स्पेशल रिपोर्टः दीनदयाल उपाध्याय ग्रामीण विद्युतीकरण मिशन कामयाब, देश के हर घर में पहुंची बिजली

Story by  मंजीत ठाकुर | Published by  [email protected] | Date 19-09-2022
हर घर में पहुंची बिजली
हर घर में पहुंची बिजली

 

मंजीत ठाकुर/ नई दिल्ली

आज के जमाने में बिजली की अहमियत कितनी अधिक है इससे हर कोई वाकिफ है. आजादी के अमृत महोत्सव वर्ष में यह ध्यान दिया जाना जरूरी है कि देश के हर गांव तक अब बिजली पहुंचा दी गई है. देश के हर गांव में बिजली पहुंचाने का यह लक्ष्य साल 2018 में ही हासिल कर लिया गया था.

इस बारे में भारत सरकार ने एक  तथ्य पत्र पेश किया है.

हालांकि, 2018 में जब मोदी सरकार ने देश के हर गांव तक बिजली पहुंचाने के लिए चलाई जा रही योजना दीनदयाल उपाध्याय ग्राम ज्योति योजना की उपलब्धियों का खाका पेश किया था उसी समय विश्व बैंक की एक रिपोर्ट आई थी जिसमें कहा गया था कि 2010-2016 के बीच हर साल भारत में तीन करोड़ नए उपभोक्ता बिजली के कनेक्शन से जोड़े गए. लेकिन इसके साथ ही दावा किया गया कि देश के 15 फीसद लोगों के पास बिजली नहीं थी.

लेकिन, बाद में सरकार ने मजबूती से अपने तथ्य पेश किए. असल में 28 अप्रैल 2018 तक जो आंकड़े सरकार ने पेश किए थे, उसके तहत सभी जनगणना गांवो में बिजली पहुंचाए गए थे लेकिन उसमें छोटे-छोटे पुरवे रह गए थे.

सरकार ने अपने तथ्य पत्र में कहा है कि 1950 में देश में विद्युतीकृत गांवों की संख्या महज 3000 थी लेकिन 2022 में यह संख्या बढ़कर 5,97,464 हो गई.

2014 में मोदी सरकार ने यूपीए के दौर में चल रही ग्रामीण विद्युतीकरण की योजना राजीव गांधी ग्रामीण विद्युतीकरण मिशन का नाम बदल दिया और उसका परिक्षेत्र भी व्यापक बना दिया. पुरानी योजना में ऐसी बस्तियों का विद्युतीकरण किया जाता था जिसकी आबादी कम से कम 250 हो.

बहरहाल, डिजिटल इंडिया को सपोर्ट करने के लिए देश के हर गांव में अब बत्ती जल रही है. लेकिन, भारत में आजादी के बाद बिजली के प्रसार के बारे में जानना बहुत दिलचस्प है.


आजादी के बाद का दशक

आजादी के ठीक बाद देश में सिर्फ 2017 गांव ही विद्युतीकृत थे. उस वक्त देश में लोगों को खाना ही भरपेट नहीं मिलती, बिजली तो दूर की बात थी.
 

साठ का दशक

साठ की दशक में केंद्र सरकार ने औद्योगीकरण और कृषि पर ध्यान दिया. सिंचाई को बेहतर बनाने के लिए बिजली को गांवों तक पहुंचाना बहुत जरूरी था. इसी के तहत किए गए विकास प्रयासों के बाद  से भी अधिक17 हजार गांवों तक बिजली पहुंचाई गई. 1961 में हुई जनगणना के मुताबिक, देश के 21, 754 गांव विद्युतीकृत थे.
लेकिन साठ के दशक में बिजली पहुंचाने का काम तेजी से होने लगा और 1969 में देश में विद्युतीकृत गांवों की संख्या बढ़कर 73,739 हो गई.
 

सत्तर का दशक 

देश में सत्तर का दशक भी तेजी से बिजली सुविधा के विकास के लिए जाना जाता है. भारत सरकार के तथ्य पत्र के मुताबिक 1980 में देश में विद्युतीकृत गांवो की संख्या 2,49,799 थी.

 

अस्सी का दशक

अगले एक दशक में यानी, 1980 से 1990 के बीच विद्युतीकृत गांवों की संख्या लगभग दोगुनी हो गई. 1990 में विद्युतीकृत गांवों की संख्या 4,70,838 हो गई.इसी दौरान कुटीर ज्योति योजना शुरु की गई थी. जिसके तहत बीपीएल परिवारों को 1988-89 के तहत सिंगल पॉइंट कनेक्शन दिए गए.

नब्बे का दशक

अगले एक दशक में यानी 1990 से 2000 के बीच ग्रामीण विद्युतीकरण की रफ्तार थोड़ी कम हुई और 2002 में जब गणना की गई तो 5,12,153 गांव विद्युतीकृत हुए थे. इस दौरान ग्रामीण विद्युतीकरण में आर्थिक उदारीकरण काफी धीमा था. देश के विद्युत बोर्ड के आर्थिक हालात भी ठीक नहीं थे. 1991-2003 के बीच केवल 43,000 गांवों का ही विद्युतीकरण हो सका.


नई सहस्राब्दी

मार्च 2005 में केंद्र सरकार ने 'राजीव गांधी विद्युतीकरण योजना'की शुरुआत की गई, इसका उद्देश्य सभी घरों तक बिजली पहुंचाने का था. साथ ही बीपीएल परिवारो के लिए मुफ्त बिजली का प्रावधान रखा गया.

मोदी सरकार

मोदी सरकार ने दिसंबर 2014 में दीनदयाल ग्राम ज्योति योजना शुरू की. जिसमें पुरानी योजनाओं के सारे प्रावधान शामिल किए गए. यह योजना भारत के ग्रामीण इलाकों में कृषि और गैर-कृषि उपभोक्ताओं को बिजली पहुंचाने के लिए शुरू की गई थी. और 2022 में सरकार ने घोषणा की है कि देश का कोई भी पुरवा या टोला बगैर बिजली के नहीं है.