तहलका संपादक तेजपाल बरी, गोवा सरकार अपील करेगी

Story by  मुकुंद मिश्रा | Published by  [email protected] | Date 21-05-2021
तरुण तेजपाल
तरुण तेजपाल

 

पणजी. तहलका के पूर्व प्रधान संपादक तरुण तेजपाल को मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट अदालत ने बलात्कार के आरोपों से बरी कर दिया. आरोप है कि तरुण तेजपाल ने 2013 में गोवा के एक फाइव स्टार रिजॉर्ट में जूनियर पत्रकार यौन शोषण किया था.

मुख्यमंत्री प्रमोद सावंत ने कहा कि गोवा सरकार एक महिला के साथ किए गए किसी भी गलत काम को बर्दाश्त नहीं करेगी और कहा कि उनकी सरकार बॉम्बे हाईकोर्ट में फैसले के खिलाफ अपील करेगी.

विशेष लोक अभियोजक फ्रांसिस्को टवोरा के अनुसार, “फैसला एक ‘गंभीर झटका’ था और राज्य सरकार उच्च न्यायालय में आदेश के खिलाफ अपील दायर करने की तैयारी कर रही है.”

तेजपाल पर भारतीय दंड संहिता की धारा 376 (बलात्कार), 341 (गलत तरीके से रोकना), 342 (गलत तरीके से बंधक बनाना) 354ए (यौन उत्पीड़न) और 354बी (आपराधिक हमला) के तहत मामला दर्ज किया गया है.

तेजपाल के बचाव पक्ष के वकील ने कहा, “उन्हें सभी आरोपों से बरी कर दिया गया है. आदेश अभी नहीं दिया गया है. इसे बाद में बताया जाएगा.”

आदेश पर प्रतिक्रिया देते हुए तेजपाल ने कहा, “न्याय मिलने से उन्हें राहत मिली है और न्याय ‘इस देश में हमेशा दी जाने वाली चीज’ नहीं है.”

तेजपाल ने अदालत के बाहर संवाददाताओं से कहा, “यह मेरे परिवार के लिए एक बहुत लंबा दुःस्वप्न रहा है. मुझे राहत मिली है कि यह आखिरकार खत्म हो गया और मैं न्याय पाने के लिए बहुत आभारी हूं.”

एक औपचारिक लिखित बयान में तेजपाल ने यह भी कहा, “पिछले साढ़े सात साल मेरे परिवार के लिए दर्दनाक रहे हैं, क्योंकि हमने अपने व्यक्तिगत पेशेवर और सार्वजनिक जीवन के हर पहलू पर इन झूठे आरोपों के विनाशकारी नतीजों से निपटा है. हमने सैकड़ों घंटे की अदालती कार्यवाही के माध्यम से गोवा पुलिस और कानूनी व्यवस्था के साथ पूरा सहयोग किया है.”

तेजपाल ने एक लिखित बयान में कहा, “हमने नियत प्रक्रिया के हर आदेश का अटूट पालन किया है और संविधान में निर्धारित कानून के हर सिद्धांत का पालन किया है. हमने इस तरह के मामले में अपेक्षित शालीनता के हर मानदंड को बनाए रखने का भी प्रयास किया है.” उन्होंने कठोर और निष्पक्ष सुनवाई के लिए अदालत को धन्यवाद दिया.

फैसले के बाद पत्रकारों से बात करते हुए टवोरा ने कहा कि अभियोजन दल इस आदेश से गंभीर रूप से व्यथित है, जिसे उन्होंने बंबई उच्च न्यायालय में चुनौती दी जाएगी.

टवोरा ने संवाददाताओं से कहा, “आरोपी को सभी आरोपों से बरी कर दिया गया है. हम फैसले की एक प्रति का इंतजार कर रहे हैं, लेकिन राज्य फैसले के खिलाफ अपील की तैयारी कर रहा है. फिलहाल मैं इतना ही कह सकता हूं.”

टवोरा ने आगे कहा, “शुरूआत में, आरोपी मामले से बरी होना चाहता था, इसलिए वह सुप्रीम कोर्ट गया और स्थगन आदेश मिला. इस तरह मुकदमे को दो साल के लिए रोक दिया गया. अगस्त 2019 में इसे फिर से शुरू किया गया. सितंबर 2020 से, यह दिन-प्रतिदिन के आधार पर चल रहा है.”

फैसले पर प्रतिक्रिया देते हुए मुख्यमंत्री प्रमोद सावंत ने कहा कि गोवा राज्य महिलाओं के खिलाफ किसी भी अन्याय को बर्दाश्त नहीं करेगा.

सावंत ने कहा, “गोवा सरकार एक महिला के साथ किए गए किसी भी गलत काम को बर्दाश्त नहीं करेगी. हम (फैसले के खिलाफ) उच्च न्यायालय में एक अपील दायर कर रहे हैं.”

मुख्यमंत्री ने यह भी कहा कि उन्होंने मामले से संबंधित सबूतों और दस्तावेजों को देखा है और व्यक्तिगत रूप से आश्वस्त हैं कि फैसले के खिलाफ अपील की जानी चाहिए.

कनिष्ठ सहयोगी द्वारा तेजपाल के खिलाफ दायर शिकायत के अनुसार, कथित तौर पर बलात्कार 7 नवंबर को तहलका मीडिया समूह द्वारा 2013 में आयोजित एक सम्मेलन के दौरान हुआ था.

तेजपाल ने बाद में 20 नवंबर को तहलका के संपादक का पद छोड़ दिया, जिसके तीन दिन पहले गोवा पुलिस ने उनके खिलाफ बलात्कार का आरोप लगाते हुए प्राथमिकी दर्ज की थी.

तेजपाल को 30 नवंबर को गिरफ्तार किया गया था, जब एक स्थानीय अदालत ने उनकी अग्रिम जमानत याचिका खारिज कर दी थी.

गिरफ्तारी के बाद तेजपाल ने करीब आठ महीने पुलिस और न्यायिक हिरासत में बिताए. गोवा पुलिस की अपराध शाखा द्वारा 2,846 पन्नों के आरोप पत्र के महीनों बाद, उन्हें बाद में सुप्रीम कोर्ट ने जमानत पर रिहा कर दिया.

2017 में गोवा की निचली अदालत ने तेजपाल के खिलाफ आरोप तय किए, जिससे मुकदमे का रास्ता साफ हो गया.