स्वतंत्रता दिवसः लाल किले की निगरानी थी काउंटर ड्रोन प्रौद्योगिकी के जिम्मे

Story by  राकेश चौरासिया | Published by  [email protected] | Date 15-08-2021
काउंटर ड्रोन प्रौद्योगिकी
काउंटर ड्रोन प्रौद्योगिकी

 

नई दिल्ली. रविवार को भारत के स्वतंत्रता दिवस समारोह के हिस्से के रूप में किए गए सुरक्षा उपायों को जोड़ते हुए, लाल किले और उसके आसपास का क्षेत्र की निगरानी के लिए रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (डीआरडीओ) द्वारा विकसित एक काउंटर ड्रोन प्रौद्योगिकी स्थापित की गई थी.

लाल किले और उसके आसपास के क्षेत्र की निगरानी के लिए स्थापित यह प्रणाली 4 किलोमीटर के दायरे में किसी भी आकार के ड्रोन का पता लगाने और निष्क्रिय करने की क्षमता रखती है. डीआरडीओ के वैज्ञानिक भारत भूषण कटारिया ने इस तकनीक के निर्माण के बारे में विस्तृत जानकारी साझा करते हुए कहा कि यह तकनीक डीआरडीओ के अध्यक्ष डॉ सतीश रेड्डी की सोच का परिणाम है.

कटारिया ने कहा, “डॉ चंद्रिका कौशिक के नेतृत्व में ऐसी तकनीक विकसित करने की दिशा में प्रयास शुरू किया था. मुख्य रूप से डी4 तकनीक पर आधारित है, जो ड्रोन, डिटेक्ट, डिटर और डिस्ट्रॉय है, इस प्रणाली को संयुक्त रूप से डीआरडीओ, एलआरडीई, आईआरडीई, डीएलआर ओर सीएचईएसएस की चार प्रयोगशालाओं के तहत बनाया गया है. ”

उन्होंने कहा, “इसका रडार 360 डिग्री से 4 किलोमीटर तक के क्षेत्र को कवर करता है. इसमें एक उच्च-रिजॉल्यूशन कैमरा है, जिसके माध्यम से हम वस्तु को देखते हैं. यह प्रणाली सभी प्रकार के ड्रोन पर प्रभावी है. किसी भी ड्रोन को निष्क्रिय करने में केवल 15 से 20 सेकंड का समय लगता है. किसी भी तरह से. इस तकनीक को मिसाइल-विरोधी रक्षा प्रणाली के रूप में विकसित किया गया था. इसमें लेजर बीम प्रकाश की गति से चलती है. इसे ध्यान में रखते हुए, जैसे ही हम किसी वस्तु को देखते हैं, उसे नष्ट करने में केवल कुछ सेकंड लगते हैं इस गति से एक लेजर बीम के साथ. यह 24-7 ऑपरेशन में रह सकता है.”

गौरतलब है कि पिछले कुछ समय से किसी इलाके में देश विरोधी ताकतों द्वारा ड्रोन हमले या घुसपैठ की घटनाओं में लगातार इजाफा हो रहा है. ऐसे में सुरक्षा एजेंसियों के सामने चुनौतियां कई गुना बढ़ गई हैं. इसे देखते हुए यह तकनीक बेहद महत्वपूर्ण है.

डीआरडीओ के अतिरिक्त निदेशक कर्नल अभिषेक श्रीवास्तव ने इस तकनीक के संचालन के बारे में जानकारी देते हुए कहा, “डीआरडीओ द्वारा विकसित की गई इस काउंटर ड्रोन तकनीक में 4 भाग हैं. इसमें एक रडार है, जो 4 किलोमीटर से किसी भी माइक्रो ड्रोन का पता लगा सकता है. नैनो वहां मौजूद ड्रोन 2 किलोमीटर के दायरे से उनका पता लगा सकते हैं. उसके बाद, इसमें रेडियो फ्रीक्वेंसी जैमर और जीएनएसएस जैमर है. तीसरा भाग लेजर-आधारित लेखों की प्रणाली है. चौथा भाग सॉफ्टकिल और हार्डकिल की एक एकीकृत प्रणाली है.”

उन्होेंने बताया, “यदि कोई वस्तु आप पर निशाना साध रही है और यदि आपका रडार चालू है, तो रडार छोटे से छोटे कणों को भी पकड़ सकता है. इसके बाद, यह लक्ष्य को एकीकृत प्रणाली को सौंप देता है. इस तरह, यदि आपने कोई लक्ष्य देखा है, तो आप इसकी पुष्टि कर सकते हैं और इसे बेअसर कर सकते हैं. क्योंकि इसका नियंत्रण कमांड लिंक आरएफ आधारित यह बेकार होगा. इसमें जीपीएस जैमर भी है.”

कर्नल श्रीवास्तव ने आगे कहा, “कई बड़े रडार हैं, जो 100 किलोमीटर, 150 किलोमीटर, 300-500 किलोमीटर तक की वस्तुओं को ट्रैक करने की क्षमता रखते हैं. लेकिन, उन राडार से आप छोटी वस्तुओं को ट्रैक नहीं कर सकते. हमने अलग राडार, जैमर विकसित किया है. ताकि छोटे से छोटे कण का भी पता लगाया जा सके. इसकी सटीकता 100 प्रतिशत है.”

यह चौथी बार है, जब सुरक्षा व्यवस्था को और सख्त बनाने के लिए काउंटर ड्रोन तकनीक का इस्तेमाल किया गया है.

श्रीवास्तव ने कहा, “पहले इसका इस्तेमाल अहमदाबाद में पिछले साल तत्कालीन अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प की भारत यात्रा के दौरान किया गया था. इसके बाद पिछले साल स्वतंत्रता दिवस और इस साल के गणतंत्र दिवस समारोह के दौरान भी किया गया था. इसने निश्चित रूप से सुरक्षा व्यवस्था में नैनो या माइक्रो-ड्रोन के माध्यम से तोड़फोड़ की किसी भी साजिश से निपटने में मदद की है.”