असम में मुसलमानों के सामने हैं कई स्वास्थ्य चुनौतियां

Story by  राकेश चौरासिया | Published by  [email protected] • 1 Years ago
असम में मुसलमानों के सामने हैं कई स्वास्थ्य चुनौतियां
असम में मुसलमानों के सामने हैं कई स्वास्थ्य चुनौतियां

 

मुन्नी बेगम / गुवाहाटी
 
विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के अनुसार, स्वास्थ्य की परिभाषा हैः  स्वास्थ्य का मतलब केवल बीमारी और कमजोरी के बिना शरीर नहीं है, स्वास्थ्य का अर्थ है पूर्ण शारीरिक, मानसिक और सामाजिक क्षमता. इसलिए हमें खुद को स्वस्थ रखने की कोशिश करनी चाहिए. स्वास्थ्य और कल्याण का व्यक्ति की जीवन शैली से गहरा संबंध है. ऐसा इसलिए है, क्योंकि जीवनशैली ने हमारे स्वास्थ्य को बरकरार रखने में अहम भूमिका निभाई है. हालांकि, कई मामलों में, जनसंख्या के आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों में कुपोषण और एनीमिया जैसी स्वास्थ्य समस्याएं होती हैं. इस समस्या की व्यापकता बहुत अधिक है, खासकर असम के पहाड़ी इलाकों में रहने वाले मुसलमानों में.

इस संबंध में, डॉ इलियास अली ने आवाज-द-वॉयस के साथ एक साक्षात्कार में कहा, ‘‘स्वास्थ्य परम मानव संसाधन है. लेकिन हमारे राज्य में मुस्लिम समुदाय के बीच विभिन्न स्वास्थ्य समस्याएं हैं.’’
 
शिक्षा और जागरूकता की कमी के कारण चार-छपारी क्षेत्र के लोग विभिन्न स्वास्थ्य समस्याओं का सामना कर रहे हैं.
 
डॉ अली का कहना है कि असम में खिलंगिया मुसलमानों का स्वास्थ्य अन्य समुदायों से बहुत अलग नहीं है. शिक्षा की कमी के कारण, स्वदेशी मुसलमानों में जल्दी विवाह का प्रचलन है और वे कई बच्चों को जन्म देते हुए देखे जाते हैं. नतीजतन, महिलाएं एनीमिया से पीड़ित होती हैं और बच्चे कुपोषण से पीड़ित होते हैं.’’ 
 
पमुवा मुसलमानों की आबादी काफी अधिक है. इसलिए वे बच्चे के स्वास्थ्य का जरूरी ख्याल नहीं रख पा रहे हैं. नतीजतन, विभिन्न बीमारियों के कारण कुपोषण से मरने वाले बच्चों की संख्या भी अधिक है. कई बच्चे अभी भी कुपोषण के शिकार हैं.

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एनीमिया का प्रतिनिधित्व करने वाला एक ग्राफ


 
डॉ अली ने कहा, ‘‘राज्य के चार क्षेत्रों में रहने वाले मुसलमान बहुत गरीब हैं और स्वास्थ्य, शिक्षा, परिवहन और संचार जैसी बुनियादी सुविधाओं से वंचित हैं. 
 
डॉ. अली ने आगे कहा, ‘‘अगर चरांचल के लोग उचित परिवहन की कमी के कारण चिकित्सा केंद्र में इलाज के लिए आते हैं, तो उन्हें कम से कम 3-4 किमी की दूरी तय करनी होगी या नाव से क्षेत्र तक पहुंचना होगा. 
 
गरीबी का हमारे स्वास्थ्य पर बहुत प्रभाव पड़ता है. पैसे की कमी के कारण बहुत से लोग पौष्टिक भोजन खाने से कतराते हैं.
 

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डॉ इलियास अली


 
इस संदर्भ में डॉ. अली कहते हैं, ‘‘गरीबी का हमारे स्वास्थ्य पर बहुत बड़ा प्रभाव पड़ता है. इसका ज्वलंत उदाहरण राज्य के चार क्षेत्र हैं. कई बच्चे अभी भी कुपोषण से पीड़ित हैं.’’
अगर किसी देश की शिक्षा और चिकित्सा व्यवस्था में सुधार किया जाए, तो देश को मजबूत कहा जा सकता है. ऐसे में देश की सरकार को कार्रवाई करने की जरूरत है.
डॉ अली ने कहा, ‘‘राज्य सरकार ने हाल ही में राज्य की शिक्षा और स्वास्थ्य व्यवस्था में सुधार के लिए राज्य में कई चिकित्सा संस्थानों और शैक्षणिक संस्थानों की स्थापना की है. क्षेत्र में सड़कों में काफी सुधार हुआ है, लेकिन जिस तरह से यह नहीं था. होना चाहिए. यदि हम राज्य में मातृ एवं शिशु मृत्यु दर सहित कुपोषण को समाप्त कर सकते हैं, तो हम अपने देश को एक विकसित देश कह सकते हैं.’’
 

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चार क्षेत्र की महिलाओं के लिए जागरूकता कार्यक्रम


 
इस बीच, राज्य सरकार ने राज्य में बेहतर शिक्षा और स्वास्थ्य के लिए विभिन्न योजनाओं को अपनाया है. उम्मीद है कि इससे काफी हद तक समस्या से निजात मिल जाएगी.