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जन्म:ः11 दिसम्बर 1922
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पेशावर, ब्रितानी भारत
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मृत्युः 7 जुलाई 2021 (उम्र 98)
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ट्रेजिडी किंग से मशहूर
मलिक असगर हाशमी / नई दिल्ली
अभिनय के बादशाह दिलीम कुमार अब हमारे बीच नहीं रहे. उन जैसा अभिनेता अब शायद ही कोई और दूसरा हो. उनकी अभिनय की नकल कर कई लोग बड़े स्टार बन गए. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उनके निधन पर देश के लिए बड़ी क्षति बताया है. वास्तव में यह बड़ी क्षति है भी.
दिलीप कुमारख् जिनका वास्तविक नाम यूसुफ खान) है हिन्दी फिल्मों के न केवल प्रसिद्ध और लोकप्रिय अभिनेता थे, अभिनय की कला उनमें जन्मजात थी. वह संसद के उच्च सदन राज्यसभा के सदस्य रह चुके हैं.दलीप कुमार को उनके दौर का बेहतरीन अभिनेता माना जाता है.
त्रासद या दुःखद भूमिकाओं के लिए मशहूर होने के कारण उन्हें ‘ट्रेजिडी किंग‘ भी कहा जाता था. उन्हें भारतीय फिल्मों के सर्वोच्च सम्मान दादा साहब फाल्के पुरस्कार से सम्मानित किया गया था. इसके अलावा दिलीप कुमार को पाकिस्तान का सर्वोच्च नागरिक सम्मान निशान-ए-इम्तियाज से भी सम्मानित किया गया है.
दिलीप कुमार के जन्म का नाम मुहम्मद युसुफ खान है. उनका जन्म पेशावर (अब पाकिस्तान में हुआ था. उनके पिता मुंबई आ बसे थे, जहां उन्हांेने हिन्दी फिल्मों में काम करना शुरू किया. उन्हांेंने अपना नाम बदल कर दिलीप कुमार रख लिया ताकि उन्हें हिन्दी फिल्मों में ज्यादा पहचान और सफलता मिले.
दिलीप कुमार ने अभिनेत्री सायरा बानो से 1966 में विवाह किया. विवाह के समय दिलीप कुमार 44 वर्ष और सायरा बानो 22 वर्ष की थीं. 1980 में कुछ समय के लिए आसमां से दूसरी शादी भी की थी.वर्ष 2000 से वे राज्य सभा के सदस्य है.
1980 में उन्हें सम्मानित करने के लिए मुंबई का शेरिफ घोषित किया गया. 1995 में उन्हें दादा साहेब फाल्के पुरस्कार से सम्मानित किया गया. 1998 में उन्हें
पाकिस्तान का सर्वोच्च नागरिक सम्मान निशान-ए-इम्तियाज भी प्रदान किया गया.
करियर
उनकी पहली फिल्म ‘ज्वार भाटा‘ थी, जो 1944 में आई.1949 में बनी फिल्म अंदाज की सफलता ने उन्हं. प्रसिद्धी दिलाई. इस फिल्मे मउन्हांेने राज कपूर के साथ काम किया. दिदार (1951) और देवदास (1955) जैसी फिल्मों में दुखद भूमिकाओं के मशहूर होने के कारण उन्हें ट्रेजिडी किंग कहा गया.
मुगले-ए-आजम (1960) में उन्होने मुगल राजकुमार जहांगीर की भूमिका निभाई. यह फिल्म पहले श्वेत और श्याम थी और 2004 में रंगीन बनाई गई. उन्हांेने 1961 में गंगा जमुना फिल्म का निर्माण भी किया, जिसमें
उनके साथ उनके छोटे भाई नासीर खान ने काम किया.
1970, 1980 और 1990 के दशक में उन्होने कम फिल्मों में काम किया. इस समय उनकी प्रमुख फिल्मे थीः विधाता (1982), दुनिया (1984), कर्मा (1986), इज्जतदार (1990) और सौदागर (1991). 1998 में बनी फिल्म किला उनकी आखरी फिल्म थी.
उन्होंने रमेश सिप्पी की फिल्म शक्ति में अमिताभ बच्चन के साथ काम किया. इस फिल्म के लिए उन्हें फिल्मफेयर पुरस्कार भी मिला.वे आज भी प्रमुख अभिनेताओ जैसे शाहरूख खान के प्रेरणास्रोत्र है.
फिल्मफेयर पुरस्कार
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1983 - फिल्मफेयर सर्वश्रेष्ठ अभिनेता पुरस्कार - शक्ति
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1968 - फिल्मफेयर सर्वश्रेष्ठ अभिनेता पुरस्कार - राम और श्याम
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1965 - फिल्मफेयर सर्वश्रेष्ठ अभिनेता पुरस्कार - लीडर
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1961 - फिल्मफेयर सर्वश्रेष्ठ अभिनेता पुरस्कार - कोहिनूर
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1958 - फिल्मफेयर सर्वश्रेष्ठ अभिनेता पुरस्कार - नया दौर
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1957 - फिल्मफेयर सर्वश्रेष्ठ अभिनेता पुरस्कार - देवदास
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1956 - फिल्मफेयर सर्वश्रेष्ठ अभिनेता पुरस्कार - आजाद
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1954 - फिल्मफेयर सर्वश्रेष्ठ अभिनेता पुरस्कार - दाग
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2014 - किशोर कुमार सम्मान - अभिनय के क्षेत्र में