स्पेशल रिपोर्टः रंग लाई श्वेत क्रांति, भारत में होता है सर्वाधिक दूध का उत्पादन

Story by  मंजीत ठाकुर | Published by  [email protected] | Date 29-09-2022
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स्पेशल रिपोर्ट/ मंजीत ठाकुर

देश दूध के उत्पादन के मामलें में आत्मनिर्भर हो गया है. यही नहीं, देश पूरी दुनिया में दुग्ध का सबसे बड़ा उत्पादक भी हो गया है. भारत के करीबन 8 करोड़ परिवार दुग्ध उत्पादन और इसके व्यवसाय से जुड़े हुए हैं.

देश में सालाना लगभग 9.5 लाख करोड़ रुपए की कीमत का दूध का उत्पादन होता है.

जब देश आजाद हुआ था तो प्रतिव्यक्ति दूध की खपत और उत्पादन दोनो ही कम था. 1951 में देश में दूध का उत्पादन महज 17 मिलियन टन था जो 2021 में बढ़कर 209.96 मिलियन टन हो गया है.

आजादी के बाद देश में दूध उत्पादन की दर कम थी और खपत भी. 1960 तक देश में दूध की खपत दो करोड़ टन थी. जिसे बढ़ाने के लिए तत्कालीन प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री ने श्वेत क्रांति की आधारशिला रखी. इसलिए डेयरी सेक्टर में श्वेत क्रांति के जरिए से बदलाव की जरूरत महसूस की गई.

इसी के तहत जुलाई 1970 में यूनाइटेड नेशन डेवलपमेंट प्रोग्राम—यूएनडीपी—और फूड एंड एग्रीकल्चर (एफएओ) की तकनीकी मदद से ऑपरेशन फ्लड लांच किया गया. ऑपरेशन फ्लड या श्वेत क्रांति की वजह से देश में दूध का उत्पादन काफी तेजी से बढ़ा और यह कार्यक्रम दुनिया का सबसे बड़ा डेयरी प्रोग्राम सिद्ध हुआ.

डॉ. वर्गीज कुरियन ने इंडियन डेरी कॉरपोरेशन की नींव रखी इससे ऑपरेशन फ्लड को माली मदद मिल सके. इस योजना के माध्यम से शुरुआत में 22,000 टन दूध का उत्पादन हुआ जो बाद में 1989 तक 1,40,000 टन पहुंच गया.

श्वेत क्रांति को तीन चरणों में लागू किया गया. पहला चरण जुलाई 1970 से शुरू हुआ जो 1980 तक चला. इसका मकसद 10 राज्यों में 18 मिल्क शेड लगाना था जिसमें सभी चारों बड़े महानगर शामिल थे.

दूसरा चरण 1981 से 1985 तक चला. इसके तहत कर्नाटक ,राजस्थान, मध्य प्रदेश जैसे राज्यों में डेयरी विकास कार्यक्रम चलाना था. इस चरण के अंत में 136 मिल्क शेड बन गए.

तीसरे चरण की शुरुआत 1986 से हुई जो 1996 तक चला. इसके तहत देश में श्वेत क्रांति को और शक्ति मिली. इस चरण के दौरान 30,000 नए डेरी कोऑपरेटिव जोड़े गए. मिल्क शेड की संख्या बढ़कर 173 हो गई. इसमें महिला सदस्यों की भागीदारी बढ़ने लगी फिर 1995 में वीमेन डेयरी कोऑपरेटिव लीडरशिप प्रोग्राम को एक पायलट प्रोजेक्ट के तौर पर भी लांच किया गया था.

1974 में भारत सिर्फ 2.3 करोड़ टन दूध का उत्पादन करता था, जो हमारी घरेलू जरूरतों से भी कम था. लेकिन आज 2022 में भारत का दूध उत्पादन करीब दस गुना बढ़कर 22 करोड़ टन हो गया है और आज भारत दूध का निर्यात करने की बेहतर स्थिति में आ गया है.

भारत 23 प्रतिशत दूध उत्पादन के साथ दुनिया का नंबर एक उत्पादक बन गया है एवं भारत के बाद अमेरिका, चीन, पाकिस्तान एवं ब्राजील का नाम आता है. पिछले 8 वर्षों के दौरान भारतीय डेयरी उद्योग ने 44 प्रतिशत की वृद्धि दर हासिल करते हुए वर्ष 2014-15 में 14.63 करोड़ टन से बढ़कर वर्ष 2020-21 में 21 करोड़ टन का उत्पादन हुआ है.

भारतीय अर्थव्यवस्था में कृषि क्षेत्र से डेयरी उद्योग आज 4 प्रतिशत का योगदान कर रहा है, जो कृषि क्षेत्र की विभिन्न मदों में सबसे अधिक है. लगभग 7 करोड़ कृषक आज सीधे ही डेयरी क्षेत्र में कार्य कर रहे हैं एवं इस क्षेत्र में रोजगार प्राप्त कर रहे हैं.

दूध उत्पादन के मामले में भारत दुनिया में शीर्ष स्थान पर है. आंकड़ों के अनुसार वर्ष 2020में वैश्विक स्तर पर सालाना 880मिलियन टन से अधिक दूध का उत्पादन हुआ था, जिसमें से 184मिलियन टन से अधिक दूध का भारत में हुआ था, जो कुल दूध उत्पादन का सबसे अधिक 21 फीसदी था.

 

वहीं भारत के बाद वैश्विक स्तर पर दूध उत्पादन में अमेरिका की सबसे अधिक 11फीसदी से अधिक की भागीदारी है. जबकि वैश्विक स्तर पर दूध उत्पादन में पाकिस्तान तीसरे नंबर है, जिसकी कुल दूध उत्पादन में 7फीसदी से अधिक की हिस्सेदारी है.

दूध उत्पादन के मामले को भारत को विश्व में शीर्ष पर पहुंचाने वाले राज्यों की भूमिका की बात की जाए तो इसमें उत्तर प्रदेश और राजस्थान का नाम शीर्ष पर है. पिछले दो दशकों से उत्तर प्रदेश देश में दूध उत्पादन के मसले पर पहले स्थान पर रहा है, जबकि राजस्थान दूसरे स्थान पर रहा है.

केंद्र सरकार द्वारा जारी किए गए 2020में उत्तर प्रदेश में 31,834टन सालाना दूध उत्पादन हुआ जबकि राजस्थान में यह आंकड़ा 25,573टन रहा. 17109टन उत्पादन के मध्य प्रदेश तीसरे, 15292टन के साथ गुजरात चौथे, 15263टन के साथ आंध्र प्रदेश पांचवे स्थान पर था. वहीं 13348टन उत्पादन के साथ ही पंजाब छठे स्थान पर था.