हाईकोर्ट ने औरंगाबाद, उस्मानाबाद का नाम बदलने को चुनौती देने वाली याचिका की खारिज

Story by  आवाज़ द वॉयस | Published by  [email protected] | Date 08-05-2024
Bombay high court
Bombay high court

 

मुंबई. बॉम्बे हाई कोर्ट ने बुधवार को औरंगाबाद जिले का नाम बदलकर छत्रपति संभाजीनगर और उस्मानाबाद का नाम धाराशिव करने के महाराष्ट्र सरकार के फैसले को चुनौती देने वाली कई याचिकाओं को खारिज करते हुए कहा, ‘‘नाम में क्या रखा है.’’

मुख्य न्यायाधीश देवेन्द्र कुमार उपाध्याय और न्यायमूर्ति आरिफ डॉक्टर की खंडपीठ ने कहा कि याचिकाओं में कोई दम नहीं है और राज्य सरकार द्वारा (नाम बदलने के लिए) जारी अधिसूचना में किसी हस्तक्षेप की जरूरत नहीं है. पीठ ने कहा, ‘‘हमें यह मानने में कोई झिझक नहीं है कि औरंगाबाद और उस्मानाबाद का नाम बदलने के लिए राज्य सरकार द्वारा जारी अधिसूचना किसी अवैधता या किसी कानूनी बुराई से ग्रस्त नहीं है.’’

पीठ ने अपने फैसले में विलियम शेक्सपियर के नाटक रोमियो एंड जूलियट का हवाला देते हुए कहा, ‘‘नाम में क्या रखा है? जिसे हम गुलाब कहते हैं, किसी भी अन्य नाम से उसकी सुगंध उतनी ही मीठी होगी.’’ पीठ ने कहा कि शेक्सपियर ने नामों की प्रकृति पर गहन टिप्पणी की थी और कहा था कि एक नाम कुछ भी नहीं बदलता है और गुलाब को कुछ अलग कहने से फूल का सार नहीं बदल जाएगा.

पीठ ने अपने फैसले में कहा कि महाराष्ट्र भूमि राजस्व संहिता राज्य सरकार को किसी भी राजस्व क्षेत्र को खत्म करने और क्षेत्र का नाम बदलनेध्नाम बदलने और बदलने की अनुमति देती है. अदालत ने कहा कि उसे यह निष्कर्ष निकालने में कोई झिझक नहीं है कि सरकार ने दोनों जिलों और शहरों का नाम बदलने का निर्णय लेने से पहले वैधानिक प्रावधानों का पालन किया.

एचसी ने कहा कि उसकी राय है कि किसी राजस्व क्षेत्र या यहां तक कि एक शहर या कस्बे के नाम में बदलाव का मुद्दा न्यायसंगत नहीं है, क्योंकि अदालतों में इस तरह के मुद्दे पर फैसला करने के लिए आवश्यक उपकरण का अभाव है.

उच्च न्यायालय ने कहा, ‘‘किसी विशेष वस्तु या स्थान को किस नाम से जाना जाता है, इसकी न्यायिक समीक्षा तब तक नहीं की जा सकती, जब तक कि प्रस्तावित नाम नृशंस न हो.’’

2022 में, मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे की अध्यक्षता में महाराष्ट्र कैबिनेट ने औरंगाबाद का नाम छत्रपति संभाजीनगर और उस्मानाबाद का नाम धाराशिव करने को मंजूरी दी. 16 जुलाई, 2022 को दो सदस्यीय कैबिनेट द्वारा नाम बदलने के लिए एक सरकारी प्रस्ताव पारित किया गया और फिर केंद्र सरकार को भेज दिया गया.

फरवरी 2023 में, केंद्रीय गृह मंत्रालय ने शहरों और जिलों के नाम बदलने के लिए अनापत्ति पत्र दिया और उसके बाद, राज्य सरकार द्वारा औरंगाबाद और उस्मानाबाद के नाम बदलने के लिए एक गजट अधिसूचना जारी की गई.

इसके बाद औरंगाबाद निवासियों द्वारा जगह का नाम बदलकर छत्रपति संभाजीनगर करने के सरकार के फैसले को चुनौती देते हुए कई याचिकाएं दायर की गईं. उस्मानाबाद का नाम बदलकर धाराशिव करने के सरकार के फैसले के खिलाफ उस्मानाबाद के 17 निवासियों ने एक और जनहित याचिका दायर की थी. दोनों याचिकाओं में सरकार के फैसले को ‘राजनीति से प्रेरित’ बताया गया है.

महाराष्ट्र सरकार ने याचिकाओं का विरोध करते हुए दावा किया था कि दोनों स्थानों का नाम उनके इतिहास के कारण बदला गया है, न कि किसी राजनीतिक कारण से.

 

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