मुस्लिमों को सुनहरे अतीत की याद वीडियो के जरिए दिला रहे हैं बुद्धिजीवी

Story by  मंजीत ठाकुर | Published by  [email protected] | Date 19-09-2022
सुनहरे अतीत की याद
सुनहरे अतीत की याद

 

मंजीत ठाकुर/ नई दिल्ली

इन दिनों मुस्लिम समुदाय में एक अजीब-सी ऊहापोह है. ऐसे में कुछ बुद्धिजीवी हैं जो मुसलमानों को उनके गौरवशाली अतीत की याद दिलाकर उनका ध्यान सकारात्मकता की ओर मोड़ने की कोशिश कर रहे हैं.

ऐसे ही है दिल्ली अल्पसंख्यक आयोग के पूर्व चेयरमैन जफरूल-इस्लाम खान जो मिल्ली गजट के संस्थापक संपादक भी रहे हैं.

उन्होंने ट्विटर पर एक वीडियो शेयर किया है. जिसमें उन्होंने लिखा है, “हमारा अतीत महान था. औपनिवेशिक दौर ने हमें हर तरह से बर्बाद कर दिया. थोड़ी-सी कोशिश और समर्पण के साथ, हमारा भविष्य भी उतना ही महान हो सकता है.”

इस वीडियो में कुछ महान उपलब्धियों का जिक्र किया गया है.

1504 में महान खगोलविद अली कुश्जी ने एक ऐसा नक्शा तैयार किया जिससे सूर्य ग्रहण की भविष्यवाणी की जा सकती थी. यह नक्शा आज भी इस्तेमाल किया जाता है.

पहला अस्पताल अहमद इब्न तुलुन अस्पताल था जो कि 972 ईस्वी में काहिरा में स्थापित किया गया था.

क्रैंक का इस्तेमाल पहली बार अल जजारी बारहवीं सदी में किया था. उसी समय क्रैंक तकनीक का विकास किया गया था.

मुहम्मद अल ख्वारिज्मी ने बीजगणित की खोज की थी और उनकी किताब अल-जबरा के नाम पर बीजगणित को आज भी अलजेबरा कहा जाता है.

1000 ईस्वी में इब्न अल हैतम ने पहली बार प्रकाशिकी (ऑप्टिक्स) का इस्तेमाल किया और ऐसा करने वाले पहले वैज्ञानिक बन गए.