नई दिल्ली से विशेष रिपोर्ट
भारत के जम्मू-कश्मीर के पहलगाम क्षेत्र में हुए आतंकवादी हमले ने सिर्फ निर्दोष जानें ही नहीं लीं, बल्कि दक्षिण एशिया की सबसे संवेदनशील सीमाओं में से एक पर नए भू-राजनीतिक और आर्थिक संकट को जन्म दे दिया है. इस घटना का सबसे बड़ा असर पाकिस्तान की पहले से ही डांवाडोल अर्थव्यवस्था पर पड़ता दिख रहा है.
भारत ने इस हमले के पीछे पाकिस्तान-प्रायोजित आतंकवाद का सीधा आरोप लगाया है, जिसके बाद भारत सरकार ने पाकिस्तान के साथ द्विपक्षीय व्यापार सहित कई रणनीतिक संबंधों को तत्काल प्रभाव से रोक दिया है. इसका प्रभाव न केवल कूटनीतिक संबंधों पर पड़ा है, बल्कि पाकिस्तान की आर्थिक सेहत पर भी गहरा असर डालेगा.
आर्थिक सुधार पर लगा ब्रेक
2022 में डिफॉल्ट की कगार पर खड़ी पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था को IMF से 2 अरब डॉलर के राहत पैकेज के ज़रिए थोड़ी राहत मिली थी. मई 2023 तक रिकॉर्ड 38% मुद्रास्फीति के बाद धीरे-धीरे सुधार के संकेत मिलने लगे थे। मार्च 2025 में मुद्रास्फीति गिरकर 0.7% पर आ गई थी, जो तीन दशकों का सबसे निचला स्तर था.
लेकिन अब पहलगाम हमले और भारत की जवाबी रणनीति ने पाकिस्तान की इस आर्थिक रिकवरी को गहरे संकट में डाल दिया है.
भारत की सख्त कूटनीतिक प्रतिक्रिया
पहलगाम हमले के जवाब में भारत सरकार ने जो त्वरित और ठोस कदम उठाए हैं, उनमें शामिल हैं:
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पाकिस्तान के साथ द्विपक्षीय व्यापार पूरी तरह बंद करना
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पाकिस्तानी राजनयिकों को निष्कासित करना
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सार्क वीजा छूट योजना को रद्द करना
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सिंधु जल संधि को निलंबित करना
इन सभी उपायों का पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था पर प्रत्यक्ष और दीर्घकालिक असर पड़ना तय है.
मुद्रास्फीति और खाद्य संकट
पाकिस्तान स्टेट बैंक के अनुसार, जून 2025 को समाप्त हो रहे वित्तीय वर्ष के अंत तक मुद्रास्फीति 5.5% से 7.5% के बीच रहने की संभावना है. लेकिन भारत से व्यापार बंद होने के कारण यह आंकड़ा और भी बढ़ सकता है.
मीडिया रिपोर्टों के मुताबिक:
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चावल की कीमत 340 रुपये प्रति किलो तक पहुंच गई है
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चिकन की कीमत 800 रुपये प्रति किलो हो गई है
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सब्जियां, फल और पोल्ट्री फीड की भी भारी कमी दर्ज की गई है
भारत से पाकिस्तान को बड़ी मात्रा में दवाइयाँ, रसायन, फल, सब्जियाँ और पोल्ट्री फ़ीड निर्यात की जाती थीं, जिनका मूल्य 2024 में लगभग $305 मिलियन था. इनमें जैविक रसायन ($164.19 मिलियन) और फार्मास्युटिकल उत्पाद ($120.86 मिलियन) प्रमुख थे.
अब इन जरूरी वस्तुओं की आपूर्ति रुक जाने से आम पाकिस्तानी नागरिक के लिए जीवन और कठिन हो जाएगा.
IMF और विश्व बैंक ने घटाया विकास अनुमान
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IMF ने पाकिस्तान की 2025 की विकास दर का अनुमान 3% से घटाकर 2.6% कर दिया है
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विश्व बैंक ने भी इसे घटाकर 2.7% किया है और चेतावनी दी है कि बजट घाटा और कर्ज-जीडीपी अनुपात खतरनाक स्तर पर पहुंच सकता है
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भुखमरी की चेतावनी: विश्व बैंक की रिपोर्ट के अनुसार, इस वर्ष 1 करोड़ से अधिक पाकिस्तानियों को गंभीर खाद्य असुरक्षा का सामना करना पड़ सकता है, विशेष रूप से ग्रामीण क्षेत्रों में
बाजार की प्रतिक्रिया: निवेशकों का भरोसा डगमगाया
24 अप्रैल को कराची स्टॉक एक्सचेंज में भारी गिरावट देखी गई:
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केएसई-100 सूचकांक कारोबार के पहले 5 मिनट में ही 2% से अधिक गिरा
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लगभग 2,500 अंकों की गिरावट के साथ सूचकांक 1,14,740.29 पर आ गया
यह गिरावट भारत और पाकिस्तान के बीच बढ़ते तनाव को लेकर निवेशकों की घबराहट को दर्शाती है.
विश्लेषण: भारत की कार्रवाई का रणनीतिक प्रभाव
इन्फोमेरिक्स वैल्यूएशन एंड रेटिंग्स लिमिटेड के अर्थशास्त्री डॉ. मनोरंजन शर्मा के अनुसार, यह हमला आतंकवाद की "नवीनतम और सबसे खतरनाक" अभिव्यक्ति है, और भारत ने इस पर "इज़राइल जैसी त्वरित और निर्णायक प्रतिक्रिया" दी है.
उन्होंने कहा कि भारत द्वारा उठाए गए कदम पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था को झकझोरने के लिए पर्याप्त हैं – खासकर जब यह IMF की 'विस्तारित निधि सुविधा (EFF)' पर अत्यधिक निर्भर है.
आतंक की कीमत आम नागरिक चुकाएंगे
पहलगाम हमले के बाद भारत की प्रतिक्रिया भले ही आतंकवाद के खिलाफ कड़ा संदेश हो, लेकिन इसका प्रभाव पाकिस्तान के आम नागरिकों पर पड़ने वाला है. खाद्य संकट, दवा की कमी, मुद्रास्फीति और रोजगार की समस्याएं इस देश को सामाजिक और आर्थिक रूप से और भी अस्थिर बना सकती हैं.
आतंकवाद की राजनीतिक और कूटनीतिक कीमत अब आर्थिक तबाही के रूप में पाकिस्तान के दरवाजे पर दस्तक दे चुकी है.
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