MANUU में अंतरराष्ट्रीय अकादमिक सम्मेलन सम्पन्न

Story by  आवाज़ द वॉयस | Published by  [email protected] | Date 16-11-2025
International Academic Conference concludes at MANUU
International Academic Conference concludes at MANUU

 

हैदराबाद

मौलाना आज़ाद नेशनल उर्दू यूनिवर्सिटी (मेनू) में आयोजित दो दिवसीय अंतरराष्ट्रीय अकादमिक सम्मेलन “उर्दू, हिंदी, अरबी और फ़ारसी—भाषाई, साहित्यिक, सांस्कृतिक और बौद्धिक आदान-प्रदान के माध्यम से सभ्यतागत सामंजस्य” आज सफलतापूर्वक सम्पन्न हुआ। देश–विदेश के प्रतिष्ठित विद्वानों और शिक्षाविदों ने इस सम्मेलन में भाग लेकर इसे ज्ञान–संवाद का एक ऐतिहासिक मंच बना दिया।

दूसरे दिन के विचार–सत्र

सम्मेलन के दूसरे दिन के पहले सत्र में कनाडा के प्रसिद्ध विद्वान डॉ. सैयद तकी अबेदी मुख्य वक्ता रहे तथा मेनू के कुलपति प्रो. सैयद ऐनुल हसन ने अध्यक्षता की। सत्र का विषय था—“इस्लामिकेट इंटेलेक्चुअल हिस्ट्री।”

अपने अध्यक्षीय उद्बोधन में प्रो. हसन ने कहा कि अल्लामा इक़बाल पर सैय्यद जमालुद्दीन अफ़गानी का गहरा प्रभाव रहा, जो पैन इस्लामिज़्म के प्रमुख प्रवक्ता थे। उन्होंने इक़बाल को “मानवता का कवि” बताया और कहा कि “यदि कोई कवि धर्मनिरपेक्ष न हो, तो उसे कवि नहीं माना जा सकता। कवि का दृष्टिकोण सर्वसमावेशी होना चाहिए।”
डॉ. अबेदी ने इक़बाल की उर्दू और फ़ारसी शायरी में मौजूद भारतीय उपमहाद्वीप के साझा सामाजिक, सांस्कृतिक और मानवतावादी मूल्यों पर प्रकाश डाला।

तकनीकी सत्रों में विविध विषय

दूसरे तकनीकी सत्र “Comparison as Relations” में यूनिवर्सिटी ऑफ़ कैंब्रिज के डॉ. आर्थर डडनी ने “मुग़ल–सफ़वीद फ़ारसी में साहित्यिक नवाचार और उर्दू शायरी की शुरुआत” पर व्याख्यान दिया।

तीसरे सत्र में IIT मद्रास के प्रो. श्रीश चौधरी ने “मिश्रित भाषाओं के व्याकरण की ओर” पर अपना शोध प्रस्तुत किया।
प्रो. पंचानन मोहंती (UoH/MANUU) ने “हिंदी–उर्दू में कितने कारक?” विषय पर विचार रखे।

चौथे सत्र में “Words and Worlds: Literary and Cultural Affinities” तथा “Urdu Literature: Regional and Transregional Influences” जैसे महत्त्वपूर्ण विषयों पर चर्चा हुई।

अंतिम तकनीकी सत्र में शोधकर्ताओं ने “Cultural Poetics: Aesthetics, Translation and History of Ideas” पर आधारित शोध प्रस्तुत किए।
मेनू के कुलसचिव प्रो. इश्तियाक़ अहमद ने “नए फ़ारसी काव्य में आधुनिकता के विमर्श की पुनर्परीक्षा” विषय पर अपना व्याख्यान दिया।

समापन सत्र

समापन सत्र की मुख्य वक्ता, स्वीडन की ज्योंकोपिंग यूनिवर्सिटी की प्रो. संगीता बाग्गा–गुप्ता, ने “भाषा विज्ञान में मानववाद की पुनर्स्थापना की आवश्यकता: सभ्यतागत सामंजस्य पर चिंतन” विषय पर प्रेरक संबोधन दिया।

सम्मेलन में अनेक प्रतिष्ठित विद्वानों—डॉ. आमिर अली, डॉ. इरफ़ानुल्लाह फ़ारूकी, डॉ. मो. Danish Iqbal, प्रो. सैयद ए. सईद, प्रो. ज्योति सभरवाल, आदि—ने शोध पत्र प्रस्तुत किए।

मेनू से जुड़े कई शिक्षकों—जैसे प्रो. सैयद अलीम अशरफ़, प्रो. मोहम्मद अब्दुल सामी सिद्दीक़ी, प्रो. सैयद महमूद काज़मी, प्रो. फ़िरोज़ आलम, आदि—ने भी विभिन्न सत्रों में अपने शोध प्रस्तुत किए।