कर्नाटकः कोविड से 23 मौतें पर चामराजनगर पर सैलानी बेखबर

Story by  मंजीत ठाकुर | Published by  [email protected] | Date 03-08-2021
कर्नाटकः कोविड से 23 मौतें पर चामराजनगर पर सैलानी बेखबर
कर्नाटकः कोविड से 23 मौतें पर चामराजनगर पर सैलानी बेखबर

 

प्रतिभा रमण / चामराजनगर

क्या भारत में कोविड 19 के मामलों में कमी आई है? खैर, पिछले हफ्ते का संक्रमण 2.66लाख था. 26जुलाई से 1अगस्त तक, देश में 2.86लाख से अधिक मामले दर्ज किए गए हैं, जो पिछले 11हफ्तों में लगातार गिरावट के बाद 7.5फीसद की वृद्धि है.

आपके प्रश्न का उत्तर बेशक ना होगा, पर हैदराबाद और कानपुर में भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आइआइटी) में मथुकुमल्ली विद्यासागर और मनिंद्र अग्रवाल के नेतृत्व में शोधकर्ताओं के अनुसार, भारत में कोई भी कोविड तीसरी लहर बहुत निर्दयता से पेश आने वाली है.

20,700से अधिक नए कोविड-19 ​​​​मामलों के साथ भारत के रोजाना मामलों में लगभग आधा केरल में देखा जा रहा है. ऐसे में, पड़ोसी देश कर्नाटक ने अपनी सीमाओं की रक्षा करने का फैसला किया है. इसने केरल और महाराष्ट्र से यात्रा करने वाले लोगों के लिए यह अनिवार्य कर दिया है कि वे अपने टीकाकरण की स्थिति के बावजूद नेगेटिव आरटी-पीसीआर परीक्षण रिपोर्ट तैयार करें.

चामराजनगर में लापरवाही

हालांकि, कर्नाटक में लोग कोविड-19 की दूसरी लहर के कारण हुए ध्वंस से अप्रभावित दिख रहे हैं. लेख के साथ कर्नाटक जिले के चामराजनगर की तस्वीरें हैं जो केरल और तमिलनाडु के साथ अपनी सीमा साझा करती हैं.

इन तस्वीरों में बाराचुक्की कावेरी जलप्रपात में समय बिताने के लिए सैलानी भागते नजर आ रहे हैं. वे भीड़ में इकट्ठा हो रहे हैं, स्नान कर रहे हैं, मास्क नहीं पहन रहे हैं और न ही सोशल डिस्टेंसिंग का पालन कर रहे हैं.

विडंबना यह है कि चामराजनगर में कथित ऑक्सीजन की कमी के कारण 23लोगों की मौत 3मई को एक कोविड 19 उपचार केंद्र में देखी गई थी. यह उस समय की बात है जब कर्नाटक में दूसरी लहर ने कहर बरपा कर दिया था, जिससे उसके कई नागरिक सांस लेने के लिए हांफ रहे थे.

चामराजनगर में लापरवाही

मणिपाल इंस्टीट्यूट ऑफ नेफ्रोलॉजी एंड यूरोलॉजी के निदेशक डॉ सुदर्शन बल्लाल कहते हैं, "लोग कहते हैं कि डॉक्टरों ने बहुत अच्छा काम किया है. कृपया उचित व्यवहार का पालन करके प्रसार को रोकें और हमारी मदद करें. तीसरी लहर नागरिकों के हाथ में है, न कि केवल वायरस के.”

सीएमआई अस्पताल के डॉ मैथ्यू जैकब कहते हैं, “हमें वायरस को रोकने के लिए उपाय करने की आवश्यकता है. यदि नहीं तो संक्रमण व्यवस्था पर भारी पड़ सकता है और कर्नाटक जल्द ही अपंग हो जाएगा जैसा कि कुछ महीने पहले दिल्ली था. पर्यटक हों या कोई और, हमें ट्रांसमिशन कम करने की जरूरत है.”

कर्नाटक राज्य पर्यटन विकास निगम के अनुसार, "प्राकृतिक स्थलों" पर भीड़ बढ़ रही है. वास्तव में, बेंगलूरु के बाहरी इलाके नंदी हिल में भारी भीड़ देखी गई, जिससे अधिकारियों को शुक्रवार शाम 6बजे से सोमवार सुबह 6बजे तक पर्यटकों के प्रवेश पर रोक लगा दी.

भाजपा की प्रदेश प्रवक्ता मालविका कहती हैं, “मुझे लगता है कि यह अनुमान है कि टीके उन्हें कोविड से सुरक्षित रखने वाले हैं, जो इस तरह का व्यवहार कर रहे हैं. तीसरी लहर की अनिश्चितता के मद्देनजर मैं इस व्यवहार को सही नहीं ठहराती, लेकिन मैं कारण बता रही हूं.”

डॉ जैकब ने कहत हैं, “लोग सोचते हैं कि जब आपको पूरी तरह से टीका लगाया जाता है, तो आप वायरस से पूरी तरह से प्रतिरक्षित होते हैं. बात वह नहीं है. टीके कोविड को नहीं रोकते हैं. इससे बस रोग गंभीर रूप धारण नहीं करेगा. हालांकि इसकी भी कोई गारंटी नहीं है. हमें आपकी प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने की जरूरत है, ”

डॉ बल्लाल कहते हैं, “मैं टीकों का प्रबल समर्थक रहा हूं. और मुझे लगता है कि सख्त जुर्माना लगाया जाना चाहिए और बड़ी सभाओं पर प्रतिबंध लगाना चाहिए अन्यथा हम वायरस के गुलाम होंगे.”

लॉकडाउन और अनलॉक के दुष्चक्र से खेलते हुए सरकार भी असमंजस में है.