नई दिल्ली. विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने शुक्रवार को 11 देशों में पाए जाने वाले मंकीपॉक्स वायरस के 80 मामलों का पता लगाया. इस बीच, भारत इन देशों से आने वाले यात्रियों की जांच शुरू कर देगा और लक्षणों वाले यात्रियों के नमूने आगे की जांच के लिए पुणे में नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी (एनआईवी) भेजे जाएंगे.
डब्ल्यूएचओ ने कहा कि वे प्रकोप की सीमा और कारण को बेहतर ढंग से समझने के लिए काम कर रहे हैं. शुक्रवार को जारी एक बयान में, डब्ल्यूएचओ ने कहा कि वायरस कई देशों में कुछ जानवरों की आबादी में स्थानिक है, जिससे स्थानीय लोगों और यात्रियों में कभी-कभार इसका प्रकोप होता है.
डब्ल्यूएचओ ने एक बयान में कहा, ‘‘डब्ल्यूएचओ और सहयोगी मंकीपॉक्स के फैलने की सीमा और कारण को बेहतर ढंग से समझने के लिए काम कर रहे हैं. वायरस कई देशों में कुछ जानवरों की आबादी में स्थानिक है, जिससे स्थानीय लोगों और यात्रियों के बीच कभी-कभी प्रकोप होता है. हालिया प्रकोप 11 देशों में रिपोर्ट किए गए हैं अब तक असामान्य हैं, क्योंकि वे गैर-स्थानिक देशों में हो रहे हैं.’’
मंकीपॉक्स संक्रमित जानवरों से मनुष्यों में जाता है और यूरोप और उत्तरी अमेरिका में मामले तेजी से बढ़ रहे हैं. इसे संक्रमित जानवर के काटने से, उसके खून, शरीर के तरल पदार्थ या फर को छूने से पकड़ा जा सकता है. इस बीच, विश्व स्वास्थ्य संगठन ने हाल ही में मंकीपॉक्स के प्रकोप पर चर्चा के लिए एक आपातकालीन बैठक बुलाई है. यूरोप में यूनाइटेड किंगडम, स्पेन पुर्तगाल, जर्मनी और इटली में मामलों की पुष्टि हुई है. संयुक्त राज्य अमेरिका, कनाडा और ऑस्ट्रेलिया ने भी मामले दर्ज किए हैं.