इस्लामाबाद. पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री और पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ (पीटीआई) के अध्यक्ष इमरान खान ने लॉन्ग मार्च के बाद धरना देने से इंकार कर दिया. उनके इस फैसले से सभी हैरान रह गए. कयास लगाए जा रहे है कि इमरान खान ने यह फैसला पाक सेना के इशारे पर लिया.
पाकिस्तान के पूर्व राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार सेवानिवृत्त लेफ्टिनेंट जनरल नईम खालिद लोधी ने कहा कि सेना अराजकता को रोकने और राजनीति में स्थिरता को वापस लाने के लिए ऐसा हस्तक्षेप कर सकती है. ताकि अर्थव्यवस्था को पुनर्जीवित करने की प्रक्रिया शुरू की जा सके. एक अन्य सेवानिवृत्त जनरल ने नाम न छापने की शर्त पर कहा कि शीर्ष अधिकारियों को इस बात का अहसास था कि अगर मामलों को गलत दिशा में ले जाया गया, तो कोई भी जिम्मेदारी से नहीं बच पाएगा.
डॉन की रिपोर्ट के अनुसार, एक सूत्र ने दावा किया कि खराब संबंधों को देखते हुए सेना के लिए सबसे बड़ी चुनौती इमरान खान के साथ सकारात्मक संपर्क स्थापित करना था. जैसे-जैसे पूर्व प्रधानमंत्री लॉन्ग मार्च की योजना के साथ आगे बढ़े, सेना की कोशिशें तेज होती गई. सूत्र ने कहा कि इसमें एक पूर्व मुख्य न्यायाधीश, एक प्रमुख व्यवसायी और एक सेवानिवृत्त जनरल शामिल हैं.