जयशंकर ने मालदीव के विदेश मंत्री जमीर से कहा, रिश्ते आगे बढ़ाने के लिए हम एक समझ पर पहुंचें

Story by  एटीवी | Published by  [email protected] | Date 09-05-2024
S Jaishankar and Musa Zameer
S Jaishankar and Musa Zameer

 

नई दिल्ली. भारत ने गुरुवार को मालदीव को याद दिलाया कि वह द्वीप राष्ट्र को विकास सहायता का एक प्रमुख प्रदाता रहा है और नई दिल्ली द्वारा वित्त पोषित कई परियोजनाओं से देश के हजारों लोगों के जीवन को लाभ हुआ है.

मालदीव के विदेश मंत्री मूसा जमीर पदभार संभालने के बाद भारत की अपनी पहली आधिकारिक यात्रा पर हैं. विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने जमीर के साथ अपनी बैठक के दौरान कहा, "भारत मालदीव के लिए विकास सहायता का एक प्रमुख प्रदाता रहा है. हमारी परियोजनाओं ने आपके देश के लोगों के जीवन को लाभान्वित किया है; जीवन की गुणवत्ता में सीधे योगदान दिया है. इनमें बुनियादी ढांचा परियोजनाओं और सामाजिक पहल से लेकर चिकित्सा निकासी और स्वास्थ्य सुविधाएं शामिल हैं."

जयशंकर ने अपनी शुरुआती टिप्पणी में अतीत में भारत द्वारा मालदीव को "अनुकूल शर्तों पर" वित्तीय सहायता प्रदान करने का उल्लेख किया और कई अवसरों पर नई दिल्ली के "प्रथम प्रतिक्रियाकर्ता" होने का भी उल्लेख किया.

विदेश मंत्री ने कहा, "हमारे सहयोग ने साझा गतिविधियों, उपकरण प्रावधान, क्षमता निर्माण और प्रशिक्षण के माध्यम से आपके देश की सुरक्षा और भलाई को भी बढ़ाया है. यह हमारे सामान्य हित में है कि हम इस बात पर एक समझ पर पहुंचें कि अपने रिश्ते को कैसे आगे ले जाएं."

जयशंकर ने कहा कि बैठक आपसी संबंधों पर चर्चा करने और भविष्य की दिशाएं तय करने का एक अवसर था. उन्होंने कहा, "निकट और निकटतम पड़ोसियों के रूप में हमारे संबंधों का विकास स्पष्ट रूप से आपसी हितों और पारस्परिक संवेदनशीलता पर आधारित है. जहां तक भारत का सवाल है, ये हमारी 'पड़ोसी पहले' नीति और 'सागर' दृष्टिकोण के संदर्भ में व्यक्त किए गए हैं." .

पिछले साल मालदीव में राष्ट्रपति मोहम्मद मुइज्जू के सत्ता में आने के बाद दोनों पड़ोसी देशों के बीच खटास के बावजूद भारत ने हाल ही में सद्भावना संकेत के रूप में चीनी, गेहूं, चावल, प्याज और अंडे सहित आवश्यक वस्तुओं के सीमित निर्यात की घोषणा की.

जयशंकर के साथ बैठक के बाद जमीर ने एक्स पर पोस्ट किया, "नई दिल्ली में भारत के विदेश मंत्री डॉ. एस. जयशंकर से मिलकर खुशी हुई. हमने आपसी सम्मान और समझ द्वारा साझा की गई द्विपक्षीय साझेदारी के अपने लंबे इतिहास पर विचार किया. हमने मालदीव और भारत के बीच बढ़ते जुड़ाव और आदान-प्रदान पर दृष्टिकोण का आदान-प्रदान किया.'' 

 

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