गोवा में ऐतिहासिक किलों और स्मारकों का होगा पुनरुद्धार

Story by  एटीवी | Published by  [email protected] | Date 25-06-2022
गोवा में ऐतिहासिक किलों और स्मारकों का होगा पुनरुद्धार
गोवा में ऐतिहासिक किलों और स्मारकों का होगा पुनरुद्धार

 

आवाज- द वॉयस/ एजेंसी

गोवा में पुर्तगाल के औपनिवेशिक शासन के दौरान ध्वस्त किए गए मंदिरों के पुनरुद्धार के लिए बजट में धन आवंटन करने के बाद अब राज्य सरकार ने ऐतिहासिक महत्व वाले किलों और स्मारकों की मरम्मत और उनके सौंदर्यीकरण करने का भी निर्णय लिया है. गोवा के भारतीय जनता पार्टी की सरकार ने गोवा की आजादी की कहानी पाठ्यपुस्तकों में सम्मिलित करने की योजना बनाई है ताकि स्वतंत्रता के संघर्ष के बारे में नई पीढ़ी भी जान सके.

अगुआड़ा किले के कुछ हिस्से को संग्रहालय में तब्दील किया गया है, ताकि पर्यटकों को आकर्षित किया जा सके. मुख्यमंत्री प्रमोद सावंत ने छात्रों से अपील की कि वे अगुवाड़ा किले जाएं और स्वतंत्रता सेनानियों के बारे में जानकारी प्राप्त करें. पुर्तगालियों ने इस किले को जेल के रूप में इस्तेमाल किया था और यहां स्वतंत्रता सेनानियों को बंद करके रखा जाता था.

सरकार गोवा के पर्यटन उद्योग को 'सी, सैंड एंड सन' से इतर विस्तृत करना चाहती है, ताकि पर्यटक अन्य ऐतिहासिक महत्व वाले पर्यटन स्थलों की तरफ आकर्षित हो सकें. गोवा पर पुर्तगाल का शासन करीब 450 साल तक रहा और 1961 में इसे आजादी मिली. पुर्तगालियों ने अपने शासनकाल के दौरान कई मंदिरों को ध्वस्त कर दिया था.

सावंत सरकार ने लेखा और पुरातत्व विभाग को आजादी की लड़ाई से जुड़े स्थलों को चिह्न्ति करने को कहा है. प्रमोद सावंत ने कहा कि बेतुल किले के इतिहास से जुड़े पुर्तगालियों के दस्तावेजों को अनूदित कराया जाए. यह किला शिवाजी महाराज से बनवाया था.

गोवा को आजाद करने में अग्रणी भूमिका निभाने वाले महाराष्ट्र के हीरवे गुरुजी और शेषनाथ वाडेकर की 15 अगस्त 1955 को तेरेचाोल या तिराकोल किले पर तिरंगा फहराने के कारण पुर्तगालियों ने गोली मारकर हत्या कर दी थी.

मुख्यमंत्री ने कहा कि गोवा को आजाद कराने की धुन के साथ देशभर के 127 स्वतंत्रता सेनानी तेरेखोल किले पर पहुंचे थे. पुर्तगालियों ने उन्हें भारत वापस लौटने के लिए कहा, लेकिन वे अडिग रहे. कुछ सेनानियों की पुर्तगालियों ने हत्या कर दी. उन्होंने गोवा को आजाद कराने के लिए अपने प्राण न्योछावर कर दिए और इसी कारण आगामी पीढ़ी को इस इतिहास का पता होना चाहिए.