‘
डॉ यूसुफ आजम ने अजान स्कूल की स्थापना के पीछे के उद्देश्यों पर प्रकाश डाला. कहा कि यह विचार छात्रों को उनके चुने हुए क्षेत्र में सफल होने और उन्हें जिम्मेदार नागरिक बनाने में मदद करना है.
इससे पूर्व मसूद अहमद ने रिपोर्ट प्रस्तुत की. मारिया तबस्सुम और करिश्मा गुलजार ने 22 लड़कियों और 12 लड़कों को स्मृति चिन्ह दिए. कुछ लड़कों और लड़कियों ने अपने भाषण कौशल का प्रदर्शन किया और परिसर में अपने अच्छे समय के बारे में बताया.
करिश्मा गुलजार ने कहा कि वह हिजाब का पालन करते हुए अंतरराष्ट्रीय कंपनियों के साथ चार्टर्ड अकाउंटेंट के रूप में काम कर रही हैं. वह महत्वपूर्ण लोगों से मिलीं और हिजाब के कारण उन्हें कभी किसी समस्या का सामना नहीं करना पड़ा. उन्होंने छात्राओं को सलाह दी कि वे अपने रीति-रिवाजों और परंपराओं पर कायम रहें, चाहे कुछ भी हो जाए.